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बेजुबान शायर shivkumar

#love_shayari Love #दिलकीबातशायरी143 #शायरी इस #जिंदगी में बस तुम्हारा साथ ही काफी है, मेरे इन हाथों में तेरा हाथ ही काफी है। तु #अहसास #कविता #एहसास #जज्बात #ऐतबार

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Kapil Choudhary

हँसते-हँसते Salman Khan के आंसू निकल गए 🤣🤣 | Comedy Nights Bachao #कॉमेडी

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बेजुबान शायर shivkumar

#love_shayari #Family #familylove #lovefamily #familyiseverything #परिवार कई रिश्तो से मिलकर बनता है परिवार है अच्छे जीवन का आ #कविता #रिश्ते #संसार #परवाह

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

चौपाई छन्द :- जीवन की सच्चाई देखी । जब करके अच्छाई देखी ।। राम कहाँ हम बन पायेंगे । साथ न तेरे चल पायेंगे ।। भरा पेट क्या भरत राज में । रहते #कविता

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चौपाई छन्द :-
जीवन की सच्चाई देखी । जब करके अच्छाई देखी ।।
राम कहाँ हम बन पायेंगे । साथ न तेरे चल पायेंगे ।।
भरा पेट क्या भरत राज में । रहते हम भी उस समाज में ।।
हजम नहीं वह घी कर पाते । छीन निवाले जो है खाते ।।
मंदिर-मंदिर करके रोये । पाये तो सीढ़ी पे सोये ।।
चुनकर उनको तुम रखवाला । कर बैठे अपना मुँह काला ।
मार ठहाका जो हैं हँसते । काटें में मछली हैं फँसते ।।
देख खुशी ऐसे हर्षाने , स्वयं न छवि अपनी पहचाने ।।
अच्छी सीख अवध ने दी है । भूलूं न मैं भीख में दी है ।।
शीश नवाता अवध भूमि को ।  करना चाहूँ नमन भूमि को ।।
पुनः लौट जो अवसर आये । तट सरयू दर्शन हम पाये ।।
हनुमत खड़े रहे बन प्रहरी । हर इच्छा जो हरि की ठहरी ।।
मैं मानूँ सब हरि की माया । हर काया में उनकी छाया ।।
मिला प्रसाद हमें प्रभु दर से । पुनः शुरूआत उसी घर से ।।
भूल क्षमा हो रघुवर मेरे । दूर करो ये आज अँधेरे ।।
तुम ही हो इस जग के स्वामी । माने तुमको अन्तरयामी ।।
राम कहाँ कुछ उनके लगते । जो मन चाहे बकते रहते ।।
हमने रघुवर को सब माना । महल बने था दिल में ठाना ।।
महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR चौपाई छन्द :-
जीवन की सच्चाई देखी । जब करके अच्छाई देखी ।।
राम कहाँ हम बन पायेंगे । साथ न तेरे चल पायेंगे ।।
भरा पेट क्या भरत राज में । रहते

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- दुनिया देखी है पैदल चलकर मैंने । कुछ-कुछ सीखा है जीवन पढ़कर मैंने ।। असली सुख मिलता है बीबी बच्चों में रहकर देखा है अक्सर घर पर मैंने #शायरी

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White ग़ज़ल :-

दुनिया देखी है पैदल चलकर मैंने ।
कुछ-कुछ सीखा है जीवन पढ़कर मैंने ।।
असली सुख मिलता है बीबी बच्चों में
रहकर देखा है अक्सर घर पर मैंने ।।
हँसते गाते बीते जीवन इस खातिर 
पूजे हैं राहों  के भी कंकर मैंने ।।
यह सच्ची निष्ठा है  एक सनातन की ।
 कण-कण को भी माना है शंकर मैंने ।।
पत्थर से अरदास लगाऊँ क्या अब मैं ।
देख लिये इंसान यहाँ पत्थर मैंने ।।
लाशों के अम्बार लगे दोनों जानिब 
हँसते देखे उन पर  कुछ जोकर मैंने ।।
शीश झुका कर  आता है मेरे आगे ।
उसको बनाया है अपना नौकर मैंने ।
अपना वादा काश निभाने आते प्रखर 
कितना  रस्ता देखा है मुड़कर मैने ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :-

दुनिया देखी है पैदल चलकर मैंने ।
कुछ-कुछ सीखा है जीवन पढ़कर मैंने ।।
असली सुख मिलता है बीबी बच्चों में
रहकर देखा है अक्सर घर पर मैंने

BROKENBOY

#sad_quotes तू अपनी दुनिया बसा ले मैं नाराज नही हूं, जुल्फों में गजरा सजा ले मैं नाराज नही हूँ, हम जुगनू बनकर सुबह तलक बुझ जाएंगे, रक़ीब क

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White तू अपनी दुनिया बसा ले मैं नाराज नही हूं,
जुल्फों में गजरा सजा ले मैं नाराज नही हूँ,

हम जुगनू बनकर सुबह तलक बुझ जाएंगे,
रक़ीब को भंवरा बना ले मैं नाराज नही हूँ,

मैंने हर दम तेरी खुशियों की दुआएँ माँगी,
तू अपनी बारात बुला ले मैं नाराज नही हूं,

तेरा संसार आबाद रहेगा मैं आबाद रहूंगा,
मेरी धड़कनों की दुआ ले मैं नाराज नही हूँ,

ग़ैर की बाहें तुझे सुकून दे तू सुकून से रहे,
जा थोड़ा सुकून कमा ले मैं नाराज नही हूँ,

करता हूँ हँसते हँसते विदा तुझको जिंदगी से,
डोली वाले डोली उठा ले मैं नाराज नही हूँ,

खफ़ा नही मैं हरगिज़ तेरी बेवफाई से,
घूंघट आखरी बार हटा ले मैं नाराज नही हूँ।

©BROKENBOY #sad_quotes 

तू अपनी दुनिया बसा ले मैं नाराज नही हूं,
जुल्फों में गजरा सजा ले मैं नाराज नही हूँ,

हम जुगनू बनकर सुबह तलक बुझ जाएंगे,
रक़ीब क

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

सोरठा :- सूर्यदेव का ताप , नित्य ही बढता जाता । नर नारी सब आज , नजर घूंघट में आता ।। #कविता

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सोरठा :-
सूर्यदेव का ताप , नित्य ही बढता जाता ।
नर नारी सब आज , नजर घूंघट में आता ।।

लियो मजा तुम खूब , सदा पक्की सड़को का ।
करना क्या है आज ,  पहाड़ो औ झरनों का ।।

महल बने फिर चार ,  वृक्ष हो बिल्कुल छोटे ।
गेंदा चंपा छोड़ , वृक्ष सब लगते खोटे ।।

हँसते घूंघट काढ , दिखे सारी बत्तीसी ।
फल कर्मो का आज, निकाले सबकी खीसी ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR सोरठा :-


सूर्यदेव का ताप , नित्य ही बढता जाता ।

नर नारी सब आज , नजर घूंघट में आता ।।

Suresh Kumar

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- माता तेरे नाम का , रखता हूँ उपवास । सुत मेरा भी हो सही , बस इतनी है आस ।।१ बदलो मेरे भाग्य की , माता जी अब रेख । हँसते हैं सब लोग अ #शायरी

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Beautiful Moon Night दोहा :-

माता तेरे नाम का , रखता हूँ उपवास ।
सुत मेरा भी हो सही , बस इतनी है आस ।।१
बदलो मेरे भाग्य की , माता जी अब रेख ।
हँसते हैं सब लोग अब , कष्ट हमारे देख ।।२
जीवन से मैं हार कर , होता नही निराश ।
करता रहता कर्म हूँ , होगा क्यों न प्रकाश ।।३
इस दुनिया में मातु पर , रखना नित विश्वास ।
वे ही अपने लाल के , रहती हैं निज पास ।।४
कहकर उसको क्यों बुरा , बुरे बने हम आज ।
ये तो विधि का लेख है , करता वह जो काज ।।५
कभी किसी के कष्ट को , देख हँसे मत आप ।
वह भी माँ का लाल है , हँसकर मत लो श्राप ।।६
मदद नही जब कर सको , रहना उनसे दूर ।
कल उनके जैसे कहीं , आप न हों मजबूर ।।७
करने उसकी ही मदद , भेजे हैं रघुवीर ।
ज्यादा मत कुछ कर सको ,बँधा उसे फिर धीर ।।८
जग में सबकी मातु है, जीव-जन्तु इंसान ।
कर ले उनकी वंदना , मिल जाये भगवान ।।९
माँ की सेवा से कभी , मुख मत लेना मोड़ ।
उनकी सेवा से जुड़े , हैं जीवन के जोड़ ।।१०

११/०४/२०२४       -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :-

माता तेरे नाम का , रखता हूँ उपवास ।
सुत मेरा भी हो सही , बस इतनी है आस ।।१
बदलो मेरे भाग्य की , माता जी अब रेख ।
हँसते हैं सब लोग अ
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