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Devanand Jadhav
.......... ©Devanand Jadhav #MahavirJayanti अहिंसा परमो धर्म: ...जगाला शांती, अहिंसा व सत्य यांचा मार्ग दाखविणारे भगवान महावीर हे जैन धर्माचे 24 वे तिर्थकार आहेत...त्य
Shivkumar
White { ∆ कड़क कविता किसी को पता नहीं है, लेकिन मैं इसे साझा कर रहा हूं क्योंकि मैं इस विचार को समझता हूं.. कम शब्दों में बहुत कुछ कहा जाता है ।। ∆ } मेँ भारत देश का रहने वाला हू हाथ में हर चीज़ आयताकार होनी चाहिए....!! ये बिजली कभी नहीं बचाएगी बील लेकिन माफ़ करें...!! मै कोई पेड़ नहीं लगाऊंगा बारिश लेकिन अच्छी...!! कभी शिकायत नहीं करूंगा लेकिन कार्रवाई की तत्काल आवश्यकता है....!! इन नेताओ का रिश्वत के बिना काम नहीं होगा लेकिन भ्रष्टाचार को ख़त्म होना ही चाहिए...!! मैं कचरा खिड़की से बाहर फेंक दूँगा लेकिन शहर में स्वच्छता की जरूरत है....!! मैं काम पर समय व्यतीत करूंगा लेकिन हर साल एक नये वेतन आयोग की जरूरत होती है....!! जाति के नाम पर रियायत मै लूंगा लेकिन यह मेरा देश धर्मनिरपेक्ष होना चाहिए...!! मैं वोट देते समय जाऊंगा लेकिन ये जातिवाद बंद होना चाहिए...!! मैं इस टैक्स भरते समय उन कमियां ढूंढूंगा लेकिन ये विकास को पुरी मजबूती से ,होना या करना चाहिए....!! ©Shivkumar #VoteForIndia #Vote #चुनाव #मतदान #Politics { ∆ कड़क कविता किसी को पता नहीं है, लेकिन मैं इसे साझा कर रहा हूं क्योंकि मैं इस #विचार को
Sangeeta Kalbhor
Life Like जब से मिले हो तुम.. जब से मिले हो तुम हम हमसे ही मिला करते है था एक दिल हमारा हमारे पास वो तुम्हें ही हम दिया करते है क्या थे हम क्या हो गये पूराने थे हम नये हो गये सोचा ना समझा ना जाना तुम्हें दिल अपना पराया कर गये लिखा करते है तुम पर कविता हम हमारे रहे नही बहुत कहनी थी तुमसे तुम्हारी बातें क्या करें हम कहे नही दिल कहे या कहे जान तुम फकत इतना बतला दो गजल लिखना चाहते है तुम पर शेर तो लिख देंगे...तुम मतला दो..... मी माझी..... ©Sangeeta Kalbhor #Lifelike जब से मिले हो तुम हम हमसे ही मिला करते है था एक दिल हमारा हमारे पास वो तुम्हें ही हम दिया करते है क्या थे हम क्या हो गये पूराने थ
Sushma
नये दौर कि नयी सी चाहते हैं, आसमां मे उड़ने कि ...... हम तो जीते उन्हीं पुराने जामाने में, लता मंगेशकर के गाने गुनगुनाते हैं, और रेलगाड़ी कि छुक छुक कहीं जाने कि असली खुशी महसूस कराती है..... ©Sushma #skylining नये दौर कि नयी सी चाहते हैं, आसमां मे उड़ने कि ...... हम तो जीते उन्हीं पुराने जामाने में, लता मंगेशकर के गाने गुनगुनाते हैं,
Pandey Sandeep
फिर लिखेंगे नये सिरे से कहानी अपनी, ये बर्बादियों का दौर है ख़त्म हो जाने दो.. ©Pandey Sandeep फिर लिखेंगे नये सिरे से कहानी अपनी, ये बर्बादियों का दौर है ख़त्म हो जाने दो..
Anil Kumar Singh
Blue Moon 🤙 पैसाऔर कचरा में कोई अंतर नहीं है ,कचरा को कोई अपने आप उठात नही पैसा अपने से कोई फेकता नहीं||💸 ©Anil Kumar Singh #bluemoon#पैसा और कचरा मैं @ Riya
राजकारण
आईनेच पोटच्या लेकरांचं मुंडकं धडावेगळं केलं ©राजकारण सोलापूर/कुईवाडी : घरात सर्वांनी एकत्रितपणे जेवण केले.. आजी-आजोबा एका नातेवाइकांच्या लग्नाला गेले.. सहा वर्षीय चिमुरड्याचे पप्पाही कामानिमित्
Mala Singh
बसंत ऋतु वर्ष का, सबसे सुहावना मौसम होता है, इस मौसम में सब का मन, खुशियों और आनंद से भरा होता है।। ©Mala Singh #hibiscussabdariffa Hardik Mahajan Anju कचरा साफ करो नोजोटो से Shweta Duhan Deshwal
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
कुण्डलिया :- पहले जैसे अब नहीं , होते मयके मान । पर लड़की तो आज भी , इन सबसे अंजान ।। इन सबसे अंजान , खुशी से मयके रहती । भाई-भाभी मातु , उसी के घर को डसती ।। सौहर है चुपचाप , बीवियाँ होती दहले । इसीलिए तो आज ,बीवियाँ बोले पहले ।। बिटिया का घर द्वार वो , पाता नहीं उबार । देती रहती मातु जो , पग-पग नये विचार ।। पग-पग नये विचार , कलह भर घर में होता । मिलता नहीं सकून , बैठकर सौहर रोता ।। मिले नही उपचार , दर्द की खाता टिकिया । खुश होते वो लोग , वहम में रखकर बिटिया ।। पहले कसकर बाँध ले , तू अपने हर छोर । छूट न पाये फिर कभी , जीवन की ये डोर ।। जीवन की ये डोर , हाथ में अपने लेकर । देना सुख की छाँव , यहाँ जो भी हो बेघर ।। लेकिन रख लो याद , नही बनना तुम नहले । ये जग भोलेनाथ , तभी सौपेंगे पहले ।। नहले पे दहला बनो , तभी बनेगी बात । मानेगा संसार भी , तभी तुम्हें दिन रात ।। तभी तुम्हें दिन रात , प्रेम सबसे तुम भरना । बदी करे जब लोग , अँगुलियाँ टेढ़ी करना । बनकर भोले नाथ , करो फिर तांडव पहले ।। फिर मिले समाधान , बनोगे जब तुम दहले ।। सरसों के वह फूल सी , नाजुक लगती आज । करना चाहे हम सदा , दिल में उसके राज ।। दिल में उसके राज , यही हम अभी छुपाएँ । सोच रहा हूँ आज , उसे हम क्यों न बताएँ ।। मन में इतनी चाह , छुपाए कैसे बरसों । आ जाए जो पास , लगे वह नाजुक सरसों ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कुण्डलिया :- पहले जैसे अब नहीं , होते मयके मान । पर लड़की तो आज भी , इन सबसे अंजान ।। इन सबसे अंजान , खुशी से मयके रहती ।