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हिमांशु Kulshreshtha
नहीं जानता क्या रिश्ता है मेरी रूह से तुम्हारी रूह का जो भी है ये, मगर खूब है ये अधूरा सा रिश्ता हमारा तन के रिश्ते, ना थे पहचान कभी मेरे इश्क की…. रूहों के मिलन से से होगा नायाब ये अधूरा सा रिश्ता हमारा ©हिमांशु Kulshreshtha क्या रिश्ता है..
क्या रिश्ता है..
read moreहिमांशु Kulshreshtha
White ख़ामोशी की भी अपनी एक जुबां होती है जिसे सुनने समझने का ख़ुलूस सबमें नहीं होता है दर्द और दूरियाँ बढ़ जाए इससे बेहतर होता है रिश्तों में ख़ामोश हो जाना एक जिंदादिल शख्स ख़ामोशी की चादर ओढ़ लेता है तब भी किसी को उसकी चुप्पी पर हैरानी नहीं होती.. वज़ह साफ़ है लोगों ने एहसास करना छोड़ कर ख़ुदी में रहना पसंद कर लिया है ©हिमांशु Kulshreshtha ख़ामोशी...
ख़ामोशी...
read moreBhati
मैंने कुछ कहना चाहा पर फिर लगा जो जान सकता है उनको शब्दों की जरूरत नहीं होती और जो समझ ही नहीं सकते उनके लिए शब्दों का महत्त्व नहीं होता और फिर मैंने कुछ नहीं कहा © Bhati ख़ामोशी एक आवाज़ है
ख़ामोशी एक आवाज़ है
read moreParasram Arora
White धर्म! आखिर ये धर्म है क्या? मैंने तो सिर्फ जीवन को ही जाना है जीवन के अलावा मैंने किसी को नहीं जाना है. और मेरी दृष्टि मे जीवन का अर्थ है. खेत हल कुवा और लहल्हाती फसल जीवन का अर्थ है पत्नी बच्चे और सुखद सफल दाम्पत्य ©Parasram Arora आखिर ये धर्म है क्या?
आखिर ये धर्म है क्या?
read moreMatangi Upadhyay( चिंका )
प्रेम क्या है..? मन की व्यथा जब कहनी ना पड़े, तन की पीड़ा जब बतानी ना पड़े, आँसू गिरे तो किसी की हथेली नर्म कर दे, निगाहें उठे तो गुस्सा शांत कर दे, मन जब उस मुकाम पर किसी के कंधे पर सर रख कर मुस्कुराए और आँखें भीग जाए, वो एहसास वो मुकाम प्रेम है..! ©Matangi Upadhyay( चिंका ) प्रेम क्या है?? #matangiupadhyay #Nojoto
प्रेम क्या है?? #matangiupadhyay
read morekatha Darshan
White धुआं लकड़ी का हो या यादों का आँखे तो जलती ही हैं ©katha Darshan #Nojoto क्या बदलता है ! Katha Darshan
क्या बदलता है ! Katha Darshan
read moreAnuj Ray
खामोशी ने डाले डेरे " ग्रहण लगा है चांद को मेरे, ख़ामोशी ने डाले डेरे, दूर-दूर तक नहीं रोशनी, पसरी है जैसे अंधेरे गहरे। सुर्ख़ होंठ पर पड़ी कालिमा ,मुस्कानों के पड़े हैं टोटे , भंवरों का जीना मुश्किल है, सांझ सवेरे फिरते रोते। ©Anuj Ray # ख़ामोशी ने डाले डेरे "
# ख़ामोशी ने डाले डेरे "
read moreहिमांशु Kulshreshtha
White कभी कभी हमारे पास रंज करने की इतनी वजह होती हैं कि हम उन सब को जी भर सोच लेने के बाद बस ख़ामोश हो जाते हैं महज इसलिए नहीं कि हम समझ नहीं पाते किस बात का शोक मनाया जाए किस बात पर रंज किया जाए इसलिए कि.. ये एक अंतहीन हिस्सा हो गया है हमारी ज़िंदगी का ...। ©हिमांशु Kulshreshtha वज़ह ख़ामोशी की...
वज़ह ख़ामोशी की...
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