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Funny Singh🐼
Sarika prasad की। सुना है कि दुर्लभ प्रजातियाँ विलुप्त हो रही हैं।😝 अब दुर्लभ प्रजातियां जंगलों में नहीं, सिर्फ चिड़ियाघर में देखने मिलती है।😝 मैं अपनी सरकार से अपील करूँगा कि sarika prasad को चिड़ियाघर में पूर
Seema Katoch
सुना है.... कभी हुआ करते थे डायनासोर कई कई फीट ऊंचे, कौतुहलवश देख ली जुरेसिक पार्क भी.... बाघ भी सुना ख़तम हो रहे हैं संरक्षण को उनके कई कार्यक्रम चल रहे हैं शायद बच ही जाएं... और वो नन्हीं चिड़िया जिसके पर रंग देते थे हम बचपन की मस्ती में, वो भी तो कम हो रही हैं मुहीम चल रही उन्हें भी बचाने की शायद बच ही जाएं... विलुप्त हो रही कुछ और भी हैं प्रजातियां.... जो शायद न बच पाए आने वाले सालों में... जैसे बुआ ,चाची और मासियां देखने उनको जाना पड़ेगा फिर सिनेमा हालों में.... सुना है.... कभी हुआ करते थे डायनासोर कई कई फीट ऊंचे, कोतुहालवश देख ली जुरेसिक पार्क भी.... बाघ भी सुना ख़तम हो रहे हैं संरक्षण को उनके कई
Dr Jayanti Pandey
आज धरती ने एक पत्र लिखा अपने संगी साथियों को अरे वही सब! जो उसकी ही तरह लगा रहे हैं चक्कर बिना रुके हर घड़ी हर पल श्रीमान सूरज देवता जी के जो बनना चाहते हैं पेड़ पौधे पंछी और मनुष्य का घर धरती ने ख़त में अपना हाल बताया है, कैसे क्या क्या उसपर बीत रही है ,सबको बड़े विस्तार से समझाया है बताया कैसे नष्ट हो रहीं प्रजातियां ढेरों एक एक करके कैसे जीने का अधिकार सिर्फ कुछ जीवों ने हथियाया है कैसे सिसक रही हैं सब नदियां, पहाड़ और जंगल सारे अपनी लालच, नफ़रत, ईर्ष्या में मनुष्य ,मनुष्य को मारे जब हरी भरी धरती को बंजर करने में तनिक संकोच नहीं वही ग्रह सुखी हैं जहां अब तक मनुष्य का हस्तक्षेप नहीं इसलिए मेरी स्थिति देखो और जैसे हो वैसे ही रहो मस्त जैसे ही पानी हवा मिलेगी , तुम्हारी दशा भी होगी पस्त हर ऊर्जा का जबरा दोहन करके अपनी शान दिखाते हैं मनुष्य नाम के जीव जहां , हम खुशहाल नहीं रह पाते हैं For easy reading आज धरती ने एक पत्र लिखा अपने संगी साथियों को अरे वही सब! जो उसकी ही तरह लगा रहे हैं चक्कर बिना रुके हर घड़ी हर पल श्रीमान
Harshita Dawar
मैं ख़ुद में तुम ख़ुद में जीना जीता और जीना विवश है किंचित भी स्वीकार ना हो साथ सत्य का देना चाहे सहमत ये संसार ना हो अपने पीछे खड़े अपने मौन धरे अपने है वो कारण कारक खोज हमारी पूंजी समेटी चाहे जीवन हो थोड़ा कर्ज़ चुकाना हैं फर्ज बिका बाज़ारी हो कहने वाले कर्तव्य को सहने वाले मट्टी तक को माथे पर जैसे लेपन है कृताथ मैं बेटी हूं पर प्रभु को ये अर्ज़ करती है अगले जन्म मोहे बिटिया न किजो कीजो जो संसार की कहानी ऐसी स्थिति है वैसी सहमत बराबरी सुचारू प्रत्मिकता में सोच वैसी ही दिजो केहंत कबीर सुनो भाई साधू बात करू क्या बड़ी ये दुनियां मे मेले लगे फिर फिर भी हम सब अकेले खड़े रहन सहन को देते पछाड़ जब कहने को है कथन हज़ार निभाया से दूर नहीं हर देश की कहानी हैं प्रजातियां विलुप्त होती पर जात पात की कहानी हैं सभ्य बन अभय हुए फिर मैं और तुम से हम ज़िंदा है जीवन रोज़ वस्त्र बदलता जीवन मंत्र के अमूल है कुल प्रविष्ठियां प्रमाण यहीं पर तय किया कर्म कर्ण सभी तोल मोल कर बोलो हे पार्थ इनमे ही संतोष अभी ना दुख देना ना लेना ये ज्ञान बहुत गहरा अभी ये मौज मस्ती के दिन कम गीला क्यू करते सभी ये इंसान की योनि मिली अभी तो जीलो जीयो और जीने दो अभी जज़्बात ए हर्षिता मैं ख़ुद में तुम ख़ुद में जीना जीता और जीना विवश है किंचित भी स्वीकार ना हो साथ सत्य का देना चाहे सहमत ये संसार ना हो अपने पीछे खड़े अपने म
Bhaskar Anand
गाँव मे शहर "मुझे पता था ऐसा होने वाला है। जीवन के अंतिम पड़ाव पे सबकुछ शान्त सा दिख रहा था। अभिनय के अंतिम चरण में समय का चक्र गतिमान लग रहा था, और माया
आयुष पंचोली
क्या सच मे होते हैं स्वर्ग या नरक, या यह सिर्फ एक कोरी कल्पना मात्र हैं...!? क्या नरक और स्वर्ग सच मे होते हैं, या यह सिर्फ कोरी कल्पना मात्र हैं..!? यह प्रश्न भी उतनी ही गहन सोच का विषय हैं , जितना की आत्मा। अगर आप म