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Vikash kumar

विकास #कविता

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Parasram Arora

विकास.......

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मनुष्य क़े ह्रदय में
मनुशय 
की  आत्मा में
कौनसी ज्योति जगी. हैँ  जिसको
हम विकास  कहें.?

मनुष्य क़े ह्रदय में  कौनसा  आनंद.
सफुरित  हुआ हैँ  जिसको हम विकास कहे.?

मनुष्य  क़े  भीतर क्या  फलित हुआ हैँ
कौनसेफूल  उगे  हैँजिसको
हम विकास  कहे?
(आदमी  इस तथाकथित  विकास क़े नीचे
समाप्त  होता जा रहा हैँ )

©Parasram Arora विकास.......

Vikash Tripathi

विकास #बात

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भला सबका करे उम्मीद सिर्फ ऊपर वाले से करे

©Vikash Tripathi विकास

Datta Dhondiram Daware

विकास #poem

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प्रि-येचा कळाला नाही मला डाव..!
ति-च्या अदाने केला ह्रदयी घाव..!
वि-सरू शकत नाही,मी प्रेमफुला..!
   का-तिल नजरेन केले घायाळ मला..!
स-मस्त काळजात तुझीच छबी..!
चा-हूल लागे मनी गोडगुलाबी..!  
बु-डत्याला दिलास तुच आधार..! 
  क-रू नकोस आता मला निराधार..!
      स्वा-भिमान माझ्या ह्रदयात पेटला..!    
       र-क्ताने माझ्या तुझ्या कपाळी टिळा नटला.! विकास

siddharth vaidya

ना धर्म की सीमा हो,
ना जाति का हो बंधन,
जब वोट करे कोई
तो देखे केवल मन,
राष्ट्र प्रेम जगाकर तुम
मेरी जीत अमर कर दो।।
विकास की गंगा बहाकर तुम,
मेरी प्रीत अमर कर दो।
#विकास

siddharth vaidy #विकास

Yatendra Singh Sikarwar Sonu

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संजय श्रीवास्तव

विकास

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विकास

विकास की इबारत 
चमचमाती सड़के 
क्यूँ रो रही हैं 
थका जिस्म औ
बोझिल सांसे लिये 
जिंदगी सो रही है 
कौन सा सपना 
कौन सी मंजिल 
कुछ भी तो नही 
वक्त के ठेले में 
लगा के पहिया 
खुद को ढो रही है 
क्या करोगे सुनकर 
कहानी उसकी 
रोक सकते हो 
बूढ़ी होती जा रही 
जवानी उसकी 
अरे छोड़ो मियाँ 
चलो चलें वहां 
जहाँ समाजवाद की 
सभा हो रही है। 
समाज के अंतिम व्यक्ति 
की बात करके 
कितनो की आँखे 
खुद को भिगो रही है। 

संजय श्रीवास्तव विकास

Anamika yogi

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Alok

विकास #Society

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Parasram Arora

विकास? #विचार

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किस  विकास की बात करते हो?  कौनसी ज्योति  जगी 
है मनुष्य की आत्मा मे? जिसे हम कह सके
विकास हुआ है
कौनसा आनंद  आ थिरका है? जिसे हम कह सके
विकास  हुआ है
क्या फलित हुआ है मनुष्य के जीवन मे। कौनसे फूल. लगे है?
जिसे हन कह सके विकास हुआ है
मानुष आज भी कोल्हू का बैल बना हुआ  गोल गोल
घूमने के सिवाय कुछ भी नहीं कर रहा है
इसिलए  आज भी  वही खड़ा है जहाँ पहले था
मनुष्य की चेतना आज भी  बंदिनी बनी हु.ई
आदमी आज भी वहशी बना हुआ. खून खराबे की बाते. करता है आये दिन
आज भी उसके जीवन मे  प्रेम  और करुंणा का  दूर दूर तक कोई संबंध नहीं  .. आदमी  सिर्फ सामान बेच रहा है या
सामान बढ़ाने मे लगा है. शांति और प्रेम की गुणवत्ता उसमे आज तक आयी नहीं. सच तों यह है कि विकास की
परिभाषा भी वो आज तक समझा नहीं

©Parasram Arora विकास?
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