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SK Singhania
फ़कीर बन कर तुम उनके दर पर हजार धुनी रामा के बैठो.! जबीं के लिखे को क्या करोगे जबीं का लिखा मिटा के देखो.! #Skg ©SK Singhania #City फ़कीर बन कर तुम उनके दर पर हजार धुनी रामा के बैठो.! जबीं के लिखे को क्या करोगे जबीं का लिखा मिटा के देखो.! #SKG
Shree
शब्दों की धनी प्रेम की धुनी हर रुप गुणी ज्यों साझात मां सरस्वती। भली भोली मिश्री सी मीठी सरल सलोनी आंखों में भरे ज़माने की कहानी। कभी सहेली कभी पहेली कभी लगीं अकेली कभी भीड़ में बेबाक गुनगुनाती। वक्त के परे आप हो रुपाली, फूलों लदी डाली चमकती निगाहें जी, मुस्कान जग हारी। अनंत प्रेम के साथ ❣️ शब्दों की धनी प्रेम की धुनी हर रुप गुणी ज्यों साझात मां सरस्वती।
Vandana
सुप्रभात,, ऐ सुबह तू मेरी सांसो में महक रही है,,, ऐ सुबह तू मुझ में चहक रही है,,, ऐ सुबह तू मुझे आंखों से आकर्षित कर रही है,,,, बादलों से भरे आसमां मे
somnath gawade
वारंवार उणी-धुनी काढणाऱ्यांना धुनी-भांडयाच्या कामाला लावले पाहिजे. #उणी-धुनी
Anamika Nautiyal
चाँद की बातें... सुनो चाँद तुम खुद पर इतना क्यों इतराते हो ? किस कहानी का नायक तुम खुद को बताते हो? क्या रहस्य है चेहरे पर सजी हुई मुस्कान का? जा
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
धूप कहीं नही छाया है माह दिसम्बर आया है, स्वेत रंग है अम्बर पे शीत का मौसम लाया है, लगन लगी है अंगारो की धुनी जैसे माया है धूप कहीं नही छाया है माह दिसम्बर आया है, महेन्द्र सिंह चौहान ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR धूप कहीं नही छाया है माह दिसम्बर आया है, स्वेत रंग है अम्बर पे शीत का मौसम लाया है, लगन लगी है अंगारो की धुनी जैसे माया है धूप कहीं नही छाय
nidhi jain
कुछ ही देर में मां और मां से जुड़ी बातें करेंगे सभी...... मेरे पास भी है। मां ओर मां से जुड़ी यादें यादें जों कभी हंसा देती है ओर कभी,,,,,,,। ❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️ कुछ लोग कहते है मै बोलती बहुत अच्छा हू। हा तो मां जब बोलती थी ना,,, मै देखती थी उनके हाव भाव ..... उनका बोलना..... वो मिठास....... की बोलो तो बस घुल जाओ कानों में। ❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️ कुछ कहते है मै अच्छा लिखती हूं। हा तो मै ,,,,,,देखती थी मां को ,,,अपनी प्राण प्रिय एक साधारण सी डायरी के साथ अक्सर दुख में भी भिगोते हुए । उसे सुख में भी भिगोते हुए। पर आज वो धरोहर हैं हमारी ओर मै भी चाहती थी ,,,,मां सी लेखनी लिखूं। अपने भाव को कागज पर उकेरना आ जाए बस। ❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️ कुछ कहते है महफ़िल में छा जाती हो निधि हा , ,क्युकी ये भी मैंने बचपन से देखा दया जी छा जाती थी जिस जगह जाती थी। हंसी ठिठोली एक उन्मुक्त स्वछंद पंछी के जैसे चेहचहाति थी वो ❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️ सब सुविधाओ के होते हुए आत्म निर्भर थी मेरी मां अपने कोशल से हर दिल अजीज मुझे भी ज्यादा ना सही पर मां जैसा बन ना था ये तय था। मै फक्र से कहती हूं आज भी हां मै अपनी मा जैसे हूं मुझे बनना है उन जैसा ❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️ सीधा ,,,,,सच्चा ,,,,,,सरल,,,,, मनमोहक ,,,,,जुझारू ,,,,,धुनी ,,,,,,साहसी,,,,, वक्ता .... कवियत्री,,,,,आत्मनिर्भर,,,,,ओर ममतामय मुझे बन ना है तुम सा मां आज , mother's day है ओर इस से अच्छा क्या कहूं मै आप जैसे हूं आप मुझ में जी रही हो आज भी ओर हमेशा रहोगी हमारे बीच ।। हर साल mother day मानने को मुझे बताने को निधि मै आज भी तुझ में हूं कभी निराश मत होना कहीं साहस मत छोड़ ना क्युकी दया जी की बेटी है निधि Happy mother's day mummy ©nidhi jain कुछ ही देर में मां और मां से जुड़ी बातें करेंगे सभी...... मेरे पास भी है। मां ओर मां से जुड़ी यादें यादें जों कभी हंसा देती है ओर कभी,,,,,,,
Adv Di Pi Ka
वो जो अपना नहीं था! वो जो अपनेपन की बातें अच्छी करता था| वो जो गैर था! मुझे अपने आप से ज्यादा अपना लगता था| वो जो कोसों दूर था! होता जो मेरे हर वक़्त में सुकून सा होता था| वो जो था! अगर वो थोड़ा भी मुझमें में होता! तो आज वो होता पर मुझमें शायद मेरा 'मैं' नहीं होता! वो कितना अच्छा होता! ©Di Pi Ka ना जाने ये धुनी क्यों गुनगुनाती है हम राम कहते है उन्हें मरा सुनाई जाती हैं! #dryleaf
Pnkj Dixit
🌷 अभिलाषा 🌷 मन मोहक छवि प्यारी-प्यारी, कली के जैसी तुझमें यौवनता । पूर्णिमा शशि-सा धवल रूप, छुई-मुई - सी तुझमें कोमलता ।। उठती गिरती गंगा की लहरों ने, तुम से ही पाई नवयौवन धारा । उदास निराश मन हृदय में , तुम भर देती पूनम उजियारा ।। कोयल ने तुमसे सीखा होगा पंचम सुर में गाना । नवेली वधु ने सीखा है तुमसे , धीरे - धीरे शर्माना ।। तुम से ही मिला हिरनी की आंखों को काजल । तुम्हारी रसभरी वाणी से तैरते अंबर में बादल ।। जब अलक खोलकर लहराती हो , तब पवन झूम - झूम कर आता है । जब अलसाई अंगड़ाइयाँ लेती हो मधुमास बसंत वहीं रुक जाता है ।। झुक कर उठती पलकों में नक्षत्र सारे उतरकर आते है। तुम्हारी चाल देख कर ही मृगी - मयूर भी शरमाते है ।। जब मंद - मंद मुस्काती हो कमल - दल खिल जाते हैं । सुनकर के तुम्हारी हंसी भंवरे गुंजन करने आते हैं ।। उपवन में हिल-मिल सारे अनुपम प्रेम राग सुनाते हैं ।। अंग-अंग की मादकता से खेतों में सरसों लहराई है । छू कर तन तेरा पवन बावरी, प्रेम दूतिका प्रीत संदेशा लाई है ।। अहसास तुम्हारा ही पाकर, मन में जागी है जिज्ञासा । जीवन संगिनी बनकर आओ यही हृदय की अभिलाषा ।। कोटिक रति का सौंदर्य हरती ,मन मोहिनी प्यारी - प्यारी । अबके बरस कमल आँगन महकाओ ओ प्रियतमा प्यारी।। सुन कर कमल हृदय की पुकार ,मोहिनी लजाई शर्मायी । मन मन्दिर में कमल देव बिठाकर,कमल प्रीत धुनी रमायी।। २०/०९/२०१८ 🌷👰💓💝 ...✍ कमल शर्मा'बेधड़क' 🌷 अभिलाषा 🌷 मन मोहक छवि प्यारी-प्यारी, कली के जैसी तुझमें यौवनता । पूर्णिमा शशि-सा धवल रूप, छुई-मुई - सी तुझमें कोमलता ।। उठती गिरती गंगा