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Kasim Ali Latif
अनुज
सब कुछ पाकर भी क्यों खाली रहता है इंसान स्वप्न के सागर में क्यों डूबा रहता है संसार क्षण भर में छूटेगा तन से प्राण फिर किस चीज का है अभ
read moreSumitGaurav2005
जिन्हें देखते ही यह कहने का मन करता है इन्हें रब ने क्यों बनाया?? इतना कपट इनके मन में भरा होता है कि ऐसे लोगों से मिलकर बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता है! वहीं दूसरी ओर कुछ तो ऐसे भी होते हैं जिन्हें देख कर ही मन प्रफुल्लित हो जाता है, बहुत शांति मिलती है। उनसे मिलने का मन बार-बार करता है। ✍🏻सुमित मानधना 'गौरव'😎 ©SumitGaurav2005 जिन्हें देखते ही यह कहने का मन करता है इन्हें रब ने क्यों बनाया?? इतना कपट इनके मन में भरा होता है कि ऐसे लोगों से मिलकर बिल्कुल भी अच्छा नह
जिन्हें देखते ही यह कहने का मन करता है इन्हें रब ने क्यों बनाया?? इतना कपट इनके मन में भरा होता है कि ऐसे लोगों से मिलकर बिल्कुल भी अच्छा नह
read morepuja udeshi
शांति वहाँ हैं जहाँ मन हैं मन कहाँ हैं जहाँ एकांत हैं एकांत कहाँ हैं??????? जहाँ भगवान हैं!!!!!!!! भगवान कहाँ हैं?????? हर जगह हैं.............. कण कण मे हैं..... 🙏🏻🙏🏻 ©puja udeshi #शांति #Bhagwan #pujaudeshi
Sandeep Kothar
Unsplash "खामोशी का आईना" शहर की भीड़ से, कहीं दूर, सुकून के पल तलाशता हूं, शोरगुल की आगोश में खोया हुआ, मेरा अक्स, मेरी पहचान तलाशता हूं। न जाने कब और कहां, मेरे खयालों का जहां मिल जाए, इस उम्मीद में, खामोशी का आईना तलाशता हूं। ©Sandeep Kothar प्रिय पाठकों, मैं आपके साथ अपने दिल की गहराई से बात करना चाहता हूं। मेरी कविता में मैंने अपनी जीवन यात्रा को व्यक्त किया है, जो शहर की भीड़
प्रिय पाठकों, मैं आपके साथ अपने दिल की गहराई से बात करना चाहता हूं। मेरी कविता में मैंने अपनी जीवन यात्रा को व्यक्त किया है, जो शहर की भीड़
read moreJitendra Giri Hindu
"1. **यथा वा वदति सदा तद्वदन्तु तत्त्वदर्शिनः।** - "जैसा कोई कहता है, वैसा ही सदैव सच को कहो।" 2. **कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।** - "आपका अधिकार केवल कार्य पर है, फलों पर नहीं।" 3. **सर्वधर्मान्परतित्यज्य मामेकं शरणं व्रज।** - "सभी धर्मों का त्याग करके केवल मेरी शरण में आओ।" 4. **वक्तव्यं न हि नष्टं न चान्यस्य समृद्धि।** - "किसी के अपमान के लिए शब्दों का अनर्थ नहीं होना चाहिए।" 5. **आगमोऽपि सदा शान्ति यस्तु संकल्पयेत् सदा।** - "जो संकल्प करता है, वह सदा शांति प्राप्त करता है।" 6. **विद्या ददाति विनयं विनयाद्यति पात्रताम्।** - "ज्ञान विनय को देता है, विनय से पात्रता प्राप्त होती है।" 7. **सत्यं वद धर्मं चर।** - "सत्य बोलो और धर्म का पालन करो।" 8. **दृष्ट्वा वा ज्ञात्वा वा परार्थं त्यजेत् स्वार्थम्।** - "दृष्टि से या ज्ञान से, स्वार्थ का त्याग कर देना चाहिए।" ©Jitendra Giri Hindu "संस्कृत उद्धरण: ज्ञान और प्रेरणा का स्रोत" संस्कृत, उद्धरण, ज्ञान, प्रेरणा, जीवन, धर्म, सत्य, विनय, कर्म, संस्कृति, शांति, राजा, उत्कर्ष, स
"संस्कृत उद्धरण: ज्ञान और प्रेरणा का स्रोत" संस्कृत, उद्धरण, ज्ञान, प्रेरणा, जीवन, धर्म, सत्य, विनय, कर्म, संस्कृति, शांति, राजा, उत्कर्ष, स
read moreMiMi Flix
"मोंटू, चुटकी, हुकु और जंगल की देवी" - घने जंगल में मोंटू, चुटकी, और हुकु को एक प्राचीन मंदिर का पता चलता है। रास्ते में दलदल, अंधेरी गुफाएँ
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