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vish
मैं ठहरे हुए कुएँ का वो पानी नहीं, जो थम जाऊँ.... मैं बहती नदी की वो धारा हूँ, जो साहिल से टकराकर भी, अपने सागर से मिल जाऊँ.... जिंद़गी ©vish # नदी की वो धारा
# नदी की वो धारा
read moreSarfraj Alam Shayri
Unsplash मतलब के लिए याद करती हैं दुनियां यकीन करो ये वादे कसमें सब झूठे होते है...!! ©Sarfraj Alam Shayri #leafbook मतलब के लिए याद करती हैं दुनियां यकीन करो ये वादे कसमें सब झूठे होते है...!!
#leafbook मतलब के लिए याद करती हैं दुनियां यकीन करो ये वादे कसमें सब झूठे होते है...!!
read moreVs Nagerkoti
Unsplash किसी के साथ मन से जुड़ना और किसी मकसद से जुड़ने मैं धरती आसमान का अंतर है ।जहां आत्मा से जुड़ा हुआ व्यक्ति जीवन से निकलने पर भी यादों से नही निकलता वहां। एक मतलबी इंसान याद तो रहता तो है। लेकिन सिर्फ नफरत के तौर पर । ©Vs Nagerkoti #lovelife मतलब हर रिश्ते नाते को हमेशा के लिए नस्ट करके नफरत को जन्म देता है ।
#lovelife मतलब हर रिश्ते नाते को हमेशा के लिए नस्ट करके नफरत को जन्म देता है ।
read moreSANIR SINGNORI
पराया क्या जाने पीर 'काटली' की कितनी हरी भरी थी वो धरा 'काटली' की पैसे के लालच में आज, साहूकारों ने बेच दी मिट्टी 'काटली' की निकली थी वो तुम्हारी प्यास बुझाने, बुझा दी मानस ने राह 'काटली' की सहस्र जीवों का जीवन थी जो, इंसानों ने छीन ली सांसे 'काटली' की अपनों ने काट दी जड़े 'सानिर' कितनी हरी भरी थी वो धरा 'काटली' की सिर साँटें 'सानिर', तो भी सस्तो जाण, जै बच जाए जान 'काटली' की पराया क्या जाने पीर 'काटली' की कितनी हरी भरी थी वो धरा 'काटली' की . ©SANIR SINGNORI #DesertWalk नदी बचाओ
#DesertWalk नदी बचाओ
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