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Ashok Verma "Hamdard"
White बाबूजी ********** ए बाबू जी मन के बतिया, काहें ना बतावत रहनी रहल अभाव तबो हमनी के,कहवां से खियावत रहनी, ए बाबू जी मन के................. हमनी के ररुआ पढ़ा लिखाके, कईसे सभ्य बनवनी ठहुना में रहल दर्द तबो,आपन जांगर ठेठवनी,, टीस के पीस के दांते से,कबो ना जतावत रहनी ए बाबूजी मन के बतिया, काहें ना बतावत रहनी,, दर दवाई हित नाता,सबके पार लगावत रहनी चेहरा पर रखी के हंसी रउवा,हौले हौले हसावत रहनी,, ए बाबू जी मन के बतिया.................. हमनी के रोज कमाते बनी, तबो बाटे खूब परेशानी रऊआ तर तरकारियो के, कईसे जुगाड़ बनावत रहनी,, सादगी के मूरत चमकत सूरत,थोड़ा बहुते सब रहल जुरत, मान सम्मान से रही के समाज में,सीना तान देखावत रहनी ए बाबू जी मन के बतिया....................... ए बाबूजी इहे मंतर हमरो के बताई,मान सम्मान से अपना समाज में शान से सर हम उठाई, दूसरे खातिर भी आपन खून, काहें जरावत रहनी ए बाबूजी मन के बतिया, काहें ना बतावत रहनी।। ©Ashok Verma "Hamdard" #बाबूजी
Anjali Singhal
अदनासा-
भारत रत्न डॉक्टर श्री बाबासाहेब आंबेडकर जी, भारतीय संविधान के रचयिता एवं महानायक है, इसलिए, संविधान को छेडों मत यह कोई मज़ाक नही है। ©अदनासा- #भारत #रत्न #डॉक्टर #श्री #बाबासाहेब #भीमराव #अंबेडकरजी #महानायक #Instagram #अदनासा
अदनासा-
अदनासा-
Nik JAT
वो समुद्र की तरह थे, गहरे और शांत, मुस्कान इतनी प्यारी, जैसे-फूलों की सुंदर सी फुलवारी, स्वभाव इतना शीतल, जैसे-कड़ी धूप में इकलौता हरा -भरा पीपल, वो समुद्र की तरह थे, गहरे और शांत, नादान से बच्चे की तरह करते थे बातें, कभी -कभी बातें ऐसी, जैसे - नासमझी से ज़िंदगी की कहानी सुना रहे हों, रूठना तो उन्हें,क्या खूब आता था, कहीं उनकी तबियत खराब ना हो जाएं, ये सोच कर जब पापा, घर से बाहर जाने को मना करते थे, फिर देखो उनका ड्रामा - कैसे गुस्से से मुंह फूला कर नाक सुकड़ते थे। रूठना तो उन्हें, क्या खूब आता था, जब वो कहीं जाते तो घर सुना कर जाते, हर शक्श की नज़रे उन्हीं को तलाश करती, याद उन्हीं को करके, बस उन्हीं की बात करती। वो समुद्र की तरह थे, गहरे और शांत, जब पता चला,उनकी तबीयत खराब हैं, उदासी का मंजर,काले बादलों को तरह छा रहा था। बुरे विचारो का सैलाब, तेजी से आ रहा था, और घर हर शक्श झूठा सा मुस्कुरा रहा था। जब पता चला,उनकी तबीयत खराब हैं वो समुद्र की तरह थे, गहरे और शांत, मेरी कविता के हर किस्से, उन्हीं की जिंदगी के हैं हिस्से। ©Nik JAT #प्यारे बाबा
vidushi MISHRA
Holi is a popular and significant Hindu festival celebrated as the Festival of Colours, Love, and Spring. कितने रंग होली पर चढ़े और होली में ही उतर भी गये और एक आपकी यादों और वादो का रंग है जो आज तक उतरा ही नहीं और भी गहरा होता चला गया... ©vidushi MISHRA बाबा