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Mohan Sardarshahari

# झूठ

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Unsplash खुशियां झूठ हैं 
दर्द अटूट 
समझा जिसने 
वो गया छूट।।

©Mohan Sardarshahari # झूठ

Shiv Narayan Saxena

#sad_quotes झूठ के सहारे..... hindi poetry

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White हारे का प्रभु आसरा, पर उपकारी झूठ।
शबरी-सा नहिं दूसरा, बेर खिलाए जूठ।।

पर  उपकारी  झूठ  भी, भर देता  विश्वास।
परहितकारी सॉंच की, जहॉं न होती आस।।

©Shiv Narayan Saxena #sad_quotes झूठ के सहारे..... hindi poetry

Nilam Agarwalla

#झूठ

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White 
सत्य से सौ गुना बड़ा,पर उपकारी झूठ।
जिससे सबका हो भला,उससे मत तू रूठ।।

पर उपकारी झूठ से,सच भी जाता हार।
सौ प्रतिशत सच बात ये,मत कर तू तकरार।।

पर उपकारी झूठ भी,है सत्य के समान।
ज्ञानी कहते बात ये,चाहे मान न मान।।
 -निलम

©Nilam Agarwalla #झूठ

RAVI PRAKASH

#sad_quotes झूठ और

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White झूठ और चालाकियां रिश्तों में मत चलाया करो नहीं तो एक दिन आप जीवन में अकेले रह जाओगे !!

©RAVI PRAKASH #sad_quotes झूठ और

Parasram Arora

#sad_quotes झूठ को सलामी

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White जिस दिन 
मेरे झूठ को 
सच समझ कर 
सलामी 
दीं गई 

उस दिन के बाद 
 मेरी जिंदगी 
मे  सच मुझसे 
हमेशा के लिए 
काफी दूर 
 चला गया है

©Parasram Arora #sad_quotes झूठ को सलामी

Avinash Jha

कुरुक्षेत्र की धरा पर, रण का उन्माद था,
दोनों ओर खड़े, अपनों का संवाद था।
धनुष उठाए वीर अर्जुन, किंतु व्याकुल मन,
सामने खड़ा कुल-परिवार, और प्रियजन।

व्यूह में थे गुरु द्रोण, आशीष जिनसे पाया,
भीष्म पितामह खड़े, जिन्होंने धर्म सिखाया।
मातुल शकुनि, सखा दुर्योधन का दंभ,
किंतु कौरवों के संग, सत्य का कहाँ था पंथ?

पांडवों के साथ थे, धर्म का साथ निभाना,
पर अपनों को हानि पहुँचा, क्या धर्म कहलाना?
जिनसे बचपन के सुखद क्षण बिताए,
आज उन्हीं पर बाण चलाने को उठाए।

"हे कृष्ण! यह कैसी विकट घड़ी आई,
जब अपनों को मारने की आज्ञा मुझे दिलाई।
क्या सत्य-असत्य का भेद इतना गहरा,
जो मुझे अपनों का ही रक्त बहाए कह रहा?"

अर्जुन के मन में यह विषाद का सवाल,
धर्म और कर्तव्य का बना था जंजाल।
कृष्ण मुस्काए, बोले प्रेम और करुणा से,
"जो सत्य का संग दे, वही विजय का आस है।

हे पार्थ, कर्म करो, न फल की सोच रखो,
धर्म की रेखा पर, अपना मनोबल सखो।
यह युद्ध नहीं, यह धर्म का निर्णय है,
तुम्हारा उद्देश्य बस सत्य का उद्गम है।

©Avinash Jha #संशय
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