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Narayan kharad
सौंदर्य की ताकत उसकी चाहत में है। ©Narayan kharad #हिंदी #विचारधारा
viju patil
राह ढूँडता हुआ अब थक कर बैठा हैं. पेड के छाव में बैठा विचार करता की निकल पडा हूं जिसे ढूँडने उसका अंतीम रस्ता मौत हैं. यह विचार करते देह चल रहा हैं. सास चल रही है.... अंतीम रस्ते से पहले थोडा रूक कर जी रहा हैं मन जिना ही विचार है.... ©viju patil #Trees #हिंदी विचार
Madhu Arora
ज़िन्दगी संवारने को तो* *ज़िन्दगी पड़ी हैं,* *अभी तो बस वो लम्हा संभाल लो* *जहाँ ज़िन्दगी खड़ी है..* ©Madhu Arora #हिंदी#विचार #जिंदगी
viju patil
लौट आना तूम फिरसे हमे साथ घुमना है बादलो के सग असमान को चुमना हैं ओ चाय की प्याली झूटी करणी है.. फिर से bike पर बैठ कर ब्रेक दबाना हैं.... वो मैं पहले बोलू या तुम पहले बोलो इसमे रही वो बात भी तो बतानी हैं.... हर वक्त बीजी.. हो मेरा call उठाती तो नही .. फिर call करके मुझसे कहति हो की missed call बोहत करते हो.... हमरी जुदायी का जश्न बनि तुम्हारी बीदायी ... हमारी प्रेम की सफलता... ही तो प्रेम की विफलता हैं... तुम मेरे भितर से मर चूकी हो ... इसका मातम भी तो मनाना हैं.... लौट आऔ तुम फिरसे एक बार मिलना हैं.... फिरसे साथ घूमना है.... आसमान को भी चुमना हैं ...... ©viju patil #मुलाकात #हिंदी विचार
हिंदीवाले
उनको सबसे ज्यादा आघात इस बात से होता की नाम इस्तेमाल तो हर कोई कर रहा है उनका लेकिन उनके विचारों और मूल्यों की धज्जियां उड़ाकर #राजनीतिक @realtalkwrites #Ambedkar_Jayanti #राजनीतिक #हिंदी #विचार
Lalit Saxena
तुम पूछते हो: ‘आपका धर्म क्या है?’ मैं हिंदू नहीं हूं, मुसलमान नहीं हूं, जैन नहीं हूं, बौद्ध नहीं हूं। मेरा धर्म विशेषण-शून्य है। मैं सिर्फ धार्मिक हूं। मैं इस अस्तित्व को प्रेम करता हूं। इस अस्तित्व में मेरी श्रद्धा है--न किसी मंदिर में, न किसी मस्जिद में, न किसी गिरजे में, न किसी गुरुद्वारे में। शब्दों में मेरा रस नहीं है। बोल रहा हूं तुम्हारे कारण, अन्यथा मौन में मेरा आनंद है। बोल रहा हूं कि तुम्हें भी मौन की तरफ फुसला ले चलूं। और जिन्होंने मुझे सुना है वे मौन की तरफ सरकने शुरू हो गए हैं। जो मुझे समझ रहे हैं वे मौन होते जा रहे हैं। वे जब मुझे सुन रहे हैं तब भी मौन हैं। और तुम पूछते हो: ‘समाज के लिए क्या कुछ नीति-नियमों का आप विधान करेंगे?’ नहीं। बहुत हो चुका नीति-नियमों का विधान। समाज कहां पहुंचा उस विधान से? मैं तो व्यक्ति में भरोसा करता हूं, समाज में मेरा भरोसा नहीं है। मैं व्यक्ति को ज्योति देना चाहता हूं, ध्यान देना चाहता हूं, समाधि देना चाहता हूं। फिर उसी समाधि से जीवन का आचरण निकलना चाहिए। उसी प्रकाश में लोग चलें। उसी प्रकाश को लोग अपने बच्चों को सिखाएं--कैसे पाया जा सकता है। उसी प्रकाश को शिक्षक विद्यार्थियों को समझाएं--कैसे पाया जा सकता है। वही प्रकाश फैले। लेकिन प्रत्येक व्यक्ति को अपने भीतर से जीने की स्वतंत्रता मिले--यही मेरा अभिप्राय है, यही मेरा धर्म है, यही मेरी क्रांति है। समाज नहीं--व्यक्ति मेरा लक्ष्य है। व्यक्ति के प्रति मेरी आत्यंतिक श्रद्धा है। समाज तो कोरा शब्द है, एक संज्ञा मात्र। समाज की कोई सत्ता नहीं है। सत्ता है व्यक्ति की। और व्यक्ति के भीतर ही आत्मा का वास है। व्यक्ति है मंदिर परमात्मा का। वहीं खोजना है और वहीं से जीवन के सारे सूत्र पाने हैं। केवल व्यक्ति महत्वपूर्ण है समाज वर्ग समुदाय केवल राजनीति स्वार्थ पूर्ति के मंच है ©Lalit Saxena #Nojoto #हिंदी #विचार #व्यक्तिगत
viju patil
लबो पर खमोशी छा जाये . या . . . बोलने वाला लाख बोले मगर , जब सुनने कुछ न आये मौनता ही किसिकी ताकत बन जाती हैं फिर से अन्ध्कार ही सब कुछ हर लेता है .. .. बोलना जारी रहना चाहिये.... भले ना कोई सुने..... कोई तो जिन्दा होगा.. जो बोलने वलो की सुने..... ©viju patil #मौन ता... # हिंदी विचार...