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Stories related to डिजे सावन महिना मा

dilkibaatwithamit

सात दिन की चाहत का महिना आ गया आज, दिल और फूल खूब बिकते हैं, इस महीने, महंगे दाम में..... कुछ चाहते तो सच्ची होती है, सच में, और कुछ बदलती र

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सात दिन की चाहत का महिना आ गया आज,
दिल और फूल खूब बिकते हैं, इस महीने,
महंगे दाम में.....
कुछ चाहते तो सच्ची होती है, सच में,
और कुछ बदलती रहती है,
सुबह ,दोपहर , शाम में ..!! 😊

©dilkibaatwithamit सात दिन की चाहत का महिना आ गया आज,
दिल और फूल खूब बिकते हैं, इस महीने,
महंगे दाम में.....
कुछ चाहते तो सच्ची होती है, सच में,
और कुछ बदलती र

Ravidash nayak

#Sad_Status मा❤ अनमोल विचार

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White पयार करना तो मा सेकरना यारो कयुँ की लडकी दिल तोडकर चलीजाति है मा कबिबि अपने बंचेको सोडकर नहि जाती है

©Ravidash #Sad_Status मा❤ अनमोल विचार

Parasram Arora

उपेक्षित मा

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White जिस मा ने बच्चो को अपनी ममत्व क़ी छाँव मे परवरीश देकर बड़ा किया था 

आज वो मा  उपेक्षित सी अपना जीवन किसी तरह गुजार रहीं  है 
लगता हैँ वे निर्मम औलादे मा के ममत्व का क़र्ज़ उतराना भूल गई है

©Parasram Arora उपेक्षित मा

theABHAYSINGH_BIPIN

#togetherforever Anupriya Rakhie.. "दिल की आवाज़" writer Sunita singh Arab ab tu SAB par najar Rakha kar Jodi jiski Amar banaa de usi ka D

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प्रेम की वेदी

तुम आते हो एक आस लेकर,
तुम जाते हो एक आस देकर।
ना जाने कौन हो तुम मेरे,
तुम जाते हो एक ख़ुशी देकर।

तुम आते हो एक उम्मीद लेकर,
तुम जाते हो एक ख़्वाब देकर।
ना जाने कब तक साथ दोगे,
तुम जाते हो एक एहसास देकर।

कुछ ख़्वाबों को सजा रही हूँ,
बिन कहे कहानी गुनगुना रही हूँ।
जब आओगे, तुमसे कुछ लेना,
पूर्ण कर दो मुझे कसम देकर।

भरी सावन में छेड़ती सखियाँ,
ले चलो अब गवाँना कराकर।
अब बाबुल का घर न भाए,
ले आओ डोली सुंदर सजाकर।

मेहंदी में मैं नाम छुपाऊँ,
ढूँढ़ना तुम मेरे हाथों को जोड़कर।
मैं तो तेरा रस्ता देखूँगी,
तेरे प्रेम का गहरा रंग चढ़ाकर।

अधूरे ख़्वाबों को सजा दो,
आ जाओ अब सेहरा बांधकर।
ले चलो मुझे अपने आंगन,
प्रेम की अंतिम वेदी पर बैठकर।

भरे रहें एहसासों से आंगन,
बस छू लो मुझे हाथों में लेकर।
बिरहन जीवन से कर दो रिहा,
सूनी मांग में सिंदूर भरकर।

©theABHAYSINGH_BIPIN #togetherforever  Anupriya  Rakhie.. "दिल की आवाज़"  writer Sunita singh Arab ab tu SAB par najar Rakha kar Jodi jiski Amar banaa de usi ka D

Ravi Srivastava

कभी पूस की ठिठुरन बनकर अंग अंग टीस रहा हूँ ! कभी शब्द का सावन बनकर, अंतर सींच रहा हूँ !! कभी समय के गलियारे में,मुट्ठी भींच रहा हूँ ! जिनसे

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Unsplash कभी पूस की ठिठुरन बनकर अंग अंग टीस रहा हूँ !
कभी शब्द का सावन बनकर, अंतर सींच रहा हूँ !!

कभी समय के गलियारे में,मुट्ठी भींच रहा हूँ !
जिनसे बिछड़ा उनकी यादें,पल पल खींच रहा हूँ !!

✍️✍️
रवि श्रीवास्तव

©Ravi Srivastava कभी पूस की ठिठुरन बनकर अंग अंग टीस रहा हूँ !
कभी शब्द का सावन बनकर, अंतर सींच रहा हूँ !!

कभी समय के गलियारे में,मुट्ठी भींच रहा हूँ !
जिनसे

theABHAYSINGH_BIPIN

#GoodNight इश्क़ ए ज़ज़्बात इश्क़ - ए ज़ज़्बात कभी छुपाया नहीं, हाल- ए - दिल उसे कभी बताया नहीं। कैसे बयाँ करता इस इश्क़ की नादानी, ए इश्

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White इश्क़ ए ज़ज़्बात

इश्क़ - ए ज़ज़्बात कभी छुपाया नहीं,
हाल- ए - दिल उसे कभी बताया नहीं।
कैसे बयाँ करता इस इश्क़ की नादानी,
ए इश्क़ के गलियारें कभी भाया नहीं।

मैंने याद बहुत किया उन हसीं लम्हों को,
बीत गया सावन वो वापस आया नहीं।
सुख गईं आँखें मेरी अच्छे की आस में,
पर ख़्वाब हक़ीकत में कभी आया नहीं।

कितना अजीज़ शख़्स था मेरे दिल को,
जो इश्क़ ए ज़मीं पर कभी आया नहीं।
अभय, इंतेज़ार की ये घड़ियाँ गवाह हैं,
ना आने का कारण कभी बताया नहीं।

©theABHAYSINGH_BIPIN #GoodNight 

इश्क़ ए ज़ज़्बात

इश्क़ - ए ज़ज़्बात कभी छुपाया नहीं,
हाल- ए - दिल उसे कभी बताया नहीं।
कैसे बयाँ करता इस इश्क़ की नादानी,
ए इश्

Sanatan_Sanskriti_Shubhash

सावन और हरिद्वार -- एक उत्कृष्ट संयोग Sawan and Haridwar - a wonderful combination Follow for more.... #mahadev #harharmahadev #lordshiva

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Naimuddin

मैं तो खा मा खा में बदमान हो गया । इश्क़ उन्होंने किया मुझसे, और मेरा नाम हो गया ।। और अब वो छोड़ कर गए है इस तरह तन्हा मुझे, मेरा जीना और मरन

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Red sands and spectacular sandstone rock formations मैं तो खा मा खा में बदमान हो गया ।
इश्क़ उन्होंने किया मुझसे, और मेरा नाम हो गया ।।
और अब वो छोड़ कर गए है इस तरह तन्हा मुझे,
मेरा जीना और मरना हराम हो गया।।

©Naimuddin मैं तो खा मा खा में बदमान हो गया ।
इश्क़ उन्होंने किया मुझसे, और मेरा नाम हो गया ।।
और अब वो छोड़ कर गए है इस तरह तन्हा मुझे,
मेरा जीना और मरन

kuldeepbabra

सावन की शुरू हुई कावड़ हरिद्वार से उज्जैन तक wbhakti bhajan

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संस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु

अनुवाद सहित शीर्षक खिड़की कमरे की . . विधा भावुक विचार . .

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