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अनुराग चन्द्र मिश्रा
किसान & व्यवस्था ज़िंदगी और ज़िंदगी की राहें भी अजीब हैं, मौसम और मौसमी हवाएं भी अजीब हैं समाज की सामाजिकता सामाजिक नहीं हैं, सरकारी महकमों की व्यवस्था सुचारू नहीं है, राजनीती राजनीतिक किचड़ में धसी पड़ी है, राजनेताओं का नीतियों से कोई मेल नहीं है, देश की जड़ ज़मीन की पैदावार बेमोल पड़ी है, किसान की आमदनी भी सरकारी लाभ का हिस्सा बनी है, देशव्यापी व्यवस्था असल में किसानों के ही पीछे खड़ी हैं| ©अनुराग चन्द्र मिश्रा किसान & व्यवस्था ज़िंदगी और ज़िंदगी की राहें भी अजीब हैं, मौसम और मौसमी हवाएं भी अजीब हैं समाज की सामाजिकता सामाजिक नहीं हैं, सरकारी महकमों
Ashish Verma
मैं हिंदुस्तान हूँ,,,,,, मेरे साथ समय ने कुछ खेल ऐसा खेला है। कि बदलाव के हर दौर में जख्म सिर्फ मैंने झेला है । हिंदुस्तान हूं मैं हर बार राजनीतिक खेल मेरे साथ मेरे अपनों ने ही खेला है बदलाव के हर दौर में मैंने खुद को अकेला देखा है। मैंने हमेशा अपने ही बच्चों को धर्म और जाति के नाम पर लड़ते देखा है। राजनेताओं का ये खेल मैंने हमेशा ही देखा है। हिंदुस्तान हूं मैं मैंने हमेशा अपने बच्चों को राजनीति खेल का हिस्सा बनते देखा है कभी हिंदू को मुस्लिम से तो मुस्लिम को हिंदू से लड़ते देखा है हिंदुस्तान हूं मैं समय का हर जख्म सिर्फ मैंने झेला है। याद रखना मेरे बच्चों के अलावा मैंने कभी राजनेताओं को लड़ते नहीं देखा है बदले की आग में मैंने सिर्फ अपनों को जलते देखा है। मैं हिंदुस्तान हूँ,,,,,, मेरे साथ समय ने कुछ खेल ऐसा खेला है। कि बदलाव के हर दौर में जख्म सिर्फ मैंने झेला है । हिंदुस्तान हूं मैं हर बार रा
Kumar Deprive
सुनते थे बात भ्रष्टाचार का अब बोलबाला है व्यभिचार का कोई मालिश करवा रहा कोई वीडियो बनवा रहा बहू बेटियों के मासूमियत का फायदा उठा रहा किस हद तक गिर गई राजनीति मर गया है राजनेताओं का जमीर कैसे बचेगी बहू बेटियों की आबरू कोई तो आगे आओ राजनीति को स्वच्छ बनाओ करो विश्वास पैदा जनमानस में व्यभिचारियों का डर लोगों के मन से हटाओ गांधी नेहरू के मुल्क को बदनाम न करो जनता से ना सही कम से कम प्रकृति से डरो एक दिन मिट जाओगे पर धरा हिंदुस्तान को बदनाम कर जाओगे ऐसा मत करो नैतिकता के राह पर आगे बढ़ो क्यों बनाते हो अपना रहनुमा वैसे लोगों को जो इंसानियत का लबादा ओढ़े भेड़िए हैं जम्हूरियत पर काला धब्बा मत लगाओ याद करो वैशाली के समृद्ध लोकतंत्र को कृष्ण सुदामा के भाईचारा के मंत्र को कब तक सहेंगे बलात्कारियों के दर्द को खादी कपड़ा पहने दहशत गर्द को एक को पहचानकर सबक सिखा दो फिर से हिंदुस्तान को गौतम बुद्ध के देश बना दो अर्ज कर रहा है गौतम तुम सब से ना चुनेंगे व्यभिचारियों को अब से!!! गौतम द गेम चेंजर सुनते थे बात भ्रष्टाचार का अब बोलबाला है व्यभिचार का कोई मालिश करवा रहा कोई वीडियो बनवा रहा बहू बेटियों के मासूमियत का फायदा उठा रहा किस ह
mamraj
bharat quotes राजनेताओं से निवेदन..... बेशक तुम अपनी तिजोरीया भरते हो- भरो पर इस देश के अच्छे के लिए भी कुछ करो सोने की चिड़िया थी यह जिसे अंग्रेजों ने लूटा पर जो है छूटा उसे मत करो तुम यू भूटा.... #राजनेताओं से निवेदन
Ek villain
बड़े राजनेता अपने हाव-भाव और व्यवहार से यदि कोई उदाहरण प्रस्तुत करते हैं तो उसका संदेश दूर तक जाता है उत्तर प्रदेश में नव निर्वाचित विधायकों के शपथ ग्रहण समारोह में कुछ ऐसे दृश्य देखने को मिले जिन्होंने पूरे सदन के माहौल को ना सिर्फ का सदस्य बनाया बल्कि सदन की गरिमा में चार चांद भी लगा है उदाहरण के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शपथ ग्रहण के बाद नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव का गर्मजोशी से उनका हाथ मिलाना और योगी का उन्हें बाय में हाथ रखना इस बात का प्रतीक ताकि सदन में पक्ष और प्रतिपक्ष दो पहिए हैं और दोनों ही मिलकर से चलाते हैं यही नहीं विधानसभा अध्यक्ष के रूप में सतीश महाना का चुनाव के बाद मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष मिलकर उनकी कुर्सी पर बैठना भी भले ही परंपरा का हिस्सा था मांग संदेश विद्यालय विचार के स्तर पर मुद्दों को लेकर उन्होंने विरोध हो सकता है जबकि जब सदन की मर्यादा की बात हो तो साथ खड़े होने में किसी हिचक नहीं ऐसे ही क्षण हमारी संसदीय परंपरा को स्वस्थ बनाते हैं ©Ek villain #स्वास्थ्य परंपरा राजनेताओं की #writing
Mishra Kaushal
वही पुराना, आजादी का मेला लगा शहीदों का नाम बिका राजनेताओं के द्वार से।। #आजादी #ripublicday2020 वही पुराना, आजादी का मेला लगा शहीदों का नाम बिका राजनेताओं के द्वार से।।
Ek villain
मंगलवार को प्रकाशित दलबदल की बीमारी शीर्षक से प्रकाशित संपादकीय टिप्पणी में एक समाकलन राजनीतिक रुझान का बखूबी चित्रण किया गया है निसंदेह एक आदर्श लोकतंत्र व्यवस्था में यदि मतदाता के पास हुए क्लब है कि वह पसंद से प्रतिनिधि चुन सके तो नेताओं को भी पूरा अधिकार है कि वह राजनीतिक दल के साथ ही रहे जो उनके विचारों और मूल्यों से शाम में रखते हो ऐसे में उनका किसी दूसरे दल में जाना किसी भी दृष्टि से गलत नहीं किंतु जब प्रत्येक अवसर वाद के कारण ऐसा किया जा रहा हो और ऊपर से आकर्षक "में किशन किशन की बहाने बनाए जा रहे हो तो यह न केवल अनैतिक आपूर्ति रहस्य इस पद भी हो जाता है इससे आम जनता का राजनीतिक एवं लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर भरोसा घटता है व्यापक स्तर पर लोकतंत्र का यही आहत होता है कि आखिर क्या कारण है कि 5 साल तक सत्ता सुख भोगने के बाद एक काकी चुनाव वर्ष में नतीजे को अहसास होने लगता है कि वह जिस सरकार में थे उनमें जो जनहित के साथ समझौता हो रहा है यह दोनों बातें एक साथ नहीं हो सकती 5 मिनट पहले कोई नेता जिस दल की गीत गा रहा होता है वही अपने रिश्तेदारों को चुनावी टिकट ना मिलने पर उसी दल को लेकर बेसुरा राग छेड़ देता है इंटरनेट मीडिया के दौरान में भी कुछ किसी से छिपा नहीं रहा सब कुछ एकदम साफ है ऐसे में यह नेता जिस प्रकार चुनाव के ठीक पहले दलबदल करते हैं उसके पीछे की मंशा और नियति भी साफ झलकती है इसमें अनेक विश्वसनीयता घटी है ©Ek villain # दल बदल के बहाने राजनेताओं में #jail
Rabb Da Radio Naeem Mírza
जब तक हमारे देश में लोग जाति धर्म के ऊपर लड़ते रहेंगे तब तक हमारे देश का विकास नहीं हो सकता। देश को बर्बाद करके रख दिया है इन राजनेताओं ने।
Bhaskar Anand