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Priyansh Sharma
________________________________________ अच्छा सुनो ना... ये कानों में लटकने वाले बड़े से गोल - गोल झुमकों में फंसी हुई तुम्हारी लटकने.. और इन लटकनों को बड़ी मशक्कत से निकालने की कोशिश करती तुम्हारी छोटी - छोटी उँगलियाँ..., दांतो में फंसाया हुआ ये ब्लेक क्लेचर और तुम्हारे चेहरे की मासूमियत.. ये नशीली आंखे और इनमें लगा हुआ स्याह काजल.... सुनो...तुम्हारा मुझसे बोलना मेरे दिल को भा जाता है... कसम से...हर बार तुम पर दिल❤️ फिसल जाता है..। ________________________________________ ©Priyansh Sharma अच्छा सुनो ना... ये कानों में लटकने वाले बड़े से गोल - गोल झुमकों में फंसी हुई तुम्हारी लटकने.. और इन लटकनों को बड़ी मशक्कत से निकालने
Anita Saini
आसमान बाप सा बरसता है वो किसे थामता है ! साहब गोद माँ की पुकारती है बाहें फैलाकर धरती के वक्ष पर ही सो सकता है प्राणी! आसमान बाप सा बरसता है वो किसे थामता है ! साहब गोद माँ की पुकारती है बाहें फैलाकर धरती के वक्ष पर ही सो सकता है प्राणी! #आसमान #गिरना #लटकना
एक अधूरी तम्मना
कोई यूं ही नही मर जाता है, कोई यूं ही नहीं दुनिया को अलविदा कह देता है,हँसते मुस्कराते फांसी के फंदे पर लटकने से पहले,ज़हर का घूंट पीने से पहले वो मरता है रोज़ रोज़, अंदर के एकांत को, बाहर के शोर में छुपाए हुए, जब कोई नही सुनने वाला होता तो वो चुनता है, मौत😭😭😭 #तम्मना कोई यूं ही नही मर जाता है, कोई यूं ही नहीं दुनिया को अलविदा कह देता है, हँसते मुस्कराते फांसी के फंदे पर लटकने से पहले, ज़हर का घूंट पीने स
Priyansh Sharma
_______________________________________ अच्छा सुनो.... गुलाब की दो पंखुड़ियों के जैसे ये लालिमा लिए हुए तुम्हारे होंठ... और उनके नीचे फबने वाला ये स्याह तिल..! गालो पर गिरी हुई लटकनों को कान के पीछे, दबाती हुई तुम्हारी ये छोटी छोटी उंगलियाँ.. और स्याह पलकों को झुकाकर तुम्हारी शरमाने की ये मासूम सी अदा... हाँ.... तुम मेरा वो ही ख्याल हो जिसे मैंने ख़यालो में बहुत बार सोचा है...। ❣️ _______________________________________ ©Priyansh Sharma अच्छा सुनो.... गुलाब की दो पंखुड़ियों के जैसे ये लालिमा लिए हुए तुम्हारे होंठ... और उनके नीचे फबने वाला ये स्याह तिल..!
तुषार"आदित्य"
ये जीवन का खेल है,चलता रहता है। हार-जीत का मेल है,चलता रहता है। कुछ सिकंदर होते है,कुछ मजनू हो जाते है। गिरना-उठना,लड़ना-डरना चलता रहता है। कुछ लोग निवाले बन,काल के गाल पीसते है। कुछ होते है जिनका तो सफ़ीना चलता रहता है। कभी कोई"निर्भया"सड़क पे तड़प के मरती है। हर वक्त एक"सुशांत" लटकना चलता रहता है। हाँ!जैसे हो जो भी हो,हर हाल में दुनिया को। चलना है और हरदम चलना चलता रहता है। ये जीवन का खेल है,चलता रहता है। हार-जीत का मेल है,चलता रहता है। कुछ सिकंदर होते है,कुछ मजनू हो जाते है। गिरना-उठना,लड़ना-डरना चलता रहता है।
Priyansh Sharma
मेरी छोटी छोटी ख्वाहिशों में इक प्यारी सी ख़्वाहिश ये भी है कि.. वो जब मेरे छोटे से किचन में आटा गुंथा करें, तो मैं उसकी लटकनों को संवारा करूँ..। वो जब कभी उदास रहे तो, उसे हँसाने के बहाने ढूंढा करूँ..। सामने बैठकर वो बात करती है तो अच्छी लगती है, दिल करता है कि उसे सुनता रहा करूँ.. और उसका गुस्से में अच्छा, ह्म्म्म, ओके..तो ठीक है, पर मुस्कुराती है तो लगता है सजदा करूँ...। सुनो... तुम्हें कहना तो बहुत कुछ है मुझे पर जब सामने होती हो तो दिल कहता है होठों को काबू करूँ...। ©Priyansh Sharma मेरी छोटी छोटी ख्वाहिशों में इक प्यारी सी ख़्वाहिश ये भी है कि.. वो जब मेरे छोटे से किचन में आटा गुंथा करें, तो मैं उसकी लटकनों को संवारा कर
Priyansh Sharma
अब तुमसे मिलेंगे तो खुलकर मिलेंगे, जैसे अंधेरे को जुगनू मिलेंगे.. मैंने देखा है इश्क़ को आंखों में तुम्हारी, जब भी मिलेंगे मोहब्बत लेकर मिलेंगे...। कोन है जो रखेगा तुम्हारी लटकने संवार कर, मिलने को लोग तुम्हें बेशुमार मिलेंगे.. तुम्हारी ज़िद ही है जाने की तो जाओ, अब इश्क़ को हमारे दरवाजे बंद मिलेंगे...। ये मौसम,ये बारिस ये ठंडी हवाएं और तुम, पता नही ये साथ में अब कब मिलेंगे.. एक अरसा गुजर गया है मेरी आंख के आगे से, तुमने तो कहा था हम कल फिर मिलेंगे...। सुनो... ये दुआ भी है और ख़्वाहिश भी है मेरी, तुम्हें सफर में अब कांटे कम मिलेंगे...। ©Priyansh Sharma अब तुमसे मिलेंगे तो खुलकर मिलेंगे, जैसे अंधेरे को जुगनू मिलेंगे.. मैंने देखा है इश्क़ को आंखों में तुम्हारी, जब भी मिलेंगे मोहब्बत लेकर मिलें
Aparna Shambhawi
#paki #nojotohindi #poem कहुँ साँझ-साँझ अाँगन में, राग रंग अनुरागी दूँ, हिंडोल, मेघ आरोहण में, बहार मीर सारं दूँ। भरी बदरिया सावन में,
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