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Devesh Dixit
उलझा है मन खुद में उलझा है मन खुद में मेरा, कैसे अपनी मैं बात कहूँ। हे शिव जी अब तो कृपा करो, तुमसे ही अब मैं आस करूँ। दुनिया में है ये विष कितना, बिन पिये मुरझा हम तो रहे। बाजू में छूरी हैं रखते, मुख से श्री राम पुकार रहे। अपराधों की है भीड़ लगी, ले खंजर अब वे भोंक रहे। चैनो अमन है कैसे कहें, वे तो विपदा में झोंक रहे। अब कैसे हो विश्वास यहांँ, संशय में जीवन डोल रहा। जो टूट गये विश्वास यहाँ, रिश्तों में है जंग बोल रहा। मानवता को है चोट लगी, शैतानी जज़्बे जाग उठे। संस्कारों की भी बली चढ़ी, अब देख तमाशा भाग उठे। उलझा है मन खुद में मेरा, कैसे अपनी मैं बात कहूँ। हे शिव जी अब तो कृपा करो, तुमसे ही अब मैं आस करूँ। ....................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #उलझा_है_मन_खुद_में #nojotohindi #nojotohindipoetry उलझा है मन खुद में उलझा है मन खुद में मेरा, कैसे अपनी मैं बात कहूँ। हे शिव जी अब तो
#उलझा_है_मन_खुद_में #nojotohindi #nojotohindipoetry उलझा है मन खुद में उलझा है मन खुद में मेरा, कैसे अपनी मैं बात कहूँ। हे शिव जी अब तो #Bhakti #sandiprohila
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सोच (दोहे) सोच-सोच की बात है, कैसा हो व्यवहार। उसको जैसे मापना, वैसा ही उद्गार।। सोच समझ कर ही करें, अपना-अपना काम। हम सब भी यह चाहते, हो खुद का अब नाम।। आती है विपदा बड़ी, हैं सुनते जब बात। चुभते भी फिर शूल हैं, बिगड़े से हालात।। सोच-सोच का फर्क है, समझें कैसे बात। किसके दिल में क्या बसा, जान सकें जज्बात।। सोचूँ अब दिन रात ही, सिमट चुके अरमान। रही नहीं अब लालसा, जीवन से हैरान।। तपती भूमी सा लगे, जीवन का यह रंग। अकसर ही मैं सोचता, क्या जीने का ढंग।। ........................................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #सोच #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry सोच (दोहे) सोच-सोच की बात है, कैसा हो व्यवहार। उसको जैसे मापना, वैसा ही उद्गार।। सोच समझ कर ह
#सोच #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry सोच (दोहे) सोच-सोच की बात है, कैसा हो व्यवहार। उसको जैसे मापना, वैसा ही उद्गार।। सोच समझ कर ह #Poetry #sandiprohila
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White पर्यावरण (दोहे) देखा पर्यावरण को, विचलित होता मीत। नष्ट कर रहा यह सभी, नहीं समझता रीत।। कैसी हालत कर रहे, देखो ये नादान। वृक्ष सभी ये काट कर, बनते हैं अनजान।। दूषित भी ये कर रहे, हम सब की जो शान। इसने ही पाला हमें, ये ही है वरदान।। दाता ने हमको दिया, ये सुन्दर संसार। पाया पर्यावरण को, है अपना शृंगार।। धरती माता रो रहीं, देखा जो ये हाल। मिटता पर्यावरण है, ऐसा फैला जाल।। सोच समझ सब खो चुके, कैसे हों आबाद। बैठे हैं जिस डाल पर, उसे करें बर्बाद।। जीवों को भी हो रही, अब दिक्कत यह खास। भटक रहे वे ग्राम को, रखते उनसे आस।। भोजन की विपदा बड़ी, वो भी हैं भयभीत। मानव संकट है बड़ा, होगी कैसे जीत।। ........................................................ देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #पर्यावरण #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry पर्यावरण (दोहे) देखा पर्यावरण को, विचलित होता मीत। नष्ट कर रहा यह सभी, नहीं समझता रीत।।
#पर्यावरण #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry पर्यावरण (दोहे) देखा पर्यावरण को, विचलित होता मीत। नष्ट कर रहा यह सभी, नहीं समझता रीत।। #Poetry #sandiprohila
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जल संकट (दोहे) जल संकट अब बढ़ चला, रखना जल संभाल। जल बिन वसुधा रो रहीं, जैसे पड़ा अकाल।। जल बिन होती दुर्दशा, समझो तुम नादान। जल ही जीवन है सदा, बनो नहीं अनजान।। व्यर्थ क्यों तुम गँवा रहे, इसी को अमृत जान। इसके बिन विपदा बड़ी, बात यही तू मान।। कहती है सद्भावना, जल ही है वरदान। ईश्वर ने बक्शा इसे, ये सबकी पहचान।। ईश्वर हैं अब क्रोध में, उनकी शक्ति अपार। मानव को समझा रहे, वे ही बारम्बार।। फिर भी ये समझे नहीं, करें वही सब काम। बिन मतलब ये कर रहे, ईश्वर को बदनाम।। कहते हैं सज्जन सभी, जल से ही उद्धार। जल संकट जब से हुआ, देख पड़ रही मार।। ............................................................ देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #जल_संकट #nojotohindi #sandiprohila #दोहे जल संकट (दोहे) जल संकट अब बढ़ चला, रखना जल संभाल। जल बिन वसुधा रो रहीं, जैसे पड़ा अकाल।। जल बिन ह
#जल_संकट #nojotohindi #sandiprohila #दोहे जल संकट (दोहे) जल संकट अब बढ़ चला, रखना जल संभाल। जल बिन वसुधा रो रहीं, जैसे पड़ा अकाल।। जल बिन ह #Poetry
read moreबेजुबान शायर shivkumar
White // हृदय स्पंदन // माॅ शब्द की महिमा का करें विचार... अपना सर्वस्व त्याग कर करती उपकार ! माॅ हर क्षण साथ तुम्हारा हो... गहन तिमिर में तुम उजियारा हो! जीवन की धवल चाॅंदनी का... केवल तुम ही हो सुखद अहसास ! ईश्वर भक्ति में तल्लीन यह संसार.... मगर मातृभक्ति से बड़ा न कोई सुख आगार ! माॅ संसार रचाती हर विपदा से बचाती... पालन - पोषण कर,सद संस्कार प्रदान करती ! माॅं प्रेरणास्रोत - शिक्षा दात्री होती.. जिनके स्पर्श मात्र से बनती नव कृति! जिनकी खुशबू से जीवन बगिया महकती.... वो महकता हुआ पुष्प " माॅं " ही होती ! इसलिए तो माॅं " हृदय स्पंदन " होती ! विश्व की सभी माॅं को "मातृदिवस" पर...मेरा वंदन - अभिनन्दन बारंबार !! ©Shivkumar #mothers_day #motherlove #motherDay #mother❤️ #Mother #mother_Love #motherdayspecial // हृदय स्पंदन // माॅ शब्द की महिमा का करें विचार.
#mothers_day #motherlove #motherDay #Mother❤️ #Mother #mother_Love #motherdayspecial // हृदय स्पंदन // माॅ शब्द की महिमा का करें विचार. #अहसास #शायरी #संसार #संस्कार #mother❤️
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उलझा है मन खुद में उलझा है मन खुद में मेरा, कैसे अपनी मैं बात कहूँ। हे शिव जी अब तो कृपा करो, तुमसे ही अब मैं आस करूँ। दुनिया में है ये विष कितना, बिन पिये मुरझा हम तो रहे। बाजू में छूरी हैं रखते, मुख से श्री राम पुकार रहे। अपराधों की है भीड़ लगी, ले खंजर अब वे भोंक रहे। चैनो अमन है कैसे कहें, वे तो विपदा में झोंक रहे। अब कैसे हो विश्वास यहांँ, संशय में जीवन डोल रहा। जो टूट गये विश्वास यहाँ, रिश्तों में है जंग बोल रहा। मानवता को है चोट लगी, शैतानी जज़्बे जाग उठे। संस्कारों की भी बली चढ़ी, अब देख तमाशा भाग उठे। उलझा है मन खुद में मेरा, कैसे अपनी मैं बात कहूँ। हे शिव जी अब तो कृपा करो, तुमसे ही अब मैं आस करूँ। ....................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #उलझा_है_मन_खुद_में #nojotohindi #nojotohindipoetry उलझा है मन खुद में उलझा है मन खुद में मेरा, कैसे अपनी मैं बात कहूँ। हे शिव जी अब तो
#उलझा_है_मन_खुद_में #nojotohindi #nojotohindipoetry उलझा है मन खुद में उलझा है मन खुद में मेरा, कैसे अपनी मैं बात कहूँ। हे शिव जी अब तो #Poetry #sandiprohila
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जिसकी पूजा नवरात्रि के ,पांचवें दिन होती है । जिसके समान ,सर्वशक्तिमान कोई दूज नहीं है ।। कमल आसन पर विराजती, सिंह जिनकी सवारी है। होंठों पर मृदुल मुस्कान , अदम्य साहसी नारी है ।। माता पार्वती ने धारण , वो पांचवां रुप मां का किया । पुत्र स्कंद को शिक्षित करने हेतु , स्कंदमाता बनी ।। तारकासुर के अत्याचारों से , जब जग त्रस्त हुआ । इंद्रादिक देवगण स्वर्ग छोड़े , उससे परास्त हुए ।। उसे शिवपुत्र के हाथों वध का , उनको वरदान मिला था । तब शिवपुत्र के रूप में , अवतार स्कंद का हुआ ।। उसी स्कंद को शिक्षित करने हेतु आई स्कंदमाता । अति सौम्य,अति शक्तिशाली , अति दयालु माता है ।। श्वेत वस्त्र, श्वेत भोग , स्कंदमाता को अति प्रिय है । स्कंदमाता की नवरात्रि के पांचवें दिन पूजा करें ।। हर विपदा दूर होगी , हर मुश्किलें परास्त होगी । मां अपने भक्तों को सदा , आश्वस्त करती है ।। ©Shivkumar #navratri #navratri2024 #नवरात्रि #नवरात्रि2024 जिसकी पूजा नवरात्रि के पांचवें दिन होती है । जिसके समान , #सर्वशक्तिमान कोई दूज नहीं
#navratri #navratri2024 #नवरात्रि #नवरात्रि2024 जिसकी पूजा नवरात्रि के पांचवें दिन होती है । जिसके समान , #सर्वशक्तिमान कोई दूज नहीं #सिंह #भक्ति #कमल #शक्तिशाली #दयालु #स्कंदमाता
read moreबेजुबान शायर shivkumar
ब्रह्माण्ड में चारों तरफ़ सिर्फ अंधकार था व्याप्त। चौथे रुप में माता ने तब किया अण्ड निर्माण।। सभी जीवों और प्राणियों में है मां का तेज। माता के कृपा बिना हो जाते हैं सब निस्तेज।। सारा चराचर जगत है मां के ही माया से मोहित। मां के ही प्रेरणा से होता है जगत में सबका हित।। दिव्य प्रकाश जगत में मां कुष्मांडा फैलाती। ममतामई, करुणामई, कल्याणकारी कहलाती।। सौम्य स्वभाव वाली है मेरी मां अष्टभुजाओंवाली। भक्तों की सारी विपदा दूर करती है महामाई।। जो कोई श्रद्धा भक्ति से मां के शरण में आता। सुख, समृद्धि,धन, सम्पदा बिन मांगे मिल जाता।। ©Shivkumar #navratri #navratrispecial #नवरात्रि #navratri2024 #ब्रह्माण्ड में चारों तरफ़ सिर्फ #अंधकार था व्याप्त । चौथे रुप में माता ने तब किया
#navratri #navratrispecial #नवरात्रि #navratri2024 #ब्रह्माण्ड में चारों तरफ़ सिर्फ #अंधकार था व्याप्त । चौथे रुप में माता ने तब किया #मां #भक्ति #निर्माण #जीवों #महामाई
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