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Vinod Mishra
||स्वयं लेखन||
आपके दिल और दिमाग़ से खेलने वाले लोग आपके अपने ही होते हैं, कौनसी नब्ज़ कब दबानी है ये आपके अपनों को ही पता होता है। ©Gunjan Rajput आपके दिल और दिमाग़ से खेलने वाले लोग आपके अपने ही होते हैं, कौनसी नब्ज़ कब दबानी है ये आपके अपनों को ही पता होता है। #Life #Life_experien
TAHIR CHAUHAN
ये दुनिया मरहम लगाएगी। सोचा कैसे तू ने। तू रोएगा ये चुप कराएगी। सोचा कैसे तू ने। नब्ज़ दे बैठा है। तबीब ए मह्बूब को। वो इसको ना दबाएगी। सोचा कैसे तू ने। ताहिर।।। ©TAHIR CHAUHAN #नब्ज़
Dalip Kumar Deep
Shayer tera ©Dalip Kumar Deep ✍🏿🍂नब्ज़ पकड़ लो न मेरी के धड़कनों की💕💕 रिहाई हो जाये🍂🍂
Ravendra
Vedantika
दस्तूर देरीना है ज़िंदगी के इम्तिहान का कभी पस्पाई है तो कभी अव्वल आते है ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ आज का शब्द है "देरीना" "deriinaa" जिसका हिन्दी में अर्थ होता है पुराना, प्राचीन एवं अंग्रेजी में
Technocrat Sanam
नब्ज़ टटोल कर देखो तुमने हमें ये क्या यार कर दिया अभी भले चंगे थे हाल ए सनम पूछ-पूछकर बीमार कर दिया क्या कहते थे तुम्हें फर्क़ ही क्या पड़ता है? लो अब अच्छे से बीमार हो गए हैं हम! सम्भालो जान देने को तैयार हो गए हैं हम इक तो हम दिल के मरीज उस पर तुमसे दिल्लगी - बचेंगे नहीं हम! Idhr chla mai udhr chla 🎶 Jane kaha mai kidhr chla 🎼 Arre fisl gya..🤕 Ye tune ky kiya.. 🙆♂️😬🤥😪🤷♂️ #mariz-e-ishq नब्ज़ टटोल कर देखो तु
Technocrat Sanam
दिल ओ धड़कन छोड़ ख़ामोशियाँ भी सुनाई दे उसकी नब्ज़ सुन सकूँ मुझको इतनी तन्हाई दे मुझको तेरी क़ैद में रहने से ऐतराज़ नहीं मगर सुन सलाखें और मज़बूत कर या फिर रिहाई दे वो जब से गया है और भी रूह-ब-रूह हो गया मिला तो न सका कम से कम ढंग की जुदाई दे इश्क़ प्यार मुहब्बत मुस्कुराहट ऐतबार इंतजार मुझको ये मर्ज़ तूने ही दिए हैं ख़ुदा तू ही दवाई दे जो रातें ख़्वाब गुलाब शराब तेरे हक़ में जमा की थी मेरा हिसाब कर मुझको लौटा वो सारे पाई पाई दे © technocrat_sanam मेरी ज़ुबाँ पर यक़ीन नहीं तो मेरी नज़र पढ़ ले उधर ज़रा भीड़ है सुन तू मुझको इधर पढ़ ले! #हिसाब दिल ओ धड़कन छोड़ ख़ामोशियाँ भी सुनाई दे उस
Technocrat Sanam
तुम भी वही हो, तुम भी वही हो और हम भी वही हैं मग़र जो था दरमियाँ, वो अब नहीं है कुछ शिकायतें थीं, सिलसिला थम गया, ठहरा हुआ है आसमाँ, रुकी सी ज़मीं है! सनम जो था दरमियाँ, अब वो नहीं है.. धुंधलाई सी यादें, अब भी मेरे साथ हैं वो तेरे किए हुए वादे, सब मुझे याद है साँस तो चल रही है बेशक आज भी मग़र अब इन रगों में नब्ज़ सी जमीं है सनम जो था दरमियाँ, वो अब नहीं है.. कुछ तल्ख़ हुए, ताल्लुक ख़तम हो गया, वक़्त भी हमपे इस कदर बेरहम हो गया.. रुख़सती का मंजर, और मुड़कर नहीं देखा आँख सूखी, अब तो सिर्फ़ दिल में नमी है मगर जो था दरमियाँ, वो अब नहीं है.. लोग अब मेरी शायरी की वजह पूछते हैं, मेरी इस सज़ा की वो इक खता पूछते हैं.., इक अजनबी ना जाने कब अपना हो गया, आदत सी हो गयी, के अब होठों पे हँसी है सनम जो था दरमियाँ, वो अब नही है.. तुम भी वही हो,और हम भी वही हैं! हम भी वही हैं.. Please read here.. तुम भी वही हो, तुम भी वही हो और हम भी वही हैं मग़र जो था दरमियाँ, वो अब नहीं है कुछ शिकायतें थीं, सिलसिला थम गया, ठहरा ह