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Stories related to और उसी का नाटक

dilkibaatwithamit

दिल है उसी के पास,हैं साँसें उसी के पास देखा उसे तो रह गईं आँखें उसी के पास.. बुझने से जिस चराग़ ने इन्कार कर दिया चक्कर लगा रही हैं हवाएँ

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White दिल है उसी के पास,हैं साँसें उसी के पास
देखा उसे तो रह गईं आँखें उसी के पास..

बुझने से जिस चराग़ ने इन्कार कर दिया
चक्कर लगा रही हैं हवाएँ उसी के पास.......✍️

©dilkibaatwithamit
  दिल है उसी के पास,हैं साँसें उसी के पास
देखा उसे तो रह गईं आँखें उसी के पास..

बुझने से जिस चराग़ ने इन्कार कर दिया
चक्कर लगा रही हैं हवाएँ

MD Iftekhar

कहावत कौआ और कान का

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एक बहुत ही पॉपुलर कहावत है
कौआ कान बाला क्या है ये कहावत हमें बताएं

©MD Iftekhar कहावत कौआ और कान का

BANDHETIYA OFFICIAL

#GoodMorning #गलती और पाप का घड़ा 😥

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White कोई घड़ी होती है, बुरा ही बुरा होता है,
ताउम्र चलता है जो, घड़ी का घड़ा होता है,
भरता है पाप जैसे, दर्द वो बड़ा होता है,
टूट ही जाता सपना, बवंडर खड़ा होता है,
झेलो वो पागल सनकी,
करो खूब अपने मन की,
छन छन छनती है वो,
गलती जो होती क्षण की।

©BANDHETIYA OFFICIAL #GoodMorning #गलती और पाप का घड़ा 😥

Parasram Arora

फुल का उदय और अंत

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White जिस फुल को सुबह
 मैंने उगते देखा था 
उसी सांझ उसे मैंने 
मुरझा कर धरती पर 
बिखरते देखा.

और ये भी सच है 
उसी फूल को मैंने सुबह 
हँसते और महकरे हुए 
देखा था  लेकिन 
उसी साँझ उसे मैने 
धरती पर उसे 
दहाड़े मार कर  
रोते हुए भी देखा था

©Parasram Arora  फुल  का उदय और अंत

ranjit Kumar rathour

मै वहीँ और जगह वहीँ (2024 का आखिरी din)

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साल आखिरी दिन था 
अपने सफर से घर कि ओर 
चल पड़ा था 
कि याकयक याद कोई आ गया 
सोचा उसके घर के सामने से जाना है 
देख लेता उसे 
मिल लेता उसे 
करीब से देख लेता 
साल कि आखिरी मुलाक़ात 
सोचता हुआ निकला 
मगर ये कैसे था संभव 
एकाएक दरवाजे से गुजरा 
मेरी बाइक रुक गयी
वो भागी आयी बोली 
बोलिए!क्या कहता 
सो कहा आज़ आखिरी साल है 
कल बदल जायेगा 
तुम 2024 ही रहना 
बदलना नहीं यही कहना था 
हा मिलूंगा कल भी 2025मे 
थोड़ी निखरी निखरी बहकी बहकी 
मिली थी एक अभिवादन था 
जिसमें था हम वहीँ है और वहीँ पर

©ranjit Kumar rathour मै वहीँ और जगह वहीँ 
(2024 का आखिरी din)

Parasram Arora

भक्त और भगवान का रिश्ता

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Unsplash भक्त और भगवान
 का रिश्ता दिख जाता 
है कभी कभी मंदिरो मे 

अच्छा लगता 
भगवान को अगर
 उसे तुमने अपने घर 
बुला कर पूजा होता

©Parasram Arora भक्त और भगवान का रिश्ता

Praveen Jain "पल्लव"

#Likho नीयत और सेवा का भाव हो तो

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पल्लव की डायरी
हर युग मे चलन व्यवस्था का बदला है
कभी समाजिक व्यवस्था का चलन
कभी पंचायते न्याय करती थी
राजा रजवाड़े सब आये और गये
मगर नैतिकता मूल रूप से सर्वोपरि रहती थी
अब लोकतंत्र और संसदीय परम्परा है
प्रतिनिधि सब जनता के होते है
नीयत और सेवा का भाव हो तो
कोई भी व्यवस्था सफल हो सकती है
                                      प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" #Likho नीयत और सेवा का भाव हो तो

Parasram Arora

सभ्यता और सस्रकृति का विषैला धुआँ

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Unsplash सभ्यता क़ी छीद्रित  टोकरी
को उलट कर 
अब न जाने उसमे क्या कुछ संग्रहित करने क़ी चेष्टा क़ी जा रहीं है
 
सस्कृति का धुँवा अब विषैला हो चुका और समपूर्ण राष्ट्र के वातायन को कालीख पोत कर  स्याह करने  क़ी कोशिश क़ी जा रहीं है

इसके बावजूद हमारे राजनेताओं द्वारा ऐसी सभ्यता और संस्कृति को बरकरार रखने क़ी कोशिश क़ी जा रहीं है

©Parasram Arora सभ्यता और सस्रकृति का विषैला धुआँ

Mayuri Bhosale

नाटक

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नाटक....
जीवन आहे एक न संपणार नाटक, 
सगळे लोक असतात याचे पात्र आणि घटक. 
नाटक असते एक रंगभूमी, 
पण कलाकारांची असते ती कर्मभूमी. 
इथे सादर करतात अनेक कला,
प्रश्न व उत्तर यांची मोजली जाते मग तुला. 
कलाकार मंडळी करतात अनेक वेशभूषा,
सादरीकरण असे जणू की न संपणाऱ्या वेड्या आशा.
पडद्यामागच्या लोकांची इथे गोष्ट असते वेगळी, 
पडदा उघडताच समोर येतात रोज नव्या खेळी. 
नाटक आहे सुंदर आयुष्याचे गीत,
शेवटी लोक पाहतात यामध्ये सत्याचीच जीत.
असे हे नाटक कधीही न उलगडणारी कथा, 
सगळ्यांच्याच आयुष्याची असते ही व्यथा.

©Mayuri Bhosale नाटक

Mayuri Bhosale

नाटक

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नाटक....
जीवन आहे एक न संपणार नाटक, 
सगळे लोक असतात याचे पात्र आणि घटक. 
नाटक असते एक रंगभूमी, 
पण कलाकारांची असते ती कर्मभूमी. 
इथे सादर करतात अनेक कला,
प्रश्न व उत्तर यांची मोजली जाते मग तुला. 
कलाकार मंडळी करतात अनेक वेशभूषा,
सादरीकरण असे जणू की न संपणाऱ्या वेड्या आशा.
पडद्यामागच्या लोकांची इथे गोष्ट असते वेगळी, 
पडदा उघडताच समोर येतात रोज नव्या खेळी. 
नाटक आहे सुंदर आयुष्याचे गीत,
शेवटी लोक पाहतात यामध्ये सत्याचीच जीत.
असे हे नाटक कधीही न उलगडणारी कथा, 
सगळ्यांच्याच आयुष्याची असते ही व्यथा.

©Mayuri Bhosale नाटक
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