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Devanand Jadhav

#MahavirJayanti अहिंसा परमो धर्म: ...जगाला शांती, अहिंसा व सत्य यांचा मार्ग दाखविणारे भगवान महावीर हे जैन धर्माचे 24 वे तिर्थकार आहेत...त्य #मराठीपौराणिक

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©Devanand Jadhav #MahavirJayanti 
अहिंसा परमो धर्म: ...जगाला शांती, अहिंसा व सत्य यांचा मार्ग दाखविणारे भगवान महावीर हे जैन धर्माचे 24 वे तिर्थकार आहेत...त्य

Shivkumar

VoteForIndia Vote चुनाव मतदान Politics { ∆ कड़क कविता किसी को पता नहीं है, लेकिन मैं इसे साझा कर रहा हूं क्योंकि मैं इस विचार को

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Sangeeta Kalbhor

#Lifelike जब से मिले हो तुम हम हमसे ही मिला करते है था एक दिल हमारा हमारे पास वो तुम्हें ही हम दिया करते है क्या थे हम क्या हो गये पूराने थ #कविता

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Sushma

#skylining नये दौर कि नयी सी चाहते हैं, आसमां मे उड़ने कि ...... हम तो जीते उन्हीं पुराने जामाने में, लता मंगेशकर के गाने गुनगुनाते हैं, #विचार

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Pandey Sandeep

फिर लिखेंगे नये सिरे से कहानी अपनी, ये बर्बादियों का दौर है ख़त्म हो जाने दो.. #Life

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Anil Kumar Singh

#bluemoon#पैसा और कचरा मैं @ Riya #ज़िन्दगी

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Ajay Sonone

❌ खाली वाचु नये❌ #मराठीविचार

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राजकारण

सोलापूर/कुईवाडी : घरात सर्वांनी एकत्रितपणे जेवण केले.. आजी-आजोबा एका नातेवाइकांच्या लग्नाला गेले.. सहा वर्षीय चिमुरड्याचे पप्पाही कामानिमित् #भयकथा

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Mala Singh

#hibiscussabdariffa Hardik Mahajan Anju कचरा साफ करो नोजोटो से Shweta Duhan Deshwal #विचार

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

कुण्डलिया :- पहले जैसे अब नहीं ,  होते मयके मान । पर लड़की तो आज भी , इन सबसे अंजान ।। इन सबसे अंजान , खुशी से मयके रहती । #कविता

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कुण्डलिया :-

पहले जैसे अब नहीं ,  होते मयके मान ।
पर लड़की तो आज भी , इन सबसे अंजान ।।
इन सबसे अंजान , खुशी से मयके रहती ।
भाई-भाभी मातु , उसी के घर को डसती ।।
सौहर है चुपचाप  , बीवियाँ होती दहले ।
इसीलिए तो आज ,बीवियाँ बोले पहले ।।

बिटिया का घर द्वार वो , पाता नहीं उबार ।
देती रहती मातु जो , पग-पग नये विचार ।।
पग-पग नये विचार , कलह भर घर में होता ।
मिलता नहीं सकून , बैठकर सौहर रोता ।।
मिले नही उपचार , दर्द की खाता टिकिया ।
खुश होते वो लोग , वहम में रखकर बिटिया ।।

पहले कसकर बाँध ले , तू अपने हर छोर ।
छूट न पाये फिर कभी , जीवन की ये डोर ।।
जीवन की ये डोर , हाथ में अपने लेकर ।
देना सुख की छाँव , यहाँ जो भी हो बेघर ।।
लेकिन रख लो याद , नही बनना तुम नहले ।
ये जग भोलेनाथ , तभी सौपेंगे पहले ।।

नहले पे दहला बनो , तभी बनेगी बात ।
मानेगा संसार भी , तभी तुम्हें दिन रात ।।
तभी तुम्हें दिन रात , प्रेम सबसे तुम भरना ।
बदी करे जब लोग , अँगुलियाँ टेढ़ी करना ।
बनकर भोले नाथ , करो फिर तांडव पहले ।।
फिर मिले समाधान , बनोगे जब तुम दहले ।।

सरसों के वह फूल सी , नाजुक लगती आज ।
करना चाहे हम सदा , दिल में उसके राज ।।
दिल में उसके राज , यही हम अभी छुपाएँ ।
सोच रहा हूँ आज , उसे हम क्यों न बताएँ ।।
मन में इतनी चाह , छुपाए कैसे बरसों ।
आ जाए जो पास , लगे वह नाजुक सरसों ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कुण्डलिया :-


पहले जैसे अब नहीं ,  होते मयके मान ।

पर लड़की तो आज भी , इन सबसे अंजान ।।

इन सबसे अंजान , खुशी से मयके रहती ।
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