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Mohd Hasan Ansari
*दोस्त , किताब , रास्ता , और सोच!* *ये चारों जो जीवन में सही मिलें तो,* *ज़िंदगी "निख़र".... जाती है ...* *... वर्ना "बिख़र" ज़ाती है ...* *GOOD MORNING* *दोस्त , किताब , रास्ता , और सोच!* *ये चारों जो जीवन में सही मिलें तो,* *ज़िंदगी "निख़र".... जाती है ...* *... वर्ना "बिख़र" ज़ाती
Ashok Mangal
चार नहीं तो तीन सही ! तीन में भी संभव जम जाये सुकून का दही !! दोस्त किताब रास्ता और सोच ये चारों जो जीवन में सही मिलें तो ज़िंदगी निख़र जाती है वर्ना बिख़र ज़ाती है.... #yqquotes #yqhindi #lifequote
Prakhar Tiwari
Nand-Sugandh
बेकाबू हो जाते हैं ये बेनक़ाब मोहब्बत वाले, कुछ समझते ही नहीं फितूर सिर के चढ़ जाने पे ! इतनी ताल्लुक़ात भी किसी से अच्छी नहीं, जिंदगी गुज़र ज़ाती हैं एक घर को घर बनाने में ! यूं गुमसुम-गुमसुम न रहा करो खुश हो तो खुश हो लो, मिलती हैं खुशियां बेशक दिल से मुस्कुराने पे ! दुनिया बड़ी खूबसूरत हैं सुना करते थे बचपन में, खूबसूरत खूबसूरत रहती है खूबसूरती बनाने से ! कुछ फ़ासले भी जरूरी हैं नजदीकियां बढ़ाने में, उम्र बीत जाती हैं अपनों को अपना बनाने में !! ©NAND बेकाबू हो जाते हैं ये बेनक़ाब मोहब्बत वाले, कुछ समझते ही नहीं फितूर सिर के चढ़ जाने पे ! इतनी ताल्लुक़ात भी किसी से अच्छी नहीं, जिंदगी गुज़
mjmanishjaipal
अगर ख़िलाफ़ हैं होने दो जान थोड़ी है ये सब धुआँ है कोई आसमान थोड़ी है लगेगी आग तो आएँगे घर कई ज़द में यहाँ पे सिर्फ़ हमारा मकान थोड़ी है म
Abhysheq Shukla
मस्जिद तो हुई हासिल तुमको, बस ईमान गंवा बैठे । मंदिर को बचाया तुमने, बस भगवान गंवा बैठे । धरती को जीतकर तुम, चांद सितारों तक पहुंचे । कायनात को जीत लिया, बस इन्सान गंवा बैठे । मजहब के ठेकेदारों ने..आज फिर हमे युं भड़काया । के काजी और पंडित तो जिन्दा थे, पर हम अपनी जान गंवा बैठे । किराएदार हैं ज़ाती मकान थोड़ी है सभी का ख़ून है शामिल यहाँ की मिट्टी में किसी के बाप का हिन्दोस्तान थोड़ी है. Dr. Rahat Indori I am a Hind
Sunil itawadiya
येहिंदुस्तान किसी के बाप का थोड़ी है, कैप्शन पूरा पढ़ें 🙏🏼🙏🏼🙏🏼🍫🍫💐 👇👇 सभी का खून शामिल है यहां की मिट्टी में अरे यह हिंदुस्तान किसी के बाप का थोड़ी है 🙏🏼🙏🏼🙏🏼😷💐😊👍 अगर ख़िलाफ़ हैं होने दो, जान थोड़ी है ये सब
Nand-Sugandh
कुछ फ़ासले भी जरूरी हैं नजदीकियां बढ़ाने में उम्र बीत जाती हैं अपनों को अपना बनाने में ! इतनी ताल्लुक़ात भी किसी से अच्छी नहीं जिंदगी गुज़र ज़ाती हैं एक घर को घर बनाने में ! दुनिया बड़ी खूबसूरत हैं सुना करते थे बचपन में पर खूबसूरत खूबसूरत रहती है खूबसूरती बनाने से ! रहगुज़र ही बनके रह गये रास्ता दिखाने में सादगी भूल जाओ तो मज़ा नहीं है ज़माने में ! ढिंढोरा पीटने से कहां होता हैं इश्क़-मोहब्बत प्यार-करार दिल ख़ुद ढूंढ लेता हैं अपना ख़ुदा चुपके से आशियाने में ! बेकाबू हो जाते हैं ये बेनक़ाब मोहब्बत वाले कुछ समझते ही नहीं फितूर सिर के चढ़ जाने पे! यूं चुप-चुप न रहा करो खुश हो तो खुश हो लो मिलती हैं खुशियां बेशक दिल से मुस्कुराने पे ! कुछ दूरियां भी जरूरी हैं साफ़-साफ़ नज़र आने में रूहें कंप-कंपा जाती हैं किसी अपनों को भुलाने में ! ©NAND कुछ फ़ासले भी जरूरी हैं नजदीकियां बढ़ाने में उम्र बीत जाती हैं अपनों को अपना बनाने में ! इतनी ताल्लुक़ात भी किसी से अच्छी नहीं जिंदगी गुज़
नरेश होशियारपुरी
जब तक है सोच दिल में ऐसी क्या खाक देश बदलेगा। तुम मां को मां नहीं समझते फिर धरती को माँ कौन समझेगा।। आजकल इन गालियों का इस्तेमाल तो इतना खुले आम होता है जैसे सब्जी में नमक मिर्च डाला जाता है. छोटे बड़े का कोई लिहाज़ ही नहीं रहा। यह जुबान आप
एक इबादत
बदलेगा यह ! और इसे बदलना ही होगा, जो कोई गाली दे माँ -बहन को वही खींच कर गाल पर उसके दो लगाना होगा...!! आजकल इन गालियों का इस्तेमाल तो इतना खुले आम होता है जैसे सब्जी में नमक मिर्च डाला जाता है. छोटे बड़े का कोई लिहाज़ ही नहीं रहा। यह जुबान आप