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Parinita Raj "Khushboo "
गर्मी आ गया है सबको तेरी याद आ गया है यही मौका है तुभी जरा सा भाव खा ले @@खुशबू कुमारी #बॉटल#जोक्स
Rahul
Rahul
Vikas Sharma Shivaaya'
'ॐ वक्रतुण्डाय हुं-'यह मंत्र शत्रुओं से बचाता है। अरी अनोखी बाम तू आई गौने नई ! बाहर धरसि न पाम है छलिया तुव ताक में !! इस दोहे में रसखान जी गोपियों से कहते है – अरी अनुपम सुंदरी तुम नई नवेली गौना द्विरागमन कराकर ब्रिज में आई हो , क्या तुम्हे कन्हैया का सवभाव मालूम नहीं है ! अगर तुम घर से बाहर निकली तो वह तुम्हे अपने प्रेम जाल में फंसा लेगा ! 🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' 'ॐ वक्रतुण्डाय हुं-'यह मंत्र शत्रुओं से बचाता है। अरी अनोखी बाम तू आई गौने नई ! बाहर धरसि न पाम है छलिया तुव ताक में !! इस दोहे में रसखान
Sunil itawadiya
दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है दोस्तों लोग डाउन का पालन करो पूरा पड़ना👇👇 पाकिस्तान के प्राइम मिनिस्टर का कहना है कि उनका खजाना अब खाली हो चुका है अगर जल्द ही इस सरहद पार वायरस पर कोई रोकथाम नहीं किया गया तो यकीन म
Arsh Ansari
अच्छा! लगता है आज दिवाली है। सुनों ऐ! पटाखा रुपी पैसों में आग लगाने वालों, उसका भी सोंचो जिसके दोनों हाथ ख़ाली हैं। अपने पैरों को ज़मीं पर रखों, न छुओ आसमानों को, कुछ खुशियाँ बांटो उससे, रसोई में ख़ाली पड़ी जिसके थाली है। एक दिया भी रौशन न हुआ उस ग़रीब की चौखट पर, परसों से फर्श पर पड़ी उसकी तेल की बॉटल जो ख़ाली है। अपने मन से कुछ हिस्सा ही डाल, दो उसकी झोली में, ज़रा देखो तो, उसके कुर्ते में कितनी सारी जाली हैं।। जब पटाखों का शोर, पड़ता है उसके कानों में, सहम जाता है वो देख बच्चे की आंखें कितनी सवाली हैं। तुम्हारी महफ़िल से लौटते, हमने आंसुओं संग गला घूँटते देखा उसका, वह भी उन ख़ुशियों में शामिल होना चाहता था, पर लोगो ने देकर धक्का दी उसे साथ में चार गाली हैं।। आज फ़िर से किसी की हैप्पी तो किसी की सिर्फ दिवाली है।। अगर हमारा पड़ोसी ही खुश नहीं तो केसी यह हैप्पी दिवाली है।। अच्छा! लगता है आज दिवाली है। सुनों ऐ! पटाखा रुपी पैसों में आग लगाने वालों, उसका
Nitesh Prajapati
जिंदगी का सफ़र, ईश्वर की नियति के लेख से, अवतार मिलता है मनुष्य का, जन्म के साथ साथ जुड़ते कहीं रिश्तो से, जिंदगी के नए सफ़र में, जिंदगी का सफ़र शैशवास्था से शुरू होता है, शरीर की मांसपेशियां, तंत्रिका विकसित होती है। आगे बढ़कर वहीं सफ़र बाल्यावस्था में पहुंचता है, बाल्यावस्था हमारा अनोखा काल होता है, परिपक्वता, बुद्धि विकास, खेल की आयु, निर्माण काल भी कहा जाता है। जिंदगी का सफर आगे बढ़कर, किशोरावस्था प्राप्त करता है, जिसमें मनुष्य मे सामाजिक, भावनात्मक, व्यवसायिक जीवन का असर रहता है। जीवन का अंतिम काल यानी कि वृद्धावस्था, वृद्धावस्था में हमारी शारीरिक और मानसिक स्थिति में गिरावट आती है, यह व्यवस्था जिंदगी के सफर की अवधि तय करता है, इस अवस्था के आगे मनुष्य मृत्यु पाम के पंचतत्व में विलीन हो जाता है। 📥 RKS Challenge :- ¥NSM-78 ✔️आप सभी अपनी इच्छानुसार शीर्षक का चयन कर अपनी रचना को संग्रहित करें..!! 📇 #rksquotes 💫रचना को शुद्ध एवं स्पष्ट