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Vibha Katare
जब कभी हृदय धमनियों में ज़्यादा रक्त प्रवाहित कर देता है तब, मस्तिष्क के तंत्रिका तंतु लाचार होकर शिथिल से पड़ जाते हैं... #wierdthought #हृदय #मस्तिष्क #तंत्रिकातन्तु #hindiquotes #yqdidi
Vibha Katare
एक चौखना.. उस चौखाने के अंदर, कुछेक छोटे छोटे चौखाने.. उन छोटे चौखानों में, कुछ रक्त, मज्जा और तंत्रिका तंतुओं के ताने बाने.. ऐसे हर जंतु के हाथों में जादूगरी करते छोटे से चौखने.. ये जादूगर चौखना सुदूर देश के जंतु से भी संबंधों के तार जोड़े.. लेकिन खुद के चौखाने में बसते अन्य जंतु से ये मुँह मोड़े । #चौखना #तंत्रिकातन्तु #जंतु #digitalworld #socialmedia #smartphone #home #yqdidi
kaushik Garg
"प्यार मानव तंत्रिका सर्किट में बस एक विद्युत बग है।" ©kaushik Garg "प्यार मानव तंत्रिका सर्किट में बस एक विद्युत बग है।" #Shayar #Shayari #Love #love❤ #qoutes
your feelings with my voice kittu
अशेष_शून्य
..... जैसे खिड़की से झांकती धूप व हवाएं कमरे से नमी सोख लेती और दिवारों पर फफूंद लगने से रोकती हैं । ठीक वैसे ही मस्तिष्क की तंत्रिकाओं से झांक
AB
रोज़ नहीं कभी -कभी,! कभी- कभी टूट जाता मन और ह्रदय पर होता कठोर आघात, प्रतीत होता जैसे मेरे मस्तिष्क की तंत्रिका कोशिकाएं अवरुद्ध हो पड़ी हों, और ह्रदय से पूरी दे
AB
" कल्पना नहीं अल्पना " ( अनुशीर्षक ) तुम्हारे मन की, शांति हेतु आवश्यक है मेरे मन तक तुम्हारे व्यथित मन की बात का पहुंचना, मेरे द्वारा उसे समझा जाना
AB
...... किसी और ने नहीं बल्कि तुमने स्वंय ही जकड़ रखा है अपने तंत्रिका तंत्र को अपनी स्वाभाविक व व्यवहारिक अपेक्षाओं के जाल से, खुद ही बुन रहे तान
Vikas Sharma Shivaaya'
✒️📙जीवन की पाठशाला 📖🖋️ 🙏 मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 *ग्रह और शरीर के अंग* चिकित्सा ज्योतिष के अनुसार, ज्योतिष के नौ ग्रह शरीर के विभिन्न अंगों से जुड़े हैं। चिकित्सा ज्योतिष के अनुसार ग्रहों और संबंधित शरीर के अंगों और उनसे जुड़ी बिमारियां निम्न प्रकार हैं ---- *सूर्य* सूर्य हृदय, रीढ़ की हड्डी, पाचन तंत्र, हड्डी संरचना, रक्त, पित्ताशय को नियंत्रित करता है। इससे व्यक्ति तेज बुखार, मानसिक रोग, जोड़ों के विकार, हृदय की परेशानी, गंजापन आदि से पीड़ित हो सकते हैं। *चन्द्रमा* चंद्र अंडाशय, भावनाओं, शरीरिक तरल पदार्थ, स्तन, टॉन्सिल, लसीका, ग्रंथियों आदि को नियंत्रित करता है। चंद्रमा की कमजोर स्थिति मुंह, तिल्ली, गर्भाशय, तंत्रिका संबंधी विकार, सुस्ती आदि से संबंधित बीमारियों का कारण बनती है। *मंगल* मंगल पित्त को नियंत्रित करता है। मंगल धमनियों, प्रजनन प्रणाली, दांत, नाखून, बाल, आंत और नाक को कवर करता है। कमजोर शुक्र जलने, फ्रैक्चर, घाव, त्वचा पर चकत्ते, ट्यूमर, टाइफाइड आदि का कारण बनता है। *बुध* बुध वात पर शासन करता है। पित्त और कफ। बुध मस्तिष्क, श्वसन प्रणाली और तंत्रिकाओं को नियंत्रित करता है। इसकी कमजोर स्थिति गैस्ट्रिक जूस, हाथ, भुजा, गर्दन के निचले हिस्से, नपुंसकता, सिर चकराना आदि से संबंधित विकारों का संकेत देती है। *बृहस्पति* गुरु लीवर, गुर्दे, मस्तिष्क, तिल्ली आदि का कारक है। कमजोर बृहस्पति कान, मधुमेह, अग्न्याशय, याद्दाशत आदि से संबंधित बीमारियों का कारण बनता है। *शुक्र* शुक्र वात और कफ को नियंत्रित करता है। यह पाचन तंत्र, किडनी, प्रजनन प्रणाली, यौन अंग, त्वचा, गले आदि को नियंत्रित करता है। कमजोर शुक्र मूत्र मार्ग, एनीमिया, मूत्राशय, मोतियाबिंद, नपुंसकता आदि से संबंधित रोगों और व्याधियों का कारण बनता है। *शनि* शनि वात (गैस), त्वचा, नसों, हड्डियों और कंकाल को नियंत्रित करता है। शनि के प्रभाव से शारीरिक कमजोरी, पेट दर्द, अंधापन, बहरापन आदि होता है। *राहु* राहु पैर, गर्दन, फेफड़े, श्वास आदि यह वात और कफ को नियंत्रित करता है। प्रभावित राहु के कारण मोतियाबिंद, अल्सर, सांस लेने की समस्या, हकलाना, तिल्ली की समस्या आदि हो जाते हैं। *केतु* केतु पेट और पंजों को नियंत्रित करता है। कमजोर और दुर्बल केतु कान की समस्याओं, आंखों के रोग, पेट दर्द, शारीरिक कमजोरी व अन्य परेशानियों का कारण बनता है॥ 🙏अपनी दुआओं में याद रखियेगा 🙏बाकी कल ,खतरा अभी टला नहीं है ,दो गज की दूरी और मास्क 😷 है जरूरी ....सावधान रहिये -सतर्क रहिये -निस्वार्थ नेक कर्म कीजिये -अपने इष्ट -सतगुरु को अपने आप को समर्पित कर दीजिये ....! 🙏सुप्रभात 🌹 आपका दिन शुभ हो विकास शर्मा'"शिवाया" 🔱जयपुर -राजस्थान 🔱 ©Vikas Sharma Shivaaya' ✒️📙जीवन की पाठशाला 📖🖋️ 🙏 मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 *ग्रह और शरीर के अंग* चिकित्सा ज्योतिष के अनुसार, ज्योतिष के नौ
Nitesh Prajapati
जिंदगी का सफ़र, ईश्वर की नियति के लेख से, अवतार मिलता है मनुष्य का, जन्म के साथ साथ जुड़ते कहीं रिश्तो से, जिंदगी के नए सफ़र में, जिंदगी का सफ़र शैशवास्था से शुरू होता है, शरीर की मांसपेशियां, तंत्रिका विकसित होती है। आगे बढ़कर वहीं सफ़र बाल्यावस्था में पहुंचता है, बाल्यावस्था हमारा अनोखा काल होता है, परिपक्वता, बुद्धि विकास, खेल की आयु, निर्माण काल भी कहा जाता है। जिंदगी का सफर आगे बढ़कर, किशोरावस्था प्राप्त करता है, जिसमें मनुष्य मे सामाजिक, भावनात्मक, व्यवसायिक जीवन का असर रहता है। जीवन का अंतिम काल यानी कि वृद्धावस्था, वृद्धावस्था में हमारी शारीरिक और मानसिक स्थिति में गिरावट आती है, यह व्यवस्था जिंदगी के सफर की अवधि तय करता है, इस अवस्था के आगे मनुष्य मृत्यु पाम के पंचतत्व में विलीन हो जाता है। 📥 RKS Challenge :- ¥NSM-78 ✔️आप सभी अपनी इच्छानुसार शीर्षक का चयन कर अपनी रचना को संग्रहित करें..!! 📇 #rksquotes 💫रचना को शुद्ध एवं स्पष्ट