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sanju पहाड़ी
White 🤍 कौन मैं, कौंन तू 🤍 जानता हूं परेशान मैं ही नहीं, आप भी नजर आते हो दिल में भरी बातों को,दिल में ही दफ्फन कर जाते हो कब तक खुद को, यूं ही सजा देते रहोगे कभी अपने फेसलों पर, मुड़कर के तो देखो मिलेंगें राह में, अनेकों हसीन चेहरे कभी इस मासूम चेहरे की, तरफ भी तो देखो मालूम नहीं, किस बात को दिल से लगा बैठे हो अनसुनी कहानियों पर, पर्दा डालकर के तो देखो आसान नहीं है, रिश्ते को कामयाबी की ओर देखना लोगो के नजरिया को, नजरअंदाज करके तो देखो कभी खुद के, दिल से पूछ्कर के देखना कौन मै कौन तू ,जरा ये दिल से पूछ करके तो देखो यूं ही न जाने देना, इस अटूट रिश्ते को दो आत्माओं के बन्धन में ,साथ देकर के तो देखो ©sanju पहाड़ी #कौन मैं,कौन तू
#कौन मैं,कौन तू
read moreSurinder Kumari
नानक नाम चढदी कला तेरे भाने सरबत दा भला ©Surinder Kumari गुरु Mahima# गुरु पर्व
गुरु Mahima# गुरु पर्व
read moreDinesh Sharma Jind Haryana
गà¥à¤°à¥ वही है जो गुरु वही श्रेष्ठ है जिसकी प्रेरणा से चरित्र श्रेष्ठ हो जाए ©Dinesh Sharma Jind Haryana #गुरु
neelu
White इंसान में दो अच्छी आदतें जरूर होनी चाहिए... कौन सी.... कौन सी ©neelu #Sad_Status #कौन सी #कौन सी
#Sad_Status #कौन सी #कौन सी
read moreवैभव जैन
Red sands and spectacular sandstone rock formations मम गुरु श्री विद्या सिंधु के परम पथ अनुयायी ज्ञान गंगा धार से सतत करते प्रकाश जिनके पाद पद्म में मिले मुझे दिव्य राह गुरु प्रशस्त चरण में वैभव का बारम्बार प्रणाम मेरे उर मे आ बसो मेरे ईश्वर सम गुरु 'वैभव' को न राखियो अपनो से दूर ©वैभव जैन #मम गुरु
#मम गुरु
read moreDR. LAVKESH GANDHI
India quotes हिंदुस्तान कल भी दोगले हिन्दुस्तानियों के कारण हीं हिंदुस्तान गुलाम था और आज भी दोगले हिन्दुस्तानियों के कारण हीं हिंदुस्तान विश्व गुरु नहीं बन पा रहा है | वरना किसी की औकात नहीं कि वह हिंदुस्तान की ओर नजर भी उठा कर देख सके | ©DR. LAVKESH GANDHI # हिंदुस्तान# # विश्व गुरु भारत#
# हिंदुस्तान# # विश्व गुरु भारत#
read moreवैभव जैन
मम गुरु स्वार्थ तज परमार्थ बताया युग से भरा द्वेष मिटाया सत कर्मों के पंथ बताए दिव्य गुरु को प्रणाम हमारा ©वैभव जैन #मम गुरु
#मम गुरु
read moreवैभव जैन
White मम गुरु विद्या गुरु करने चला मैं गुरु अर्चन,अथाह समुद्र समान. छोटी कलशी लिया चला मापने सागर का थाह. विद्यागुरु की चरण वंदना, दे आनन्द अपरंपार वैभव पद मे सर्वांग झुके, खुलें मुक्ति का द्वार. ©वैभव जैन मम गुरु विद्यागुरु
मम गुरु विद्यागुरु
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