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Vicky purohit Ji
New Year 2024-25 * यू वक्त की खामोशियों पर सवाल ना उठाए,, * खुद बदलता भी है और दूसरों को बदलने पर मजबूर कर देता हैं।। * हाथों की लकीरें अक्सर विक्की झूठी होती,, * नसीब उनके भी होते है जिनके हाथ नहीं होते...!! (बदलाव जरूरी 2025-:) by-Vicky purohit ©Vicky purohit Ji * हाथों की लकीरें झूठी होती ,, दोस्त नसीब उनके भी होते जिनके नहीं होते #NewYear2024-25 शुभ विचार
* हाथों की लकीरें झूठी होती ,, दोस्त नसीब उनके भी होते जिनके नहीं होते #Newyear2024-25 शुभ विचार
read morePraveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी जोश और जुनून को लेकर युवाओं का संघर्षो भरा जीवन है अध्ययन और हुनर पनपे हकीकतो से जूझता जुझारूपन है कितने अवरोधों भरा सिस्टम है एग्जाम पर माफिया होते हावी संकट पेपर लीकेजो का है सपने टूटते धनबल पर सड़को पर युवा दल है झड़पे पुलिस से होती घायल तन मन है सत्ताओ के हाथों युवाओं का होता भविष्य कत्ल है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #lostinthoughts सत्ताओ के हाथों युवा के भविष्य का होता कत्ल है
#lostinthoughts सत्ताओ के हाथों युवा के भविष्य का होता कत्ल है
read morepramod malakar
@ हाथों में तलवार थाम लो @ चलो जागो उठो निकलो , हाथों में तलवार थाम लो । तुम्हारा सनातन ख़तरे में है , यही सच है तुम मान लो । कांग्रेस,सपा,राजद और , झामूमो का साथ छोड़ दो। जो धर्म विरोधी है देश विरोधी, उसका राह मोड़ दो। दुनिया से हिन्दू खत्म, पाकिस्तान में हिन्दू खत्म , बंगलादेश में खून बह रहा है। चलो जागो उठो निकलो , हाथों में तलवार थाम लो । कल औरंगजेब बाबर ने मंदिर तोड़ा, आज पाकिस्तान बंगलादेश में टूट रहा है। नहीं जागे तो तुम्हारा खत्म होना तय है, हो रहा भारत इस्लाम मय है । वक्त कम है खून गर्म करो , दिल कठोर करो नहीं नर्म करो। चलो जागो उठो निकलो , हाथों में तलवार थाम लो ।। #################### प्रमोद मालाकार ... 26.11.24 ©pramod malakar #हाथों में तलवार थाम लो ।
हाथों में तलवार थाम लो ।
read moreनवनीत ठाकुर
White कभी करीब आ, धड़कनों में झांक तो सही, इस खामोशी के पीछे की बातें पहचान तो सही। तेरे दावे और वादे हैं बहुत, अब निभा तो सही, क़िस्मत को अपने हाथों में ला, अपना बनाकर देख तो सही। ©नवनीत ठाकुर कभी करीब आ, धड़कनों में झांक तो सही, इस खामोशी के पीछे की बातें पहचान तो सही। तेरे दावे और वादे हैं बहुत, अब निभा तो सही, क़िस्मत को अपने हा
कभी करीब आ, धड़कनों में झांक तो सही, इस खामोशी के पीछे की बातें पहचान तो सही। तेरे दावे और वादे हैं बहुत, अब निभा तो सही, क़िस्मत को अपने हा
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