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Vikas Sharma Shivaaya'
positive thinking (सकारात्मक सोच) जीवन को सकारात्मकता की तरफ लेकर जाती है , वही नकारात्मक सोच जीवन में आगे बढ़ने में अनेक समस्याओ को जन्म देती हैं..., विचार हमारे मन मे उठने वाला एक वो हथियार है जो हमे आबाद भी कर सकता है और बर्बाद भी-विचारो में इस सृष्टि की सबसे ताकतवर अदृश्य शक्ति निवास करती हैं..., थोड़े से प्रयास से दृष्टिकोण को बदलकर हम सकारात्मकता के प्रकाश की ओर बढ़ सकते हैं-नकारात्मक सोच के अंधेरे से बाहर निकलने के लिए हमें अपने मस्तिष्क को प्रशिक्षित करना होता है..., मात्र सकारात्मक सोच ही हमें इस संसार में खुशियां दे सकती है, नकारात्मक सोच सिर्फ दु:ख ही नहीं देती, वह हमारी भविष्य की सोच और परिस्थितियों के बीज भी बोती है- तो क्यों ना हम सकारात्मक सोच रखें। यदि हम सकारात्मक रहें तो दु:खदायी परिस्थिति भी सुखदायी बन जाती है...! सकारात्मकता का अर्थ है कि व्यक्ति विषम परिस्थितियों में भी अपना संयम बनाए रखता है। चाहे कितना भी कठिन परिस्थिति क्यों ना हो, अगर सोच पॉजिटिव हो तो हमें यह विश्वास होता है कि हम इस परिस्थितियों से पार लग जाएंगे। ज्यादातर व्यक्ति विपरीत परिस्थितियों में अपना धैर्य खो देते हैं। वह अपने आप को दृढ़ महसूस करते हैं। विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम) आज 646 से 657 नाम 646 त्रिलोकात्मा तीनों लोकों की आत्मा हैं 647 त्रिलोकेशः जिनकी आज्ञा से तीनों लोक अपना कार्य करते हैं 648 केशवः ब्रह्मा,विष्णु और शिव नाम की शक्तियां केश हैं उनसे युक्त होने वाले 649 केशिहा केशी नामक असुर को मारने वाले 650 हरिः अविद्यारूप कारण सहित संसार को हर लेते हैं 651 कामदेवः कामना किये जाते हैं इसलिए काम हैं और देव भी हैं 652 कामपालः कामियों की कामनाओं का पालन करने वाले हैं 653 कामी पूर्णकाम हैं 654 कान्तः परम सुन्दर देह वाले हैं 655 कृतागमः जिन्होंने श्रुति,स्मृति आदि आगम(शास्त्र) रचे हैं 656 अनिर्देश्यवपुः जिनका रूप निर्दिष्ट नहीं किया जा सकता 657 विष्णुः जिनकी प्रचुर कांति पृथ्वी और आकाश को व्याप्त करके स्थित है 🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' positive thinking (सकारात्मक सोच) जीवन को सकारात्मकता की तरफ लेकर जाती है , वही नकारात्मक सोच जीवन में आगे बढ़ने में अनेक समस्याओ को जन्म दे
Jindeshna
किसी एक वक्ता को मुख्य मानना, उन्हीं को सुनना, अन्य को ना सुनना और अन्य को सुनना तो गौणपने से सुनना इत्यादि एकांत मिथ्यात्व भाव है। - भावदीपिका पेज नम्बर 36 आगम #HopeMessage
HP
स्वाध्याय केवल पुस्तकें पढ़ने को ही नहीं कहते। उसका वास्तविक उद्देश्य आत्म-निरीक्षण के लिए प्रेरणा प्राप्त करना है। शास्त्र कहता है। शास्त्र
Pt. Ashish Dubey
सिर्फ तर्क करने वाला दिमाग एक ऐसे चाक़ू की तरह है जिसमे सिर्फ ब्लेड है. यह इसका प्रयोग करने वाले के हाथ से खून निकाल देता है. ©Pt. Ashish Dubey #तर्क शास्त्र
Sanjay Kumar Gupta
कोई ऐसी करवट, जो गीला न करे तकिये को, क्या पता है तुम्हे? मुझे मालूम हुआ है, आप वास्तु शास्त्र के बड़े जानकर है। #वास्तु शास्त्र
Rajesh rajak
शास्त्रों के अनुसार हमें तीन जगहों से आकर स्नान करके ही घर के अंदर प्रवेश करना चाहिए, १_श्मशान से आकर। २_अस्पताल से आकर। ३_यात्रा से वापस आने से। और अब विज्ञान शास्त्र के अनुसार कोरोना नाम की जो घातक महामारी फैल रही है यदि आप किसी जरूरी कार्य से बाहर जाए तो बिना नहाए और जो कपड़े पहन कर गए थे उन्हें बिना धोए घर के अंदर प्रवेश न करें। शास्त्र संबत स्नान
HP
शास्त्र कहता है ‘सत्यं सुखं संजयति’ सत् से सुख उपजता है। यदि आप अपने को सुखी बनाना चाहते हैं तो अपने अन्दर दृष्टि डालिये, अपनी बुराइयों का सुधार कीजिए, अपने में सद्गुण उत्पन्न कीजिये। ‘स्व’ को सँभालते ही ‘पर’ सँभल जाता है। दुनिया दर्पण है, इसमें अपनी ही शकल दिखाई पड़ती है। पक्के मकान में आवाज गूँजकर प्रतिध्वनि उत्पन्न होती है इसी प्रकार अपने गुण कर्म, स्वभावों के अनुरूप प्रत्युत्तर संसार से मिलता है। हम जिधर चलेंगे छाया भी पीछे-पीछे उधर ही चलेगी। इसलिए उचित है कि सुख प्राप्त करने का अपने को अधिकारी बनावें अपने आचरण और विचारों में समुचित संशोधन करें यही सफलता का मार्ग है। शास्त्र कहता है।
मनोज कुमार झा "मनु"
शास्त्रे प्रतिष्ठा सहजश्च बोधः प्रागल्भ्यमभ्यस्तगुणा च वाणी। कालानुरोधः प्रतिमानवत्वम् एते गुणाः कामदुधाः क्रियासु।। शास्त्र में निष्ठा, स्वाभाविक ज्ञान, प्रगल्भता, गुणों के अभ्यास से सम्पन्न वाणी, कार्य के उचित समय का अनुसरण और प्रतिभा की नवीनता - ये सभी गुण मनोरथों को पूर्ण करनेवाले होते हैं। (मालतीमाधव - ३/११ ©मनोज कुमार झा "मनु" #Sunhera शास्त्र वचन