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कवि आदित्य बजरंगी
अफ़सोस कहा था ना.?? कि भूल जाओगी तुम-मुझे और मेरी इस बात पर तुम अक्सर लड़ा करती थीं, कहा था ना.?? कि तूम थाम लोगी हाथ किसी ओर का, और मेरी इस बात पर तुम घंटो खफा रहती थीं, कहा था ना.?? कि तुम बहुत दूर नही चल पाओगी इश्क की राह पर, और तुम कहती थीं के मेरे पाव नाजुक है दिल नही, तो फिर क्यों ?? तुम आदित्य को छोड़ गयीं....??? क्यों सच कर दिखाया मेरी हर बात को क्यों...?? #वेदर्दी_ #मुहब्बत_धोझा_है
Ravendra
Vikas Sharma Shivaaya'
🙏सुंदरकांड 🙏 दोहा – 20 रावण हनुमानजी की ओर देखकर हँसता है कपिहि बिलोकि दसानन बिहसा कहि दुर्बाद। सुत बध सुरति कीन्हि पुनि उपजा हृदयँ बिसाद ॥20॥ रावण हनुमानजी की और देख कर हँसा और कुछ दुर्वचन भी कहे,परंतु फिर उसे पुत्र का मरण याद आ जानेसे उसके हृदय मे बड़ा संताप पैदा हुआ॥ हनुमानजी और रावण का संवाद रावण हनुमानजी से उनके बारे में पूछता है? कह लंकेस कवन तैं कीसा। केहि कें बल घालेहि बन खीसा॥ की धौं श्रवन सुनेहि नहिं मोही। देखउँ अति असंक सठ तोही॥ रावण ने हनुमानजी से कहा कि हे वानर!तू कौन है और कहां से आया है?और तूने किसके बल से मेरे वनका विध्वंस कर दिया है॥मैं तुझे अत्यंत निडर देख रहा हूँ।क्या तूने कभी मेरा नाम अपने कानों से नहीं सुना है?॥ हनुमानजी श्री राम के बारे में बताते है मारे निसिचर केहिं अपराधा। कहु सठ तोहि न प्रान कइ बाधा॥ सुनु रावन ब्रह्मांड निकाया। पाइ जासु बल बिरचति माया॥ तुझको हम नहीं मारेंगे, परन्तु सच कह दे कि तूने हमारे राक्षसों को किस अपराध के लिए मारा है?रावण के ये वचन सुनकर हनुमानजी ने रावण से कहा कि हे रावण! सुन,यह माया (प्रकृति) जिस परमात्माके बल (चैतन्य शक्ति) को पाकर अनेक ब्रम्हांड समूह रचती है॥ श्री राम का बल और सामर्थ्य जाकें बल बिरंचि हरि ईसा। पालत सृजत हरत दससीसा॥ जा बल सीस धरत सहसानन। अंडकोस समेत गिरि कानन॥ जिसके बल से ब्रह्मा, विष्णु और महेश ये तीनो देव जगत को रचते है,पालते है और संहार करते है॥और जिनकी सामर्थ्य से शेषजी अपने सिर पर वन और पर्वतों सहित इस सारे ब्रम्हांड को धारण करते है॥ भगवान राम के अवतार का कारण धरइ जो बिबिध देह सुरत्राता। तुम्ह से सठन्ह सिखावनु दाता॥ हर कोदंड कठिन जेहिं भंजा। तेहि समेत नृप दल मद गंजा॥ और जो देवताओ के रक्षा के लिए और तुम्हारे जैसे दुष्टो को दंड देने के लिए अनेक शरीर (अवतार) धारण करते है॥जिसने महादेवजी के अति कठिन धनुष को तोड़ कर तेरे साथ तमाम राजसमूहो के मद को भंजन किया (गर्व चूर्ण कर दिया) है॥ खर दूषन त्रिसिरा अरु बाली। बधे सकल अतुलित बलसाली॥ और जिन्होने खर, दूषण, त्रिशिरा और बालि ऐसे बड़े बलवाले योद्धओको मारा है॥ श्री राम, जय राम, जय जय राम आगे शनिवार को...., श्री राम, जय राम, जय जय राम विष्णु सहस्रनाम (एक हजार नाम) आज 789 से799 नाम 789 कृतागमः जिन्होंने वेदरूप आगम बनाया है 790 उद्भवः जिनका जन्म नहीं होता 791 सुन्दरः विश्व से बढ़कर सौभाग्यशाली 792 सुन्दः शुभ उंदन (आर्द्रभाव) करते हैं 793 रत्ननाभः जिनकी नाभि रत्न के समान सुन्दर है 794 सुलोचनः जिनके लोचन सुन्दर हैं 795 अर्कः ब्रह्मा आदि पूजनीयों के भी पूजनीय हैं 796 वाजसनः याचकों को वाज(अन्न) देते हैं 797 शृंगी प्रलय समुद्र में सींगवाले मत्स्यविशेष का रूप धारण करने वाले हैं 798 जयन्तः शत्रुओं को अतिशय से जीतने वाले हैं 799 सर्वविज्जयी जो सर्ववित हैं और जयी हैं 🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' 🙏सुंदरकांड 🙏 दोहा – 20 रावण हनुमानजी की ओर देखकर हँसता है कपिहि बिलोकि दसानन बिहसा कहि दुर्बाद। सुत बध सुरति कीन्हि पुनि उपजा हृदयँ बिसाद ॥2