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नवनीत ठाकुर
कभी जो डर से जूझ रहा था, अब आकाश ने उसे अपनी ओर खींच लिया। कभी जो डर से जूझ रहा था, अब नभ ने उसे अपनी बाहों में समेट लिया। कभी जो डर से जूझ रहा था, अब फलक ने उसे अपनी सीमाओं से परे पहुंचा दिया। कभी जो डर से जूझ रहा था, अब आसमान ने उसे अपनी तरह चमका दिया। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर कभी जो डर से जूझ रहा था, अब आकाश ने उसे अपनी ओर खींच लिया। कभी जो डर से जूझ रहा था, अब नभ ने उसे अपनी बाहों में समेट लिया।
#नवनीतठाकुर कभी जो डर से जूझ रहा था, अब आकाश ने उसे अपनी ओर खींच लिया। कभी जो डर से जूझ रहा था, अब नभ ने उसे अपनी बाहों में समेट लिया।
read moreनवनीत ठाकुर
क़िस्मत नहीं, हमारी चाहत का असर था, जो होने था, वो हमसे होकर गुज़रा था। वक़्त की शाखों पर जो पत्ते झरे थे कभी, वो फिर नई सुबह में मोहब्बत बनकर पिघला था। तेरे बिना जो था खाली, वो तेरा ख्वाब बना, वही ख्वाब अब हमारी हकीकत बनकर उभरा था। रात में जो था नवनीत कभी अधूरा, वो तेरे होने से अब रोशनी बनकर उजला था। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर क़िस्मत नहीं, हमारी चाहत का असर था, जो होने था, वो हमसे होकर गुज़रा था। वक़्त की शाखों पर जो पत्ते झरे थे कभी, वो फिर नई सुबह
#नवनीतठाकुर क़िस्मत नहीं, हमारी चाहत का असर था, जो होने था, वो हमसे होकर गुज़रा था। वक़्त की शाखों पर जो पत्ते झरे थे कभी, वो फिर नई सुबह
read moreबेजुबान शायर shivkumar
"मिलने लगे थे ख्याल किसी से, फिर होगया था प्यार किसी से , हमें उलझनों ने छोड़ा था , होने लगा था भरोसा किसी पे , हमने आखिरकार कर ही दिया इजहार , और आगया इनकार किसी से , हमने तो बस दोस्ती मांगी थी , और वो निभा गए मोहब्बत किसी से, उससे कहना मोहब्बत भी होगई है, ऐसे नहीं ना करते बात किसी से"| ✍️ ©बेजुबान शायर shivkumar "मिलने लगे थे ख्याल किसी से, फिर होगया था प्यार किसी से , हमें उलझनों ने छोड़ा था , होने लगा था भरोसा किसी पे , हमने आखिरकार कर ही दिया इजह
"मिलने लगे थे ख्याल किसी से, फिर होगया था प्यार किसी से , हमें उलझनों ने छोड़ा था , होने लगा था भरोसा किसी पे , हमने आखिरकार कर ही दिया इजह
read moreSANIR SINGNORI
मैं मांगता था दुआ में हर दिन उसे मैं खुदा से अब कुछ नहीं मांगता, . ©SANIR SINGNORI मैं मांगता था दुआ में हर दिन उसे मैं खुदा से अब कुछ नहीं मांगता
मैं मांगता था दुआ में हर दिन उसे मैं खुदा से अब कुछ नहीं मांगता
read moreLili Dey
माना कि तेरे रास्ते और मेरे रास्ते अलग था, मगर एक रोज मुलाक़ात तो हुआ था, दोस्ती भी हुई थी और इश्क भी हुआ था, मेरे इज़हार तुझे नापसंद था और तेरे इनकार मुझे चुभता था, फिर भी हमारे बीच कुछ तो था, मगर यह बता ही नहीं जो था वह क्या था ? ©Lili Dey क्या था
क्या था
read moreF M POETRY
White फिर से दुबारा पाएंगे तुझको ये ख्वाब है.. मिलना था खुश्नसीबी बिछड़ना अज़ाब है.. यूसुफ़ आर खान ल... ©F M POETRY #मिलना था.....
#मिलना था.....
read moreRakesh frnds4ever
White मैं बुरा था या भला था मुझे पता तो ना था मेरी वजह से शहर भर में कोई रुसवा तो ना था किसने चाहा था मुझे,,,,!!???? किसने चाहा था मुझे,,!!???? मैं ये नहीं जानता लेकिन मेरे अलावा कहीं मेरा कोई भी ना था ,... ©Rakesh frnds4ever #मैं #बुरा था या #भला था मुझे पता तो ना था मेरी वजह से शहर भर में कोई #रुसवा तो ना था किसने #चाहा था #मुझे ,,,,!!???? किसने चाहा था मुझे
नवनीत ठाकुर
White हसरतों की चाहत में राहत न मिली, कुदरत ने बख्शी इबादत जो दिली। मोहब्बत का सागर था गहराई से भरा, नफ़रत ने लेकिन उसे टुकड़ों में मरा। शिकायत से बेहतर है करना इनायत, हिदायत के रस्ते पे छोड़ दे सियासत। ©नवनीत ठाकुर मोहब्बत का सागर था गहराई से भरा, नफ़रत ने लेकिन उसे टुकड़ों में मरा।
मोहब्बत का सागर था गहराई से भरा, नफ़रत ने लेकिन उसे टुकड़ों में मरा।
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