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Lalit Saxena
Unsplash मै लिखता हूं.....इसमें तारीफ़ नहीं तारीफ़ तो मेरे बेवफ़ा हालातों की है जो मुझे लिखने के लिए हर पल, हर लम्हा बेताब करते है।।।।। गर ये लम्हे ये हालात ये अफसाने ना होते ..............तो क्या मैं लिखता? कोई कवि, शायर, गजलकार, या फनकार कलम कही पड़ी होती किसी कोने में और कागज़ हवा में उड़ रहे होते कैसा लगता....ख्वाबों में गोते लगाना डूब कर अंधेरों में कही दफ़न हो गए होते। मै लिखता हूं.....इसमें तारीफ़ नहीं!!! ©Lalit Saxena #Book दिल से
#Book दिल से
read moreParasram Arora
Unsplash जिंदगी को अपना समझ कर मैंने उससे गुफफ़्तगू करली और बहूत सारे अपने राज़ भी उससे साझा कर लिए अब पछता रहा हूँ कि कही वो मेरे राज़ सबकेसामने उगल न दे काश जिंदगी मेरी बहरी होती ©Parasram Arora जिंदगी से गुफ़्तगू
जिंदगी से गुफ़्तगू
read moreRAMLALIT NIRALA
White लोग तो लोग जब मैं अपनो को बदलते देखा है साहब तो पैरो तले जमीन खिसक गई जिस तरह बरसात में मोंसम बदलता है पानी में कौई रंग डालो और पानी का रंग बदल जाता है मतलब के दुनियां में ईसांन कम मीलते हैं जनाब किस्मत रंग बदले तो भाग्य बदल देती है अपने रंग बदले तो रूला देते हैं ©RAMLALIT NIRALA दुनिया बदल रहीं हैं साहब खुद को अकेला सिखो
दुनिया बदल रहीं हैं साहब खुद को अकेला सिखो
read mores गोल्डी
"उसके चले जाने के बाद" फिर हमने "मोहब्बत" नहीं की "छोटी सी जिंदगी है" साहब किस किसको "आजमाते" ©s गोल्डी "उसके चले जाने के बाद" फिर हमने "मोहब्बत" नहीं की "छोटी सी जिंदगी है" साहब किस किसको "आजमाते"
"उसके चले जाने के बाद" फिर हमने "मोहब्बत" नहीं की "छोटी सी जिंदगी है" साहब किस किसको "आजमाते"
read moreSarfaraj idrishi
White हम उस मजहब से ताल्लुक रखते है साहब !! जिस को मिटाने में सारा जहां लगा हुआ है !! ©Sarfaraj idrishi #Lion हम उस मजहब से ताल्लुक रखते है साहब !! जिस को मिटाने में सारा जहां लगा हुआ है !! Islam h m alam s शीतल चौधरी(मेरे शब्द संकलन ) Pravee
#Lion हम उस मजहब से ताल्लुक रखते है साहब !! जिस को मिटाने में सारा जहां लगा हुआ है !! Islam h m alam s शीतल चौधरी(मेरे शब्द संकलन ) Pravee
read moreShishpal Chauhan
White अपनी लेखनी से कभी लिखता हूँ, कभी लिखकर मिटाता हूँ । कभी हृदय का प्रेम छुपाता हूँ, कभी सोए हुए को जगाता हूँ । लेकिन मैं सोचता हूँ कि तुमने मेरी लेखनी से प्यार नहीं किया यह तुम्हें मैं क्यों बताता हूँ , तुमने तो मेरे व्यक्तित्व से प्रेम किया; यह सोचकर सहम-सा जाता हूँ । तुम्हें पढ़ने की फुर्सत नहीं है ; यूँ ही दिल को ठेस पहुँचाता हूँ, मुझे वो चेहरा पसंद नहीं है ; केवल दिखावा करता है मैं आपनी लेखनी से ही मन को बहला लिया करता हूँ । अ मेरे जीवन साथी शायद तुम्हें पता ही नहीं मेरी जिंदगी को तुमने कितना बदल दिया सोते हुए नींद में भी लिख लिया करता हूँ , लेकिन तुम्हें क्या फर्क पड़ता है मेरी नींद हराम करने वाली बेकार में ही दिल की धड़कन बढ़ा लिया करता हूँ। तुमने मेरी प्रेम की गहराईयों को समझा ही नहीं तेरी यादों से ही बेरहम अंधेरी रात काट लिया करता हूँ, तुम साथ न दो कोई बात नहीं ; अश्कों को ही स्याही बना लिया करता हूँ। मैं तुमसे मिलने से पहले एक बेजान-सा पुतला था तुमने ही मुझे दिया नाम, पी लिया करता हूँ गमों का जाम। पहचान और शोहरत दी बस तू मेरे साथ रहे यही मैं चाहता हूँ, जैसे सुनार सोने को पिघलाकर आकार देता है तुमने मेरी जिंदगी ही बदल दी तुम से जुदा न हो पाऊँगा बस तुझमें ही खो जाना चाहता हूँ। कितने लोग आए और कितने चले गए कईयों के रिश्ते बिगड़ गए तो कईयों के संवर गए सुख हो दुख हो तुम्हारे संग हर लम्हा बिताना चाहता हूँ, कुछ लोग प्यार की गंभीरता को समझते हैं वे दुनिया को बहुत कुछ दे जाते हैं शायद मैं भी उनमें से एक हूँ अपने मधुर शब्दों से यादें छोड़ देना चाहता हूँ। प्यार में झूठे वायदे झूठी कसमें खाई जाती है उनको निभाता है कोई-कोई ऐसे बंधन में नहीं मैं बंद जाना चाहता हूँ, प्रेम ईश्वर का दिया एक नायाब तोहफ़ा है; उसमें एक अलग खुशबू है अपनी पवित्रता का ख्याल रखना चाहता हूँ । लेखन बयां कर देता है दिल का हाल – चौहान, लेखनी है मेरी जान ।। ©Shishpal Chauhan #मेरी लेखनी से
#मेरी लेखनी से
read moreVEER NIRVEL
उम्र का लिहाज़ काहे करें साहब मोहब्बत में सब कुछ जायज़ है... #Veer_Ki_Shayari ©VEER NIRVEL उम्र का लिहाज़ काहे करें साहब मोहब्बत में सब कुछ जायज़ है... #Veer_Ki_Shayari
उम्र का लिहाज़ काहे करें साहब मोहब्बत में सब कुछ जायज़ है... #Veer_ki_Shayari
read moreMohammad Ibraheem Sultan Mirza
मरकज़ी दफ्तर जमीयत उलमा-ए-हिंद में इमाम मस्जिद-ए-नब्वी शेख़ अब्दुल्लाह बिन अब्दुर्रहमान की हज़रत मौलाना अरशद मदनी साहब से मुलाक़ात, Maulan
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