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अरविन्द (Scolgy....)
White किसी से बहुत ज्यादा उम्मीद रख लेना दुख का कारण बनता है । खुद को संयम में बांधकर रखो वास्तविकता का पता खुद ब खुद पता चल जाएगी ।। ©अरविन्द (Scolgy....) #love_shayari IshQपरस्त gaTTubaba Sn Choudhary Anupriya Raj Sabri Extraterrestrial life
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White तुम्हारे होने से लगा जैसे सब है पर आज एहसास हुआ तेरा होना ही दर्द है इसलिए तो वेलेंटाइन क्या हर दिन तेरे बिन गुलाबों सा है ओर अकेलापन जैसे अपना सा है दर्द जैसे हमराही सा है और प्यार तो जैसे कांटों की चुभन सा है मेरा वेलेंटाइन तो मेरा दर्द मेरा अपना सा है ©aditi the writer #Thinking ANOOP PANDEY m raj. g Rajat Bhardwaj Raj Sabri AK Haryanvi
#Thinking ANOOP PANDEY m raj. g Rajat Bhardwaj Raj Sabri AK Haryanvi
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White शादी है या कैदगाह? शादी है या कैदगाह, सवाल ये क्यों है सब पे भारी। चाहे दिल से हो जुड़ी बात, फिर भी ख्यालों में बसी है बीमारी। खुशियों का महल हो सकता है, पर कभी दर्द भी छिपा हो। कभी बेड़ियाँ, कभी दिल का राज़, इन्हीं में फंसा इंसान तो रो हो। मुलायम लम्हें, हंसी की बौछार, पर किसी दिन घुटन सा अहसास। स्वतंत्रता का सपना, फिर टूटे, जब तंग हो जाती है रिश्तों की दीवार। फिर भी, कुछ कहें या न कहें, सच्ची चाहत में बसी है मिठास। शादी है बंधन या स्वतंत्रता, रिश्ते में वो सच दिखता है पास। शादी है या कैदगाह, सिर्फ दिलों की बातों में है फर्क। अगर चाहो, तो प्यार बना सको, नहीं, तो वो सिर्फ बोझ बने सब कुछ। ©aditi the writer #Thinking Raj Sabri Da "Divya Tyagi" AK Haryanvi Natkhat Krishna m raj. g
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White अनमोल है वो वीर हमारे, जो रणभूमि में जय के तारे। मातृभूमि के खातिर बलिदान, रचते हैं अमरता की पहचान। तलवार की धार से जो खेलता, शत्रु के हृदय में भय का तेल भरता। जो बढ़ता है तूफानों से भिड़कर, आंधियों में भी चलता है टिककर। वो रक्त की बूंदों से लिखता इतिहास, हर सांस में बस देश का विश्वास। गर्जना उसकी सिंह समान, झुकाए ना सिर, करे शत्रु परेशान। उसकी कसम है देश की आन, हर कीमत पर रखे भारत महान। चाहे प्राण जाए, पर पीछे ना हटे, रणभूमि में विजय पताका लहराए सटके। उसकी वीरता का कोई मोल नहीं, अनमोल है वो, जैसे सूरज की किरण कहीं। धरती मां के चरणों का श्रृंगार है, हर वीर हमारे लिए अनमोल उपहार है। तो झुके सलाम उसके चरणों में, जिसकी गाथाएं गूंजें अंबरों में। अनमोल वीर हैं जो कुर्बान होते, देश की रक्षा में अपने प्राण देते। अदिति जैन ©aditi the writer #happy रिपब्लिक डे Niaz (Harf) Kumar Shaurya Da "Divya Tyagi" Raj Sabri m raj. g
#Happy रिपब्लिक डे Niaz (Harf) Kumar Shaurya Da "Divya Tyagi" Raj Sabri m raj. g
read moreअरविन्द (Scolgy....)
New Year Resolutions जिंदगी में सिर्फ एक और कोई नहीं बशर्तें इजाज़त उसकी हो।। ©अरविन्द (Scolgy....) #newyearresolutions SEJAL Internet Jockey Anupriya IshQपरस्त Raj Sabri लाइफ कोट्स
#newyearresolutions SEJAL Internet Jockey Anupriya IshQपरस्त Raj Sabri लाइफ कोट्स
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a-person-standing-on-a-beach-at-sunset किसी शाम समन्दर के किनारे शुकून के चार पल बिताते , दो पल मैं ,दो पल तुम अपने मन के हाल जताते। मैं कहता, बिखर रहा हूँ उम्र के थपेड़ों से नाकामयाब होकर, तुम कहते, यूं सिसकियाँ लेके "थक गया हूँ खुद का सब्र आजमाते।। ©अरविन्द (Scolgy....) #SunSet #Love #Life #SAD #Happy #Nojoto Anupriya IshQपरस्त SEJAL Aditya Raj Raj Sabri
aditi the writer
New Year 2025 नव वर्ष में नया दिन ओर नया वक्त नई खुशियां लाया है बस पकड़ो हाथ में ओर जाने न दो। बना के अफसाना आज सब बटोर लाना है।। ©aditi the writer #Newyear2025 Kumar Shaurya Raj Sabri Raman आगाज़
#Newyear2025 Kumar Shaurya Raj Sabri Raman आगाज़
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Unsplash न हो सिद्धि, साधन तो है बुद्धि नहीं, न सही, पर मैंने पाया अपना मन तो है यही बहुत जो इसे सँजोऊ अधिक-हेतु क्यों रोऊँ-धोऊँ सखा, सूत वा दूत न होऊँ पर यह जन प्रभु-जन तो है न हो सिद्धि, साधन तो है! माना मुक्त नहीं हो पाया, खींच मुझे यह बंधन लाया तब भी मेरी ममता-माया मिला मुझे नर-तन तो है न हो सिद्धि, साधन तो है! बाहर भी क्या आज खड़ा मैं काले कोसों दूर पड़ा मैं देख रहा हूँ किंतु बड़ा मैं तेरा खुला भवन तो है न हो सिद्धि, साधन तो है! ©aditi the writer #मैथिली शरण गुप्त Kumar Shaurya Raj Sabri vineetapanchal @it's_ficklymoonlight
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Unsplash न हो सिद्धि, साधन तो है बुद्धि नहीं, न सही, पर मैंने पाया अपना मन तो है यही बहुत जो इसे सँजोऊ अधिक-हेतु क्यों रोऊँ-धोऊँ सखा, सूत वा दूत न होऊँ पर यह जन प्रभु-जन तो है न हो सिद्धि, साधन तो है! माना मुक्त नहीं हो पाया, खींच मुझे यह बंधन लाया तब भी मेरी ममता-माया मिला मुझे नर-तन तो है न हो सिद्धि, साधन तो है! बाहर भी क्या आज खड़ा मैं काले कोसों दूर पड़ा मैं देख रहा हूँ किंतु बड़ा मैं तेरा खुला भवन तो है न हो सिद्धि, साधन तो है! ©aditi the writer #मैथिली शरण गुप्त Kumar Shaurya Raj Sabri vineetapanchal @it's_ficklymoonlight
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Unsplash न हो सिद्धि, साधन तो है बुद्धि नहीं, न सही, पर मैंने पाया अपना मन तो है यही बहुत जो इसे सँजोऊ अधिक-हेतु क्यों रोऊँ-धोऊँ सखा, सूत वा दूत न होऊँ पर यह जन प्रभु-जन तो है न हो सिद्धि, साधन तो है! माना मुक्त नहीं हो पाया, खींच मुझे यह बंधन लाया तब भी मेरी ममता-माया मिला मुझे नर-तन तो है न हो सिद्धि, साधन तो है! बाहर भी क्या आज खड़ा मैं काले कोसों दूर पड़ा मैं देख रहा हूँ किंतु बड़ा मैं तेरा खुला भवन तो है न हो सिद्धि, साधन तो है! ©aditi the writer #मैथिली शरण गुप्त Kumar Shaurya Raj Sabri vineetapanchal @it's_ficklymoonlight
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