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कवि अर्जून सिंह बंजारा
हिंदी साहित्य मंच ©कवि अर्जून सिंह बंजारा कवि अर्जुन सिंह बंजारा कविता आज की पीढ़ी
Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी सर्व व्यापी अहिंसा ही, जग को जीवित कर सकती है लालच की प्रवर्ति विध्वंसक हो चली रुदन जल थल नभ के जीव करते है प्रतिपादित है सिद्धान्त महावीर के जियो और जीने दो का प्रतिफल जीने की चाह जीवो में भर सकती है अणु व्रतों की ओर जीवन मोड़कर परमाणुओं विस्फोटक शक्ति आत्म रूप में भगवत रूप में महावीर बन सकती है जन्म मरण के काल चक्र से मुक्ति हो सकती है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #God अणुव्रतों की ओर जीवन मोड़कर #nojotohindi
Dev Rishi
गुजर गये है गांव से शहर की ओर.... तनख़ा दो से चार हुई है हां शहर की ओर... अपनी मंजिल अक्सर शहर में क्यों मिलती है गांवों की रौनक धुंधली हो चुकी है क्योंकि कि ... सब जा रहा है शहर की ओर ©Dev Rishi #शहर की ओर
HARSH369
मन कि व्यथा मन ही जाने, ना तुम जान सको न मैं जानू क्या मन करवाये क्यू करवाये ये मन ना तुम जान सको ना हि मैं जानू.. बेधड़क बोलता हूं,बेखौफ बोलता हूं रिस्तो के बन्धन को कान्टों पर तोलता हूं जिसके पास जितना पैसा, उसी कि सरकार है बाकि बेकारो के लिये बेकार परिवार है,..! बाकि ये सब क्यूं बनाया भगवान ने ना तुम जान सके ना हि मैं जानू..! मन की व्यथा..मन हि जाने..!! ©SHI.V.A 369 #मन की व्यथा..!! #कविता मन की
चारण गोविन्द
होली बधाइयाँ मिल ले मन से मानवी, कंश रचेगा रात। हर दम बेरंग होलिका, कृष्ण रंग बरसात।। कृष्ण रंग बरसात, बेरंग जीवन रंग ले। दुख पीसे नित दाँत, चोखे सुख के चंग ले।। दो दिन की है दौड़, चख रिश्तों की चासनी। छल नफरत सब छोड़, मिल ले मन से मानवी।। चारण गोविन्द #चारण_गोविन्द की ओर से #Holi #होली के #पर्व की #बधाइयाँ #govindkesher #CharanGovindG
HintsOfHeart.
"दोनों ओर प्रेम पलता है सखि, पतंग भी जलता है हाँ! दीपक भी जलता है! बचकर हाय! पतंग मरे क्या? प्रणय छोड़ कर प्राण धरे क्या? जले नहीं तो मरा करे क्या? क्या यह असफ़लता है? दोनों ओर प्रेम पलता है।"¹ ©HintsOfHeart. #Good_Night 💖 #मैथिलीशरण_गुप्त 1.मैथिलीशरण गुप्त- 'दोनों ओर प्रेम पलता है' कविता का अंश।
pramod malakar
# गांव की ओर चलो # कहां सो गए हो चलो निकलो घर से, गांव की ओर चलो।। आगे बढ़ने को हम हैं तैयार, तुम भी होकर तैयार चलो।। हर घर को साथ जोड़ कर, भारत को तुम संवार चलो। कदम से कदम मिलाकर, लेकर कमल फूल का बयार चलो।। प्रमोद मालाकार है साथ तुम्हारा, लेकर भाजपा का तुम प्रकाश चलो। नरेंद्र मोदी के तुम साथ चलो।। नाराज और बिछड़े को भी, लेकर तुम साथ चलो।। एक हाथ में कमल फूल, दुसरे में तिरंगा थाम चलो। कहां सो गए हो चलो निकलो घर से, गांव की ओर चलो।। ################## प्रमोद मालाकार के सौजन्य से....... ©pramod malakar #गांव की ओर चलो
r̴i̴t̴i̴k̴a̴ shukla
घर से दूर घर की याद बहुत आती है। सुबह तो भाग दौड़ मे निकल जाती, शाम संग यादों का कारवां लाती है, घर से दूर घर की याद बहुत आती है। सब कुछ है इस शहर मे, बस अपनापन नही, कोई अपना नही करवटें बदलती रातों मे माँ की आँचल..। जरा सा तबियत बिगड़ जाने पे, पापा का वो हलचल... गाँव का वो डॉक्टर... जब खाना पकाते वक्त कभी अचानक से जब अंगुली जल जाती है, खाना बन गया है आके खालो ये आवाज कान से होकर आँखों तक आ जाती है... बस मे धक्के खाते वक्त पापा का बाईक से स्कूल छोड़नी याद आती है। बड़े हो जाने पर बचपन की याद सताती है। घर से दूर घर की याद बहुत आती है।। ©r̴i̴t̴i̴k̴a̴ shukla #LongRoad कविता # घर की याद...