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Stories related to sheetal bukhara

khushbu

नितिन कुमार 'हरित' sheetal pandya मेरे शब्द ओम भक्त "मोहन" (कलम मेवाड़ री) Rohit Romun POETICPOOJA

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©khushbu  नितिन कुमार 'हरित'  sheetal pandya मेरे शब्द  ओम भक्त "मोहन" (कलम मेवाड़ री)  Rohit Romun  POETICPOOJA

MSA RAMZANI

#ghamandi #matlabi Pooja Udeshi Sarfraz Ahmad Anupriya Mukesh Poonia Sheetal Kumari

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White जिसे मैं कि 
हवा लगी 
उसे न फिर 
दवा लगी 
न दुआ लगी।
1/12/14

©MSA RAMZANI #ghamandi 
#matlabi  Pooja Udeshi  Sarfraz Ahmad  Anupriya  Mukesh Poonia  Sheetal Kumari

krishna

#GreenLeaves khubsurat Sheetal Buriya शायरी हिंदी में दोस्त शायरी

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theABHAYSINGH_BIPIN

#sad_shayari वफ़ा को ढूँढ़ना बेमानी सा लगता, दिल का ये ख्वाब पुराना सा लगता। खुद को संभालूं या शिकवे लिखूं, हर दर्द अब एक फसाना सा लगता।

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White वफ़ा को ढूँढ़ना बेमानी सा लगता,
दिल का ये ख्वाब पुराना सा लगता।
खुद को संभालूं या शिकवे लिखूं,
हर दर्द अब एक फसाना सा लगता।

इश्क़ सिर्फ कहानी सा लगता है,
ग़म अब निशानी सा लगता है।
कौन चाहता है ज़ख्मों को भरना,
दर्द-ए-दिल अब रूहानी सा लगता है।

आँखों में न कोई ख्वाब अब बाकी है,
दिल का हर कोना खाली सा लगता है।
जिनसे उम्मीदें थीं, वो पराये निकले यारो,
ज़िंदगी भी अब तूफानी सा लगता है।

हर राह में बस सन्नाटा सा है,
हर कदम पर धोखे का साया सा है।
जिनसे दिल लगाया, वही दूर निकले,
अब हर रिश्ता अफ़साना सा है।

इश्क़ अब सिरफिरा सा खेल लगता है,
हर कदम पर ये जाल सा बिछता है।
फिर भी दिल क्यों लौट जाता है वहीं,
जहाँ हर दर्द अब रूहानी सा लगता है।

©theABHAYSINGH_BIPIN #sad_shayari 

वफ़ा को ढूँढ़ना बेमानी सा लगता,
दिल का ये ख्वाब पुराना सा लगता।
खुद को संभालूं या शिकवे लिखूं,
हर दर्द अब एक फसाना सा लगता।

theABHAYSINGH_BIPIN

#Moon वफ़ा की उम्मीद किससे है, इश्क़-मोहब्बत किससे है। हर क़दम पर रंग-भेद, तो फिर ये चाहत किससे है। दिल लगाते हैं, मगर डरते हैं,

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White वफ़ा की उम्मीद किससे है,
इश्क़-मोहब्बत किससे है।
हर क़दम पर रंग-भेद,
तो फिर ये चाहत किससे है।

दिल लगाते हैं, मगर डरते हैं,
सच कहें तो सभी छलते हैं।
वफ़ा की क़ीमत नहीं इस दौर में,
फिर भी ये उम्मीद किससे है।

हर चहरे पर मुखौटे हैं,
हर रिश्ता जैसे सौदे हैं।
जिनसे प्यार था, वही पराये,
फिर ये मोहब्बत किससे है।

सफर में कांटे बिछे हर जगह,
साये तक साथ छोड़ देते हैं।
जिनसे वफ़ा की आस लगाई,
उनसे शिकवा फिर किससे है।

सोचता हूँ ये सवाल हर रोज़,
क्या जवाब है कोई मेरे पास।
शायद दिल ही गलत करता है,
वफ़ा की उम्मीद भी किससे है।

©theABHAYSINGH_BIPIN #Moon 

वफ़ा की उम्मीद किससे है,
इश्क़-मोहब्बत किससे है।
हर क़दम पर रंग-भेद,
तो फिर ये चाहत किससे है।

दिल लगाते हैं, मगर डरते हैं,

theABHAYSINGH_BIPIN

#boat तुमने मुझे छू क्या लिया नजरों से, मेरे सपनों को एक पैगाम दी है। सोचता हूं मैं फुरसत में काम टालकर, वर्षों से दबी जज़्बात को हवा दी ह

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तुमने मुझे छू क्या लिया नजरों से,
मेरे सपनों को एक पैगाम दी है।
सोचता हूं मैं फुरसत में काम टालकर,
वर्षों से दबी जज़्बात को हवा दी है।

अब तो करवटों में कटती हैं रातें मेरी,
तुमने सपनों में आकर रातें आधी की हैं।
बेसब्र भटक रहा था मैं दर-ब-दर,
मेरी टूटती उम्मीदों को राहत दी है।

उदासियों में बीत रहा था दिन मेरा,
मेरे सूखे होठों को हंसी दी है।
पूरा बचपन जो अंधेरों में कटा मेरा,
तूने आकर मेरे जीवन को रोशनी दी है।

©theABHAYSINGH_BIPIN #boat 

तुमने मुझे छू क्या लिया नजरों से,
मेरे सपनों को एक पैगाम दी है।
सोचता हूं मैं फुरसत में काम टालकर,
वर्षों से दबी जज़्बात को हवा दी ह

Sunita Pathania

Sunita Pathania

Sunita Pathania

Sunita Pathania

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