Find the Latest Status about तुकाराम बीज from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, तुकाराम बीज.
Sk
White उम्मीद और विश्वास का छोटा सा बीज, खुशियों के विशाल फलों से बेहतर और शक्तिशाली है ©Sk उम्मीद और विश्वास का छोटा सा बीज, खुशियों के विशाल फलों से बेहतर और शक्तिशाली है
उम्मीद और विश्वास का छोटा सा बीज, खुशियों के विशाल फलों से बेहतर और शक्तिशाली है #Motivational
read moreDimple Kumar
जग का पेट भरने की खातिर, बीज को चाहिए पानी मिट्टी l ©Dimple Kumar #डायरी_के_पन्ने #अधूरी_तमन्ना #बीज #D_arpan #कुछ_लफ्ज़ #कुछ_तुम_कहो #कुछ_हम_कहें #कोई_आप_सा #अभिलाषा #मिट्टी आज का विचार सुप्रभात 'अच्छे व
#डायरी_के_पन्ने #अधूरी_तमन्ना #बीज #D_arpan #कुछ_लफ्ज़ #कुछ_तुम_कहो #कुछ_हम_कहें #कोई_आप_सा #अभिलाषा #मिट्टी आज का विचार सुप्रभात 'अच्छे व
read moreVinod Mishra
Nitu Singh जज़्बातदिलके
White जीवन की रूप रेखा को कुछ यूं स्वप्नाया था उसने सुगंध उठेगा कल सबेरा मेरा यही विचारकर प्रेम बीज को अतीत की भूमि में दबाया था उसने दिन गुजरे सप्ताह गुजरे न विश्वास की सिंचाई न गलतियों की निराई न जुबानी जहर को पौधों से छुटाया था उसने फिर सहसा एक दिन खींच ले गयीं अभिलाषाएं उसे फसल की ओर चींखने लगा जोर जोर से निखोलने लगा सुषुप्त पड़ चुके प्रेम बीज को मढ़ने लगा आरोप उसके प्रेमत्व पर क्योंकि आज, वर्तमान पर मुरझा सा नीरस पुष्प ही पाया था उसने काश! झांक पाता सहस्त्रों बार किये उन वादों की ओर जिन्हें हर गलती के बाद दोहराया था उसने ©Nitu Singh जज़्बातदिलके जीवन की रूप रेखा को कुछ यूं स्वप्नाया था उसने सुगंध उठेगा कल सबेरा मेरा यही विचारकर प्रेम बीज को अतीत की भूमि में दबाया था उसने दिन गुजरे स
जीवन की रूप रेखा को कुछ यूं स्वप्नाया था उसने सुगंध उठेगा कल सबेरा मेरा यही विचारकर प्रेम बीज को अतीत की भूमि में दबाया था उसने दिन गुजरे स #Quotes
read moreShashi Bhushan Mishra
White थोड़ा मैं सोना चाहूँगा, स्वप्न बीज बोना चाहूँगा, उम्र क़ैद से मिली रिहाई, तेरा मैं होना चाहूँगा, काँधे पर सिर रखके पारो, जी भरकर रोना चाहूँगा, अंग संग होकर प्रेमी के, मैं ख़ुद को खोना चाहूँगा, महाकुंभ में पाप जहां का, गंगा में धोना चाहूँगा, नफ़रत की दीवार तोड़कर, दिल में इक कोना चाहूँगा, कजरारे नैनों का 'गुंजन', फिर जादू-टोना चाहूँगा, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' समस्तीपुर बिहार ©Shashi Bhushan Mishra #स्वप्न बीज बोना चाहूँगा#
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
White आओ करे प्रकृति संरक्षण :- गीत आओ करें प्रकृति संरक्षण , मन में उठा विचार । नहीं काटना वृक्षों को अब , ले करके हथियार ।। आओ करे प्रकृति संरक्षण ... जैसे धरा बनी है जग में , देख अब सृजनहार । जो बीज गिरे उन फसलों से , वह अंकुर हैं बार ।। यह प्रमाण न परिणाम है , सुनो है चमत्कार । आओ धरती माँ से सीखे , करना यह व्यवहार ।। नहीं काटना वृक्षों को अब .. एक-एक पौधे जो रोपे , होंगे लाख हजार । तभी बनेगी सृष्टि हमारी , जीवन का आधार ।। इस धरती के संग सभी , पोषित हो इस बार । यही कामना मन में लेकर , दिया वृक्ष उपहार ।। आओ करें प्रकृति संरक्षण .... छोटे बड़े लगाओ पौधे , सबको दो स्थान । दूब धतूरा शरपत कासा , सबका अपना मान ।। सब ही जीवन अंग बने हैं ,मन से कर स्वीकार । प्रभु ने मानव रूप दिया है , करो नही व्यापार । आओ करे प्रकृति संरक्षण .... आओ करें प्रकृति संरक्षण , मन में उठा विचार । नहीं काटना वृक्षों को अब , ले करके हथियार ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR आओ करे प्रकृति संरक्षण :- गीत आओ करें प्रकृति संरक्षण , मन में उठा विचार । नहीं काटना वृक्षों को अब , ले करके हथियार ।। आओ करे प्रकृति संरक
आओ करे प्रकृति संरक्षण :- गीत आओ करें प्रकृति संरक्षण , मन में उठा विचार । नहीं काटना वृक्षों को अब , ले करके हथियार ।। आओ करे प्रकृति संरक #कविता
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
White ग़ज़ल :- धरा को फिर नई दुल्हन बनाने मेघ आये हैं । दफ़्न जो बीज थे अंदर उगाने मेघ आये हैं ।। खुशी से झूमता हलधर मुरादें हो गई पूरी । फसल को आज मेरी जो हँसाने मेघ आये हैं ।। किसानों के हमीं साथी बने संसार में देखो । यही तो बात है जो अब जताने मेघ आये हैं ।। कहीं सूखा कहीं गीला प्रकृति के प्रेम पर निर्भर । बनाओ मत हमें बैरी बताने मेघ आये हैं ।। तपन से सूर्य की देखो धरा जब भी हुई प्यासी । सुना है प्यास को उसकी बुझाने मेघ आये हैं ।। भले इंसान थे कल तक मगर शैतान हैं अब तो । उन्हें इंसान अब फिर से बनाने मेघ आये हैं ।। वरुण जी भी हुए क्रोधित तुम्हारी आज हरकत से । सँभल जाओ प्रखर अब तुम सिखाने मेघ आये हैं ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- धरा को फिर नई दुल्हन बनाने मेघ आये हैं । दफ़्न जो बीज थे अंदर उगाने मेघ आये हैं ।। खुशी से झूमता हलधर मुरादें हो गई पूरी । फसल को आज
ग़ज़ल :- धरा को फिर नई दुल्हन बनाने मेघ आये हैं । दफ़्न जो बीज थे अंदर उगाने मेघ आये हैं ।। खुशी से झूमता हलधर मुरादें हो गई पूरी । फसल को आज #शायरी
read more