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Stories related to वेनीला पेड़

Bharat Bhushan pathak

#मण्डूक_दोहे#छंद#वृक्ष#पेड़#नोजोटो_हिन्दी hindi poetry on life love poetry in hindi sad urdu poetry poetry deep poetry in urdu मण्डूक दोहे

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मण्डूक दोहे
पृथ्वी धारे तब हमें,काटें जब ना पेड़।
जान लीजिए सूत्र ये,प्राणों के यह मेंड़।।१

माने मेरी बात ये,उपयोगी उपहार।
देते खाना अरु दवा,रोपें वृक्ष हजार।।२

रोपें नित्य पेड़ एक,होता जो फलदार।
पुत्र जैसे ही मानें,सदा करे उपकार।।३


कहे धरा हमको यही,मानो मेरी बात।
वैरी सुन लो ना बनो ,नहीं करो आघात।४

 मेटे जो खुद को यहाँ,हमको देते ठौर।
 भूले न उनको छाँटें ,भोजन जो दे सौर।।५

इनसे ही होता यहाँ,सदा सुखी संसार।
शस्य-श्यामला हो धरा,हरियाली विस्तार।।६

©Bharat Bhushan pathak #मण्डूक_दोहे#छंद#वृक्ष#पेड़#नोजोटो_हिन्दी hindi poetry on life love poetry in hindi sad urdu poetry poetry deep poetry in urdu

मण्डूक दोहे

gudiya

#NatureLove पृथ्वी पृथ्वी तुम घूमती हो तो घूमती चली जाती हो अपने केंद्र पर घूमने के साथ ही एक और केंद्र के चारों ओर घूमते हुए लगातार

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पृथ्वी 
पृथ्वी तुम घूमती हो 
तो घूमती चली जाती हो 

अपने केंद्र पर घूमने के साथ ही 
एक और केंद्र के चारों ओर घूमते हुए लगातार 

क्या तुम्हें चक्कर नहीं आते 
अपने आधे हिस्से में अंधेरा 
और आधे में उजाला लिए 
रात को दिन और दिन को रात करते 
कभी-कभी कांपती हो 
तो लगता है नष्ट कर दोगी अपना सारा घर बार 
अपनी गृहस्थी के पेड़ पर्वत शहर नदी गांव टीले
सभी कुछ को नष्ट कर दोगी 

पृथ्वी क्या तुम कोई स्त्री हो 
तुम्हारी सतह पर कितना जल है
तुम्हारी सतह के नीचे भी जल ही है
लेकिन तुम्हारे गर्भ में
गर्भ के केंद्र में तो अग्नि है 
सिर्फ अग्नि 

पृथ्वी क्या तुम कोई स्त्री हो 

कितने ताप कितने दबाव और कितनी आद्रता
अपने कोयलों को हीरो में बदल देती हो 
किन प्रक्रियाओं से गुजर कर 
कितने चुपचाप 
रतन से ज्यादा रतन के रहस्य से 
भरा है तुम्हारा ह्रदय 

पृथ्वी क्या तुम कोई स्त्री हो 

तुम घूमती हो 
तो घूमती चली जाती हो

-नरेश सक्सेना

©gudiya #NatureLove 
पृथ्वी 
पृथ्वी तुम घूमती हो 
तो घूमती चली जाती हो 

अपने केंद्र पर घूमने के साथ ही 
एक और केंद्र के चारों ओर घूमते हुए लगातार

gudiya

#NatureQuotes #मातृभूमि #nojotohindi nojotophoto #nojoyopoetry आज इस्लाम जब मैं भेजता खड़ा हूं आसमान और धरती के बीच

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Nature Quotes आज इस्लाम जब मैं भेजता खड़ा हूं आसमान और धरती के बीच 
तब तब अचानक मुझे लगता है यही तो तुम हो मेरी मां मेरी मातृभूमि 

धान के पौधों ने तुम्हें इतना ढक दिया है कि मुझे रास्ता तक नहीं सुझता 
और मैं मेले में कोई बच्चे सा दौड़ता हूं तुम्हारी ओर 
जैसे वह समुद्र जो दौड़ता आ रहा है छाती के सारे बटन खोले हाहाता 


और उठती हैं शंख ध्वनि कंधराओं के अंधकार को हिलोडती 
यह बकरियां जो पहली बूंद गिरते ही भाग और छप गई पेड़ की ओट में 

सिंधु घाटी का वह सेंड चौड़े पत्ते वाला जो भीगा जा रहा है पूरी सड़क छेके 
वे मजदूर जो सुख रहे हैं बारिश मिट्टी के ढीले की तरह

 घर के आंगन में वह  नवोढ़ा भीगती नाचती और 
काले पंखों के नीचे कौवों के सफेद रोए तक भीगते 
और इलायची के छोटे-छोटे दाने इतने प्यार से गुथंम गुत्था यह सब तुम ही तो हो 

कई दिनों से भूखा प्यासा तुम्हें ही तो ढूंढ रहा था चारों तरफ
 आज जब भी की मुट्ठी भर आज अनाज भी भी दुर्लभहै 
तब चारों तरफ क्यों इतनी बाप फैल रही है गरम रोटी की 
लगता है मेरी मां आ रही है नकाशी दार रुमाल से ढकी तश्तरी में 

खुबानीनिया अखरोट मखाने और काजू भरे
 लगता है मेरी मां आ रही है हाथ में गर्म दूध का गिलास लिए 
यह सारे बच्चे तुम्हारी रसोई की चौखट पर कब से खड़े हैंमां 
धरती का रंग हरा होता है फिर सुनहला फिर धूसर 
छप्परों से इतना धुआं उठता है और गिर जाता है 
पर वहीं के वहीं हैं घर से निकले यह बच्चेतुम्हारी देहरी पर 
सर टेक सो रहे हैं मां यह बच्चे कालाहांडी के 
यह आंध्र के किसानों के बच्चे यह पलामू के पटन नरोदा पटिया के 

यह यदि यह यतीमअनाथ यह बंदहुआ 
उनके माथे पर हाथ फेर दो मां 
इनके भीगी के सवार दो अपने श्यामलहाथों से 
तुम कितनी तुम किसकी मन हो मेरी मातृभूमि 
मेरे थके माथे पर हाथ फेरती तुम ही तो हो मुझे प्यार से तख्ती और मैं भेज रहा हूं 
नाच रही धरती नाच आसमान मेरी कल पर नाच नाच मैं खड़ा रहा भेजता बीचो-बीच।
-अरुण कमल

©gudiya #NatureQuotes 
#मातृभूमि #Nojoto #nojotoquote #nojotohindi #nojotophoto #nojoyopoetry 
आज इस्लाम जब मैं भेजता खड़ा हूं आसमान और धरती के बीच

gudiya

#love_shayari nojotophoto #nojotohindi #nojotoenglish वह तोड़ती पत्थर; देखा उसे मैं इलाहाबाद के पथ पर - वह तोड़ती प

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White वह तोड़ती पत्थर;
 देखा उसे मैं इलाहाबाद के पथ पर -
वह तोड़ती पत्थर 
कोई ना छायादार 
पेड़ वह जिसके तले बैठी हुई स्वीकार ;
श्याम तन, भर बंधा यौवन,
 नत नयन ,प्रिय-  कर्म -रत मन,
 गुरु हथोड़ा हाथ ,
करती बार-बार प्रहार ;- 
सामने तरु -मालिका अट्टालिका ,प्राकार ।

चढ़ रही थी धूप;
 गर्मियों के दिन 
दिवा का तमतमाता रूप; उठी झुंझलाते हुए लू 

रूई - ज्यों जलती हुई भू
गर्द   चिनगी छा गई,
 प्राय: हुई दुपहर :- 
वह तोड़ती पत्थर !
देखे देखा मुझे तो एक बार 
उस भवन की ओर देखा,  छिन्नतार;
 देखकर कोई नहीं,
 देखा मुझे इस दृष्टि से 
जो मार खा गई रोई नहीं,
 सजा सहज सीतार ,
सुनी मैंने वह नहीं जो थी सुनी झंकार;
 एक क्षण के बाद वह काँपी सुघर,
ढोलक माथे से गिरे  सीकर, लीन होते कर्म में फिर जो कहा -
मैं तोड़ती पत्थर 
                'मैं तोड़ती पत्थर।'
- सूर्यकांत त्रिपाठी निराला

©gudiya #love_shayari 
#Nojoto #nojotophoto #nojotoquote #nojotohindi #nojotoenglish 
वह तोड़ती पत्थर;
 देखा उसे मैं इलाहाबाद के पथ पर -
वह तोड़ती प

बेजुबान शायर shivkumar

" अस्तित्व " सिर्फ़ पेड़ होना ही काफ़ी नहीं घना और विशाल भी बनना पड़ता है। एक वृक्ष को सम्मान पाने के लिए.. नदी नहीं मानी जाती है । न

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"अस्तित्व"

सिर्फ़ पेड़ होना ही काफ़ी नहीं
घना और विशाल भी बनना पड़ता है।

एक वृक्ष को सम्मान पाने के लिए..
नदी नहीं मानी जाती है ।
नदीजब तक प्रवाह में उफ़ान न हो 
और जल में शीतलता नही आती ।

मनुष्य का सिर्फ मनुष्य होना भी काफ़ी नहीं है ।
सत्कार पाने के लिए ज़रूरी है ।
बाहों में बल, चेहरे पर चमक
उच्च कुल, श्रेष्ठ पदनही तो कम से कम पर्याप्त धन ।

नैसर्गिक मनुष्य द्वारा ही बनाए गए समाज में
सिर्फ़ एक नैसर्गिक मनुष्य होने का कोई अस्तित्व नहीं !

©बेजुबान शायर shivkumar " #अस्तित्व "

सिर्फ़ पेड़ होना ही काफ़ी नहीं
घना और विशाल भी बनना पड़ता है।

एक #वृक्ष  को #सम्मान  पाने के लिए..
नदी नहीं मानी जाती है ।
न

Himanshu Prajapati

#Sad_Status जैसे पतझड़ के बाद पेड़ पर नये पत्ते आते हैं, वैसे ही ठोकर खाने के बाद जिंदगी में नये विचार आते हैं..! आज का विचार सुप्रभात स्व

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White जैसे पतझड़ के बाद पेड़ पर 
नये पत्ते आते हैं,
वैसे ही ठोकर खाने के बाद 
जिंदगी में नये विचार आते हैं..!

©Himanshu Prajapati #Sad_Status जैसे पतझड़ के बाद पेड़ पर 
नये पत्ते आते हैं,
वैसे ही ठोकर खाने के बाद 
जिंदगी में नये विचार आते हैं..! आज का विचार सुप्रभात स्व

neelu

#Sad_Status अगर #सब #बोल सकते .. तो क्या क्या बोलते .. तारे क्या बोलते ...#सितारे क्या बोलते सूरज क्या बोलता .....चांद क्या बोलता #बादल कुछ

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White अगर सब बोल सकते .. तो क्या क्या बोलते ..
तारे क्या बोलते ...सितारे क्या बोलते 
सूरज क्या बोलता .....चांद क्या बोलता
बादल कुछ कहता ..तो ..क्या आसमान सुनता 
अगर सब बोल सकते ...तो क्या क्या बोलते ..
पेड़ क्या बोलते .... पक्षी क्या बोलते 
फूल क्या कहता..कपड़ा क्या सुनता
मुड्डा क्या होता ... विचार क्या बोलते हैं
 ye  nojoto aap हर वक्त गुस्से में क्यों रहता
अगर सब बोल सकते .. तो क्या क्या बोलते ..

©neelu #Sad_Status अगर #सब #बोल सकते .. तो क्या क्या बोलते ..
तारे क्या बोलते ...#सितारे क्या बोलते 
सूरज क्या बोलता .....चांद क्या बोलता
#बादल कुछ
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