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New mahabharat 96 Quotes, Status, Photo, Video

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Rajputana Ayush Singh Chauhan

#snow Writer Abhishek Anand 96 Nîkîtã Guptā

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Unsplash  चलते रहो तुम चलते रहो,
.............................................................
चलते रहो तुम चलते रहो,
सदा फूलों कि तरह खिलते रहो,, 
सीने में आग ले आशाहीनता का परित्याग ले, 
कठिनाईओं को मलते रहो, 
चलते रहो तुम चलते रहो,
 सदा फूलों कि तरह.............।
मसलना चाहेगी तुम्हें ये दुनिया अपने राजनीति के पैरों से, 
पर तुम कर्म करते रहो मतलब न रखो किसी गैरों से,
 बनने के लिए खरा सोना तुम इम्तिहान कि आग में जलते रहो, 
चलते रहो तुम चलते रहो,
 सदा फूलों कि तरह.........।
गिरने से तुम डरो नहीं क्यूंकि रीति है ये सृष्टि का, 
ढल कर उगना फिर चमकना नियम है प्रकृति का,
 सूर्य कि तरह तुम फिर से उगो चाहे कितना भी ढलते रहो, 
चलते रहो तुम चलते रहो, 
सदा फूलों कि तरह.........। 
कोशिशें इक दिन तुम्हारी जरूर निखर जाएगी,
 तुम्हें तुम्हारी सफलता के सिखर तक पहुंचाएगी, 
जीवन में सदा तुम फूलते और फलते रहो,
 चलते रहो तुम चलते रहो,
 सदा फूलों कि तरह खिलते रहो।

©Rajputana Ayush Singh Chauhan #snow  Writer Abhishek Anand 96  Nîkîtã Guptā

Sunita Pathania

NOTHING

neelu

#sad_quotes #yesterday I #Saw a few episodes of the #Mahabharat series and today all I can say is विजय भव .....कल्याण हो.. Thank God...

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White Yesterday I saw a few episodes 
of the Mahabharat series 
and today all I can say is
विजय भव .....कल्याण हो..
Thank God...

©neelu #sad_quotes #Yesterday I #saw a few episodes 
of the #Mahabharat series 
and today all I can say is
विजय भव .....कल्याण हो..
Thank God...

Avinash Jha

कुरुक्षेत्र की धरा पर, रण का उन्माद था,
दोनों ओर खड़े, अपनों का संवाद था।
धनुष उठाए वीर अर्जुन, किंतु व्याकुल मन,
सामने खड़ा कुल-परिवार, और प्रियजन।

व्यूह में थे गुरु द्रोण, आशीष जिनसे पाया,
भीष्म पितामह खड़े, जिन्होंने धर्म सिखाया।
मातुल शकुनि, सखा दुर्योधन का दंभ,
किंतु कौरवों के संग, सत्य का कहाँ था पंथ?

पांडवों के साथ थे, धर्म का साथ निभाना,
पर अपनों को हानि पहुँचा, क्या धर्म कहलाना?
जिनसे बचपन के सुखद क्षण बिताए,
आज उन्हीं पर बाण चलाने को उठाए।

"हे कृष्ण! यह कैसी विकट घड़ी आई,
जब अपनों को मारने की आज्ञा मुझे दिलाई।
क्या सत्य-असत्य का भेद इतना गहरा,
जो मुझे अपनों का ही रक्त बहाए कह रहा?"

अर्जुन के मन में यह विषाद का सवाल,
धर्म और कर्तव्य का बना था जंजाल।
कृष्ण मुस्काए, बोले प्रेम और करुणा से,
"जो सत्य का संग दे, वही विजय का आस है।

हे पार्थ, कर्म करो, न फल की सोच रखो,
धर्म की रेखा पर, अपना मनोबल सखो।
यह युद्ध नहीं, यह धर्म का निर्णय है,
तुम्हारा उद्देश्य बस सत्य का उद्गम है।

©Avinash Jha #संशय
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