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SILENT BABA
सुनो ना ,,,,,, अपनी जुल्फों को जरा बाँधकर रखो यह तुम्हारी खुली जुल्फों ने मेरे दिल की जुल्फों को मोहब्बत से रंगीन धागों धीरे-धीरे बांध रही हैं ©SILENT BABA #Women
Ha He
White The thing women have yet to learn is nobody gives you power. You just take it. ©Ha He #Women
ADVOCATE BAPU ADVOCATE BAPU
a-person-standing-on-a-beach-at-sunset bapulal ninama ©ADVOCATE BAPU ADVOCATE BAPU #SunSet @mr_bapu_bhil GGTU president
#SunSet @mr_bapu_bhil GGTU president
read moreBhagyashree Jena
Being proud to be a woman, and possessing the ability to endure all unjust suffering. I became a good daughter and sister at the same time, and desire everyone's love. I enjoy doing the best I can, even if it is a little challenging. ©Bhagyashree Jena #women
VIMALESH YADAV
White टाइम्स ऑफ इंडिया की शुरुआत व्यापारी समुदाय के लिए 3 नवंबर 1838 को मुंबई से ब्रिटिश राज के दौरान हुई। शुरुआत में इसे बम्बई टाइम्स और जर्नल ऑफ़ कामर्स के नाम से जाना जाता था। हर शनिवार और बुधवार को प्रकाशित होने वाला यह द्वि-साप्ताहिक संस्करण यूरोप, अमेरिका और उप महाद्वीपों के समाचारों से भरपूर होता था। 1850 में इसका दैनिक संस्करण शुरू हुआ और 1861 में इसका नाम "टाइम्स ऑफ इंडिया" पड़ा। 19वीं सदी में टाइम्स ऑफ इंडिया ने 800 से अधिक लोगों को रोजगार दिया और भारत व यूरोप में इसका प्रसार बढ़ता गया। मूलतः यह अखबार ब्रिटिश लोगों के नियंत्रण में था। इसके अंतिम ब्रिटिश संपादक आइवर एस जेहू थे। भारत की स्वतंत्रता के बाद, इस समाचार पत्र का स्वामित्व डालमिया के प्रसिद्ध औद्योगिक परिवार को सौंपा गया। बाद में, उत्तर प्रदेश के बिजनौर के साहू जैन समूह के साहू शांति प्रसाद जैन ने इसे अपने नियंत्रण में ले लिया। संपादकीय पक्ष को कमजोर करके, इसने अपने बिजनेस, प्रसार, और तकनीक को अधिक मजबूत बनाया, जिससे यह देश में सबसे अधिक लाभ कमाने वाला अखबार बन गया। ©VIMALESH YADAV times of India #sad_quotes #vimaleshyadav
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read moreBINOदिनी
कुछ पाना नहीं था, खोने का गम नहीं था। ख़्वाहिश बड़ी या चाहत, कुछ मतलब जानना, हमें गवारा न था।। न मिला कुछ, न कुछ खोये हैं, बस लंबी है राह, मुस्कुराते हुए बस इसमें चलना है।। ©BINOदिनी #Women