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Shravan Goud

भूतप्रेत, तांत्रिक विद्या तमो गुणी पर ज्यादा असर करती है रजोगुणी पर बहुत कम और सतोगुणी पर बिल्कुल नहीं। अब आप ही निर्णय कीजिए कि आपको कैसे र

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भूतप्रेत, तांत्रिक विद्या तमो गुणी पर ज्यादा असर करती है रजोगुणी पर बहुत कम और सतोगुणी पर बिल्कुल नहीं। अब आप ही निर्णय कीजिए कि आपको कैसे रहना है। भूतप्रेत, तांत्रिक विद्या तमो गुणी पर ज्यादा असर करती है रजोगुणी पर बहुत कम और सतोगुणी पर बिल्कुल नहीं। अब आप ही निर्णय कीजिए कि आपको कैसे र

Pnkj Dixit

ॐ सुप्रभात 💐🕉 यत्कर्म कृत्वा कुर्वंश्च करिष्यंश्च लज्जति । तज्ज्ञेयं विदुषा सर्वं तामसं गुणलक्षम् ।। जो कार्य करते हुए एवं करने के प

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Religion ॐ सुप्रभात 💐🕉
 
यत्कर्म कृत्वा कुर्वंश्च करिष्यंश्च लज्जति ।
तज्ज्ञेयं विदुषा सर्वं तामसं गुणलक्षम् ।।

     जो कार्य करते हुए एवं करने के पश्चात् 
तथा भविष्य मे उसे करने के विचार से ही 
मनुष्य में लज्जा का भाव उत्पन्न हो , 
विद्वज्जनों द्वारा उसे  तमोगुणी माना जाता है ।
।।
ॐ वन्दे वेद प्रकाशम् 🚩
जय वैदिक सनातन धर्म संस्कृति🚩
जय हिन्द 🇮🇳 वंदे मातरम् 🇮🇳

🌷👰💓💝 ॐ सुप्रभात 💐🕉
 
यत्कर्म कृत्वा कुर्वंश्च करिष्यंश्च लज्जति ।
तज्ज्ञेयं विदुषा सर्वं तामसं गुणलक्षम् ।।

     जो कार्य करते हुए एवं करने के प

Divyanshu Pathak

Good morning ji 💕☕☕☕🍉🍉🍫🍫😄😋🙏🙏🙏☘🍉🍉🍫💕💕🍨👨🍀🍀🍎 हर व्यक्ति चार स्तर पर जीवन जीता है। ये स्तर हैं—शरीर, बुद्धि, मन और आत्मा। व्यवहार में इनको अलग-अल

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आ पास तेरा दीदार करूँ
दिल में रखलूँ तुझे प्यार करूँ ! Good morning ji 💕☕☕☕🍉🍉🍫🍫😄😋🙏🙏🙏☘🍉🍉🍫💕💕🍨👨🍀🍀🍎
हर व्यक्ति चार स्तर पर जीवन जीता है। ये स्तर हैं—शरीर, बुद्धि, मन और आत्मा। व्यवहार में इनको अलग-अल

Vikas Sharma Shivaaya'

🙏सुन्दरकांड🙏 दोहा – 6 हनुमानजी विभीषण को श्री राम कथा सुनाते है:- तब हनुमंत कही सब राम कथा निज नाम। सुनत जुगल तन पुलक मन मगन सुमिरि गुन ग्रा #समाज

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🙏सुन्दरकांड🙏
दोहा – 6
हनुमानजी विभीषण को श्री राम कथा सुनाते है:-
तब हनुमंत कही सब राम कथा निज नाम।
सुनत जुगल तन पुलक मन मगन सुमिरि गुन ग्राम ॥6॥
विभिषणके ये वचन सुनकर हनुमानजी ने रामचन्द्रजी की सब कथा विभीषण से कही और अपना नाम बताया।

प्रभु राम के नाम स्मरण से, दोनों के मन आनंदित हो जाते है:-
परस्पर की बाते सुनते ही दोनों के शरीर रोमांचित हो गएऔर श्री रामचन्द्रजी का स्मरण आ जाने से दोनों आनंदमग्न हो गए ॥6॥
श्री राम, जय राम, जय जय राम

विभीषण हनुमानजी को अपनी स्थिति बताते है:-
सुनहु पवनसुत रहनि हमारी।
जिमि दसनन्हि महुँ जीभ बिचारी॥
तात कबहुँ मोहि जानि अनाथा।
करिहहिं कृपा भानुकुल नाथा॥
विभीषण कहते है की – हे हनुमानजी!
हमारी रहनी हम कहते है सो सुनो।
जैसे दांतों के बिचमें बिचारी जीभ रहती है,ऐसे हम इन राक्षसोंके बिच में रहते है॥
हे तात! वे सूर्यकुल के नाथ (रघुनाथ),
मुझको अनाथ जानकर कभी कृपा करेंगे?

बिना भगवान् की कृपा के सत्पुरुषों का संग नहीं मिलता:-
तामस तनु कछु साधन नाहीं।
प्रीत न पद सरोज मन माहीं॥
अब मोहि भा भरोस हनुमंता।
बिनु हरिकृपा मिलहिं नहिं संता॥
जिससे प्रभु कृपा करे ऐसा साधन तो मेरे है नहीं।क्योंकि मेरा शरीर तो तमोगुणी राक्षस है,और न कोई प्रभुके चरण कमलों में मेरे मन की प्रीति है॥
परन्तु हे हनुमानजी, अब मुझको इस बात का पक्का भरोसा हो गया है कि,
भगवान मुझ पर अवश्य कृपा करेंगे।क्योंकि भगवान की कृपा बिना सत्पुरुषों का मिलाप नहीं होता॥

हनुमानजी द्वारा प्रभु श्री राम के गुणों का वर्णन:-
प्रभु श्री राम भक्तों पर सदा दया करते है
जौं रघुबीर अनुग्रह कीन्हा।
तौ तुम्ह मोहि दरसु हठि दीन्हा॥
सुनहु बिभीषन प्रभु कै रीती।
करहिं सदा सेवक पर प्रीति॥
रामचन्द्रजी ने मुझ पर कृपा की है इसी से आपने आकर मुझको दर्शन दिए है॥
विभीषणके यह वचन सुनकर हनुमानजीने कहा कि, हे विभीषण! सुनो,प्रभु की यह रीती ही है की वे सेवक पर सदा परमप्रीति किया करते है॥

हनुमानजी कहते है, श्री राम ने वानरों पर भी कृपा की है:-
कहहु कवन मैं परम कुलीना।
कपि चंचल सबहीं बिधि हीना॥
प्रात लेइ जो नाम हमारा।
तेहि दिन ताहि न मिलै अहारा॥
हनुमानजी कहते है की कहो मै कौन सा कुलीन पुरुष हूँ।हमारी जाति देखो (चंचल वानर की),जो महाचंचल और सब प्रकार से हीन गिनी जाती है॥
जो कोई पुरुष प्रातःकाल हमारा (बंदरों का) नाम ले लेवे,तो उसे उस दिन खाने को भोजन नहीं मिलता॥

शनि देव जी का तांत्रिक मंत्र- 
ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः। 
शनि देव महाराज के वैदिक मंत्र- 
ऊँ शन्नो देवीरभिष्टडआपो भवन्तुपीतये। 
शनि देव का एकाक्षरी मंत्र- ऊँ शं शनैश्चाराय नमः। 
शनि देव जी का गायत्री मंत्र- ऊँ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्।

विष्णु सहस्रनाम (एक हजार नाम) आज 255 से 265 नाम 
255 सिद्धिसाधनः सिद्धि के साधक

256 वृषाही जिनमे वृष(धर्म) जोकि अहः (दिन) है वो स्थित है
257 वृषभः जो भक्तों के लिए इच्छित वस्तुओं की वर्षा करते हैं
258 विष्णुः सब और व्याप्त रहने वाले
259 वृषपर्वा धर्म की तरफ जाने वाली सीढ़ी
260 वृषोदरः जिनका उदर मानो प्रजा की वर्षा करता है
261 वर्धनः बढ़ाने और पालना करने वाले
262 वर्धमानः जो प्रपंचरूप से बढ़ते हैं
263 विविक्तः बढ़ते हुए भी पृथक ही रहते हैं
264 श्रुतिसागरः जिनमे समुद्र के सामान श्रुतियाँ रखी हुई हैं
265 सुभुजः जिनकी जगत की रक्षा करने वाली भुजाएं अति सुन्दर हैं

🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' 🙏सुन्दरकांड🙏
दोहा – 6
हनुमानजी विभीषण को श्री राम कथा सुनाते है:-
तब हनुमंत कही सब राम कथा निज नाम।
सुनत जुगल तन पुलक मन मगन सुमिरि गुन ग्रा

Divyanshu Pathak

किसी की समझ में न आए उसी का नाम माया है। जीवन का आधार कामना है और अत्यन्त तीव्र कामना को ही तृषा या तृष्णा कहते हैं। व्यक्ति जैसे-जैसे अपनी #shweta #Priya #komal #Usha #indu

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मन नित्य नया चाहता है।
जो वस्तु प्राप्त नहीं होती
उसके लिए भटकता है।प्राप्त होते ही
उसके प्रति उदासीन भी शीघ्र ही हो जाता है
और फिर नई वस्तु के प्रति दौड़ने लगता है।
मन की कामना ही ईष्र्या और अहंकार का मूल है।
इसी कारण व्यक्ति मर्यादाओं का लंघन करता है।
येन-केन-प्रकारेण प्राप्ति ही उसका लक्ष्य रहता है।
संग्रहण और फिर उसकी सुरक्षा में लगा ही रहता है।
भय की उत्पत्ति का भी यही कारण बनता है। किसी की समझ में न आए उसी का नाम माया है। जीवन का आधार कामना है और अत्यन्त तीव्र कामना को ही तृषा या तृष्णा कहते हैं। व्यक्ति जैसे-जैसे अपनी
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