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हिमांशु Kulshreshtha
White सोचता हूँ कभी कभी क्या तुम मेरा इश्क़ थीं या, यूँ ही बस एक इंसानी फ़ितरत पसन्द करना किसी को मोहब्बत के ख्याली पुलाव पकाना ग़र ये, महज़ एक आकर्षण था तेरे मुँह मोड़ने पर भी बाकी क्यूँ है तो क्या है जो अब भी बाकी है मुझ में एक शोर सा, मेरी सांसों की डोर सा क्यों होता है ऐसा… हर बार बेवफ़ा समझ कर सोचता हूँ तुम से दूर जाने को तेरा अक्स मेरी आँखों में उतर आता है मुस्कुरा कर जैसे पूछ रहा हो कैसे हो तुम, जो कहा करते थे आख़िरी साँस तक चाहोगे मुझे तब शर्त कहाँ थी उतना ही चाहोगी तुम मुस्कुराहट तुम्हारी शोर बन कर गूंजने लगती है मेरे भीतर धड़कनें इस क़दर बढ़ जाती है मानो दिल फटने को हो हँसी में घुले सवाल गूंजने लगते हैं मेरे कानों में एक शोर, जो डराने लगता है मुझे हर बार, हर रात मुझे जाग जाता हूँ मैं, भूल कर सारे शिकवे एक और सुबह होती है मुझे याद दिलाने को इश्क़ है मुझे तुम से, रहेगा भी आख़िरी साँस तक इस जन्म, उस जन्म, हर जन्म ©हिमांशु Kulshreshtha सोचता हूँ कभी कभी....
सोचता हूँ कभी कभी....
read moreMahesh Patel
Unsplash सहेली .... कभी-कभी हम यूं ही मुस्कुराया करते... कभी-कभी तुम्हारी बातों को यूं ही सुन लिया करते हैं.. कभी-कभी समझ में भी नहीं आता कि हम तुमसे यूं ही मिला करते हैं.. लाला... ©Mahesh Patel सहेली... कभी-कभी..लाला..
सहेली... कभी-कभी..लाला..
read moreVEER NIRVEL
सबंध अगर हृदय से हो तो मन कभी नहीं भरता... #Veer_Ki_Shayari ©VEER NIRVEL सबंध अगर हृदय से हो तो मन कभी नहीं भरता... #Veer_Ki_Shayari
सबंध अगर हृदय से हो तो मन कभी नहीं भरता... #Veer_ki_Shayari
read moreVEER NIRVEL
सबंध अगर हृदय से हो तो मन कभी नहीं भरता... #Veer_Ki_Shayari ©VEER NIRVEL सबंध अगर हृदय से हो तो मन कभी नहीं भरता...!! 🥀
सबंध अगर हृदय से हो तो मन कभी नहीं भरता...!! 🥀
read moreहिमांशु Kulshreshtha
White कभी कभी तलब में इज़ाफ़ा भी कर देती हैं महरूमियाँ एहसास प्यास का बढ़ जाता है सहरा देख कर ©हिमांशु Kulshreshtha कभी कभी...
कभी कभी...
read moreAnuradha T Gautam 6280
#पसंदीदा_व्यक्ति ना मिले तो अकेले रह जाना लेकिन #विवाह_मत_करना..🖊️#@2🤦🏻🙆🏻♀️
read moreSohrabAlam
Divuu.writes
White कभी कभी यूंही सोचती हूं इतना भी क्या गलत किया था जो इतने यारों से धोखा खाया? इतनी भी क्या दूरी थी जो कोई अपना होकर भी पास न आया?? क्या मिला दिल साफ रख के जब आखिर में खुद को अकेला ही पाया?? कभी कभी यूँही सोचती हूं ए खुदा तूने कोई खुद सा क्यों ना बनाया?? क्यों मेरी बारी पर ही तूने हर किस्से में दर्द सुनाया? ©Divuu.writes #good_night कभी कभी
#good_night कभी कभी
read moreअdiति
कभी चंचल तो कभी उदंड हूं मैं,कभी चिड़िया तो कभी पतंग हूं मैं 🦋💓 Writer poet-Akash kumar Ganesha•~• Prashant Shakun "कातिब" Monu Kumar h
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