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Parasram Arora
White प्रेम ज़ब भी तुम्हे पुकारे उस पर यकीन करो और उसके पीछे चल पढ़ो लेकिन ेएक बात का ध्यान रझना होगा कि वो प्रेम प्हमारी संमझ को कभी भी चकना चूर कर सकता हैँ वैसे ही जैसे बर्फ़ीली हवा हरे भरे उद्यान को उजाड़ देती हैँ ©Parasram Arora यकीन
यकीन
read moreShubham Bhardwaj
White कल जैसा भी हो,आज से हसीन नही होगा। जिंदगी गुजर जाने के बाद ही शायद यकीन होगा।। ©Shubham Bhardwaj #love_shayari #कल #आज #यकीन
RAMLALIT NIRALA
White वाह रे कलयूग इंसान तो अपनी सारी हद पार कर दी है ईस्टागारम पर एक साथ माँ बाप भाई बहन। वाह रे कलयूग ना लाज लगे ना शर्म लगे यह कैसा कलयूग आया है माँ बाप भाई बहन सब रिश्तो का कदर भुलाया है। पहले ईजत पर्दों में अबतो ईजत पर्दों पे आया है वाह रे कलयूग तेरी माया अब ईसानो पे छाया है जिस बहन की दुपटा सिना से कभी गीरा नहीं बहु के चेहरे घुंघट मे अब तो नाच पर्दों पे आई है वाह रे कलयूग तेरी माया ईसानो पर छाई है ©RAMLALIT NIRALA पैसा कमाने के बहुत तरीके है पर आप पर निर्भर करता है कि आप पैसा कैसे कमाना चाहते हैं
पैसा कमाने के बहुत तरीके है पर आप पर निर्भर करता है कि आप पैसा कैसे कमाना चाहते हैं
read moreRAMLALIT NIRALA
White इन्सान कि सोच क्या है समय ओही दिन रात गर्मी ठंडी बरसात ओही आकाश धरती फसल नदी तलाब नहर ओही ईस प्राकृतिक कि सुंदरता जंगल झाडी झील ओही ईन सभी ने तो ईसानो से सिखा है रंग बदलना मतलबी दुनिया नही दुनिया में बसे लोग हैं ©RAMLALIT NIRALA सोच को बदलो राते अपने आप बदल जायेगे
सोच को बदलो राते अपने आप बदल जायेगे
read moreनवनीत ठाकुर
महफिल में बैठो फक्त, दोस्त के भेष में रकीब की भी जानकारी रखो। मंजिल की तैयारी अधूरी न हो कभी, हार को जीत में बदलने की कलाकारी रखो। हुनर हो हाथों में न कोई, खालिस कुछ कर गुजरने की खुमारी रखो। बात करना किसीसे छोड़ें नहीं, जो अल्फ़ाज़ असर छोड़ जाए, वो समझदारी रखो। लफ्ज़ निकले तो वो शेर सा चमके, शायरी में अपने दिल की अदाकारी रखो। शायरी हो या हो कोई फिक्र-ओ-जुनून, उसमें अपनी असल अदाकारी रखो। कभी न भूलो अपनी राहों का इरादा, मंजिल जो भी हो नज़र शिकारी रखो। सपनों में रंग हो या हकीकत में कोई वीरानी, अपने हौसलों में जीत की सवारी रखो। जो भी करना है, वो पक्की उम्मीद की खुद्दारी रखो। ©नवनीत ठाकुर जीत की तैयारी रखो
जीत की तैयारी रखो
read moreनवनीत ठाकुर
जिन्दगी के उतार-चढ़ाव में नीयत कहीं डोल न जाए, बावजूद इसके कीमत अपनी भारी रखो। जमाने भर की नफ़रतों के बावजूद, मोहब्बत यूं ही जारी रखो। तुमसे बढ़कर कोई नहीं है इस जहाँ में, इसलिए खुद को सबसे खास जारी रखो। अच्छाई के रास्ते पर चलते रहो हर दम, हर उलझन के बावजूद नेकियां जारी रखो। रुख हवा का हो या दुनिया बदल जाए, अपने दिल की आवाज़ भारी रखो। सफेद कपड़ों पर दाग लग न जाए, तबियत अपनी साफ रखो। दब जाना नहीं ऊंची आवाज़ के तले, अलग अपनी एक पहचान रखो। आ जाएं किसी के भी काम, राहत हमेशा सरकारी रखो। बुरा वक्त आए न किसी का, हाथ बढ़ाने में सरदारी रखो। दूसरों के दुःख-सुख में भागीदार बनो, अपने दिल में इंसानियत की सवारी रखो। ©नवनीत ठाकुर #मुहब्बत अपनी जारी रखो
#मुहब्बत अपनी जारी रखो
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