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ख्वाबों में तू
क्या लिखूं ऐ जीवन तेरे विषय में? जीवन है तू किंतु मृत्यु ही सत्य में, जीवन है तु बलवानों के परिचय में, जीवन होकर मृत्यु है पीड़ितों के हाई में। तु्च्छ है तू गुरु के विद्यालय में, तू ही सब कुछ है आलस्य के राज्य में, तू ही श्रेष्ठ है कुछ विशेषज्ञ्य में, क्रीडा के अतिरिक्त कुछ भी नहीं वास्तव में। असाकिर ©Asakiruddin जीवन क्रीडा है। #Dark
Vibhor VashishthaVs
Meri Diary #Vs❤❤ प्रीत मिली ना हरि मिले, व्याकुल मन भरी अति पीड़ा..... विरह में व्याप्त जीवन, नित् रोज खेले संघर्षमय क्रीडा..... ✍️Vibhor vashishtha vs Meri Diary #Vs❤❤ प्रीत मिली ना हरि मिले, व्याकुल मन भरी अति पीड़ा..... विरह में व्याप्त जीवन, नित् रोज खेले संघर्षमय क्रीडा..... ✍️Vibhor va
Anil Siwach
हिमपुत्री किरन पुरोहित
प्रभात क्रीडा हाय प्यारी गीत गाती तू प्रभाती है सुनाती, एक जाने कौन चिड़िया सुबह का संदेश लाई और जो उठ खोल लूं पट सामने निज कक्ष के, तो मैं देखूं मणि अलौकिक हो हरि के वक्ष पे | ऐसे ही कुछ सज रहा है मेरे चारों ओर हिमवन , जिसके ऊपर चंद्र भी वह सूर्य भी बन के अलंकन | इसकी उजली नील दुति को और भी चमका रहे , और यह तो दर्प पाकर और भी मुस्का रहे | दोनों पर्वत मध्य बहती अलकनंदा जा रही है , अलकापुरी रैबार देती क्या तुम्हें बता रही है | कोहरे से चूर पर्वत धुंधले से लग रहे हैं , और बादल मुकुट बन इन शीश पर क्या सज रहे हैं | तभी प्रभाकर की किरण उन पर्वतों पर कर उजाला , धीरे-धीरे पैर रखती जा रही है और नीचे | कुछ ही पल में पार करके अलकनंदा तट वो प्यारा , मेरे आंगन में पधारे मुझसे भी कुछ बात करती | जाने ऊषा मम सहेली भय से मम पितु सूर्य के , छुपती छुपाती किधर पहुंची हो करके गायब दूर से | और आए सूर्यपितु मैं हाथ जोडे कह उठी , मेरी ऊषा उस सखी को खेलने फिर बोलो बाबा | हाथ में जिसके बसा है दृश्य यह सारा का सारा , खेल में जिसके सजा है दृश्य यह सारा का सारा | सूर्य भी तब कह उठे प्रिय यह खेलने का पल नहीं है , अपनी सब पुस्तक संभाल स्कूल आज है कल नहीं है | .............हिमपुत्री किरन पुरोहित #सुप्रभात #प्रभातक्रीडा #goodmorning #morningquots #kiranpurohit * एक प्रभात क्रीडा हाय प्यारी गीत गाती तू प्रभाती है सुनाती, एक जाने
Ravendra
sandy
‘‘उठा, उठा.. दिवाळी आली, मोती स्नानाची वेळ झाली..’ हा हा म्हणता दिवाळी जवळ आली पण असं वाटतच नाही. थंडीचा कुठे पत्ता नाही उलट पाऊस कधीही कोस
Anil Siwach