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Poet Rahul
White शांतनु राजा की प्रेम और मोह ने पूरा महाभारत कि रचना कि द्रोपदी दो एक हिस्सा मात्र हैं और भीस्म पितामह एक साक्षी ©Poet Rahul #good_evening_images महाभारत का कारण कौन #Mahabharat #Google #vichar
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read moreShalini Nigam
अगर करा सकता है, तो उसे रोक भी सकता है, तय आपको करना है कि "कहां बोलना है कहां चुप रहना" ©Shalini Nigam #मौन #महाभारत #Nojoto #yqdidi #yqbaba #YourQuoteAndMine #thought #Shayari
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read moreSmruti Ranjan Mohanty
White SOMETHING I LOOK AT-79 BY-SMRUTI RANJAN MOHANTY Mothers are alike. My humble regards, Pranam and Naman to all my mothers. MOTHER Mothers never die unless we let them mothers never leave us even if we drive them away mother as love, a feeling, an emotion, a blessing hangs on even after she dies only we are to keep her alive that perennial stream of love deep in our heart in our thoughts, words and deeds and let her flow in our artery and vein and bathe our body and mind again and again What can we give in return nothing whatever we are is because of she her unconditional love, affection dedication and sacrifice never force her away from your life don't deprive yourself of that heaven on earth a beggar you will be an orphan searching for an identity a beast having no human qualities. copyright@Smruti Ranjan Mohanty 3.4.2018 ©Smruti Ranjan Mohanty #summer_vacation SOMETHING I LOOK AT-79 BY-SMRUTI RANJAN MOHANTY Mothers are alike. My humble regards, Pranam and Naman to all my mothers.
#summer_vacation SOMETHING I LOOK AT-79 BY-SMRUTI RANJAN MOHANTY Mothers are alike. My humble regards, Pranam and Naman to all my mothers. #Poetry
read moreArora PR
White एक बार फिर सुनाई पढ़ने लगी है आतत्ताई कोरवो की दहाड़े...... लगता है एक नया महाभरत फिर जन्म लें रहा है लेकिन हथियार दोनों पक्षों के ( तल वार भाले बंदूके और तिर्कमान ) आदि क़ो तो जंग लग चुका है लगता है अब तो केवल रसायनिक हथियारों से ही युद्ध लड़ना पड़ेगा जो सक्षम है आदमी और उसकी आने वाली नस्लों का संहार करने में और ये भी संभावना नही रही कि इस युद्ध में कृष्ण भी आकर भाग लेंगे क्योंकि उनका सुदर्शन चकर भी जंग खाकर तिथि बाहय हो चुका है ©Arora PR महाभारत द्वितीय
महाभारत द्वितीय #कविता
read morerahul_the_adrito_
वसुधा का नेता कौन हुआ? भूखण्ड-विजेता कौन हुआ? अतुलित यश क्रेता कौन हुआ? नव-धर्म प्रणेता कौन हुआ? जिसने न कभी आराम किया, विघ्नों में रहकर नाम किया। जब विघ्न सामने आते हैं, सोते से हमें जगाते हैं, मन को मरोड़ते हैं पल-पल, तन को झँझोरते हैं पल-पल। सत्पथ की ओर लगाकर ही, जाते हैं हमें जगाकर ही। वाटिका और वन एक नहीं, आराम और रण एक नहीं। वर्षा, अंधड़, आतप अखंड, पौरुष के हैं साधन प्रचण्ड। वन में प्रसून तो खिलते हैं, बागों में शाल न मिलते हैं। कङ्करियाँ जिनकी सेज सुघर, छाया देता केवल अम्बर, विपदाएँ दूध पिलाती है लोरी आँधियाँ सुनाती हैं। जो लाक्षा-गृह में जलते हैं, वे ही शूरमा निकलते हैं। बढ़कर विपत्तियों पर छा जा, मेरे किशोर! मेरे ताजा! जीवन का रस छन जाने दे, तन को पत्थर बन जाने दे। तू स्वयं तेज भयकारी है, क्या कर सकती चिनगारी है? ~ रामधारी सिंह दिनकर ©rahul_the_adrito_ #रामधारी_सिंह_दिनकर #महाभारत
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read moremalay_28
White रिश्तों संबंधों धर्मो का बेख़ौफ़ तिज़ारत होता है कृष्ण, अब बिना तुम्हारे ही महाभारत होता है. ©malay_28 #कृष्ण बिना महाभारत
N S Yadav GoldMine
White रानीजी ! यदि मैं उस प्रतिज्ञा को पूर्ण न करता तो सदा के लिये क्षत्रिय-धर्म से गिर जाता पढ़िए महाभारत !! 📒📒 {Bolo Ji Radhey Radhey} महाभारत: स्त्री पर्व पत्र्चदश अध्याय: श्लोक 19-37 {Bolo Ji Radhey Radhey} 📙 रानीजी ! यदि मैं उस प्रतिज्ञा को पूर्ण न करता तो सदा के लिये क्षत्रिय-धर्म से गिर जाता, इसलिये मैंने यह काम किया था। माता गान्धारी ! आपको मुझमें दोष की आशड्bका नहीं करनी चाहिये। पहले जब हम लोगों ने काई अपराध नहीं किया था, उस समय हम पर अत्याचार करने वाले अपने पुत्रों-को तो आपने रोका नही; फिर इस समय आप क्यों मुझ पर दोषा रोपण करती है. 📙 गान्धार्युवाच गान्धारी बोलीं—बेटा ! तुम अपराजित वीर हो। तुमने इन बूढ़े महाराज के सौ पुत्रों को मारते समय किसी एक को भी, जिसने बहुत थोड़ा अपराध किया था, क्यों नहीं जीवित छोड़ दिया ? तात ! हम दोनों बूढ़े हुए। हमारा राज्य भी तुमने छीन लिया। ऐसी दशा में हमारी एक ही संतान को—हम दो अन्धों के लिये एक ही लाठी के सहारे को तुमने क्यों नहीं जीवित छोड़ दिया ? 📙 तात ! तुम मेरे सारे पुत्रों के लिये यमराज बन गये। यदि तुम धर्म का आचरण करते और मेरा एक पुत्र भी शेष रह जाता तो मुझे इतना दु:ख नहीं होता। वैशम्पायन उवाच वैशम्पायन जी कहते हैं-राजन्! भीमसेन से ऐसा कहकर अपने पुत्रों और पौत्रों और पौत्रों के वध से पीडित हुई गान्धारी ने कुपित होकर पूछा—कहॉ है वह राज युधिष्ठिर। 📙 यह सुनकर महाराज युधिष्ठिर कॉंपते हुए हाथ जोड़े उनके सामने आये और बड़ी मीठी वाणी में बोले—देवि ! आपके पुत्रों का संहार करने वाला क्रूरकर्मा युधिष्ठिर मैं हूँ। पृथ्वी भर के राजाओं का नाश कराने में मैं ही हेतु हूँ, इसलिये शाप के योग्य हूँ। 📙 आप मुझे शाप दे दीजिये। मैं अपने सुह्रदों का द्रोही और अविवकी हूँ। वैसे-वैसे श्रेष्ठ सुह्रदों का वधकर के अब मुझे जीवन, राज्य अथवा धनसे कोई प्रयोजन नहीं है’। जब निकट आकर डरे हुए राजा युधिष्ठर ने, ऐसी बातें कहीं, तब गान्धारी देवी जोर-जोर से सॉंस खींचती हुई सिसकने लगीं। वे मुँह से कुछ बोल न सकीं। राजा युधिष्ठिर शरीर को झुकाकर गान्धारी के चरणों पर गिर जाना चाहते थे। 📙 इतने ही में धर्म को जानने वाली दूर-दर्शिनी देवी गान्धारी ने पट्टी के भीतर से ही राजा युधिष्ठिर के पैरों की अगुलियों के अग्रभाग देख लिये। इतने ही से राजा के नख काले पड़ गये। इसके पहले उनके नख बड़े ही सुन्दर और दर्शनीय थे। उनकी यह अवस्था देख अर्जुन भगवान् श्रीकृष्ण के पीछे जाकर छिप गये। 📙 भारत ! उन्हें इस प्रकार इधर-उधर छिपने की चेष्टा करते देख गान्धारी का क्रोध उतर गया और उन्होंने उन सबको स्नेहमयी माता के समान सान्त्वना दी। फिर उनकी आज्ञा ले चौड़ी छाती वाले सभी पाण्ड वन एक साथ वीर जननी माता कुन्ती के पास गये। कुन्ती देवी दीर्घकाल के बाद अपने पुत्रों को देखकर उनके कष्टों का स्मरण करके करुणाbमें डूब गयीं और आचल से मुँह ढककर ऑंसू बहाने लगीं। 📙 पुत्रों सहित ऑंसू बहाकर उन्होंने उनके शरीरों पर बारबार दृष्टिपात किया। वे सभी अस्त्र-शस्त्रों की चोट से घायल हो रहे थे। बारी-बारी से पुत्रों के शरीर पर बारंबार हाथ फेरती हुई कुन्ती दु:खसे आतुर हो उस द्रौपदी के लिय शोक करने लगी, जिसके सभी पुत्र मारे गये थे। इतने में ही उन्होंने देखा कि द्रौपदी पास ही पृथ्वी पर गिरकर रो रही है। 📙 द्रौपद्युवाच द्रौपदी बोली-आयें ! अभिमन्यु सहित वे आपके सभी पौत्र कहॉं चले गये ? वे दीर्घकाल के बाद आयी हुई आज आप तपस्विनी देवी को देखकर आपके निकट क्यों नहीं आ रहे हैं ? अपने पुत्रों से हीन होकर अब इस राज्य से हमें क्या कार्य है ? ©N S Yadav GoldMine #GoodMorning रानीजी ! यदि मैं उस प्रतिज्ञा को पूर्ण न करता तो सदा के लिये क्षत्रिय-धर्म से गिर जाता पढ़िए महाभारत !! 📒📒 {Bolo Ji Radhey Rad
#GoodMorning रानीजी ! यदि मैं उस प्रतिज्ञा को पूर्ण न करता तो सदा के लिये क्षत्रिय-धर्म से गिर जाता पढ़िए महाभारत !! 📒📒 {Bolo Ji Radhey Rad #मोटिवेशनल
read moreDevesh Dixit
जीवन एक बिसात ये जीवन देखो एक बिसात है, जिसमें शतरंज सी हर बात है। फूँक फूँक कर कदम रखना है, आती मुसीबत से भी बचना है। कौन कहाँ पर कब कैसे घेरे, काट कर बातों को वो मेरे। मुझ पर ही हावी हो जाए, काम ऐसा कुछ कर जाए। उलझ जाऊँ मैं तब घेरे में, शतरंज के फैले इस डेरे में। शह-मात का चलन रहा है, देख पानी सा रक्त बहा है। युद्ध छिड़ा धन सम्पत्ति पर, कभी नारी की इज्जत पर। भाई-भाई में द्वेष बड़ा है, देखो कैसे अधर्म अडा़ है। खून के प्यासे दोनों भाई, महाभारत की देते दुहाई। प्रेम भाव सब ख़त्म हुआ है, ये जीवन अब खेल हुआ है। सभ्यता ही सब गई है मारी, बुजुर्गों का जीवन ये भारी। मिले नहीं सम्मान उन्हें अब, संतानें ही विद्रोह करें जब। कलियुग का ये प्रभाव सारा, किसने किसको कैसे मारा। संस्कारों की बलि चढ़ी है, मुश्किल की ही ये घड़ी है। होती है ये अनुभूती ऐसी, शतरंज में दिखती है जैसी। .......................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #जीवन_एक_बिसात #nojotohindi #nojotohindipoetry जीवन एक बिसात ये जीवन देखो एक बिसात है, जिसमें शतरंज सी हर बात है। फूँक फूँक कर कदम रखना ह
#जीवन_एक_बिसात #nojotohindi #nojotohindipoetry जीवन एक बिसात ये जीवन देखो एक बिसात है, जिसमें शतरंज सी हर बात है। फूँक फूँक कर कदम रखना ह #Poetry #sandiprohila
read more||स्वयं लेखन||
तुम्हें अपने अंदर चल रहे विचारों की महाभारत का सारथी स्वयं बनना होगा। ©||स्वयं लेखन|| तुम्हें अपने अंदर चल रहे विचारों की महाभारत का सारथी स्वयं बनना होगा। #achievement #Life #Life_experience #thought #Poetry
तुम्हें अपने अंदर चल रहे विचारों की महाभारत का सारथी स्वयं बनना होगा। #achievement Life #Life_experience #thought Poetry
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