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हिमांशु Kulshreshtha
White सुना था कभी किसी से जो देर से मिलते हैं दूर तक साथ चलते हैं ©हिमांशु Kulshreshtha सुना था....
Himanshu Prajapati
White अब याद ही नहीं रहता, क्या हुआ था क्यों हुआ था, जो था बुरा था यां अच्छा हुआ था..! ©Himanshu Prajapati #Night अब याद ही नहीं रहता, क्या हुआ था क्यों हुआ था, जो था बुरा था यां अच्छा हुआ था..!
Ganesh Joshi
White वादा था मुकर गया... नशा था उतर गया... दिल था भर गया... इंसान था बदल गया.. ©Ganesh Joshi वादा था मुकर गया... नशा था उतर गया... दिल था भर गया... इंसान था बदल गया.#.SAD #
Himaani
अजीब प्यार था उसका वादे हजार की उसने पर निभा एक ना पाया ©Himaani अजीब प्यार् था
Ashuoffice
Beautiful Moon Night दिल धोके में था और धोकेबाज दिल में था ©Ashuoffice #beautifulmoon दिल धोके में था और धोकेबाज दिल में था
हिमांशु Kulshreshtha
चाहा था उन से कहना तुम बहुत दूर हुए जाते हो, फिर ये सोचा… बहुत दूर हो ही गए तो, अब क्या कहना ©हिमांशु Kulshreshtha चाहा था...
Chinka Upadhyay
माना कि औरों के जितना मैंने पाया नहीं, मगर खुश हूं, कि खुदको गिराकर कुछ उठाया नहीं। ©Chinka Upadhyay खुदको गिराकर कुछ उठाया नहीं। #matangiupadhyay #Nojoto #thought
Guddu Alam
तूने छोड़ा था जहां मेरा वो हाथ अभी भी है वही, चलना तो चाहता हूं आगे बरसात तो है ही नहीं। ©Guddu Alam तूने छोड़ा था
Shashi Bhushan Mishra
जो भी किया वो फर्ज़ था, मुझपर किसीका कर्ज़ था, खाता बही के बिना भी, सब हर्फ़ उसमें दर्ज़ था, उम्मीद से ज्यादा मिला, सच्ची कहूँ क्या हर्ज़ था, तुमने नहीं छोड़ी कमी, मैं ही बड़ा ख़ुदगर्ज था, कोई कहेगा क्या भला? सबसे बड़ा ये मर्ज़ था, मिट जाए मन का अंधेरा, हमने किया ये अर्ज़ था, भर दे वो दामन ख़ुशी से, "गुंजन" निराला तर्ज़ था, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #वो फर्ज़ था#
Ujjwal Kaintura
घर से निकले थे जो घर के, चिराग बनकर । आज खुद रह रहे हैं, किराए के चार कमरों के अंदर । जब हर जिम्मेदारी का बोझ, अपने कंधों पर उन्होंने उठाया था, अपने कई सपनो का गला उन्होने दबाया था। इस फरेबी दुनिया के तानों से, घर के बाहर जाना था। कहा सोचा था फिर, वापस आने का रास्ता फिर कठिन था। घर से निकले थे जो कहकर ! जिम्मेदारी पापा अब हम आपस में बांट लेंगे। भूल गए थे देखना उन नम आंखो में , जिसने पूछा था सवाल ? बेटा कही तुम जाकर वापसी का रास्ता तो ना भूल बैठोगे? ©Ujjwal Kaintura #GingerTea घर से निकले थे जो घर के, चिराग बनकर । आज खुद रह रहे हैं, किराए के चार कमरों के अंदर । जब हर जिम्मेदारी का बोझ, अपने कंधों पर उन्ह