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RICKY Mishra
Ruchi Baria
आदित्य सोम वरुणानिलसेविताय यज्ञाग्निहोत्रवरधूमनिकेतनाय । ऋक्सामवेदमुनिभि: स्तुतिसंयुताय गोपाय गोपनमिताय नम: शिवाय ॥ ©Ruchi Baria आदित्य सोम वरुणानिलसेविताय यज्ञाग्निहोत्रवरधूमनिकेतनाय । ऋक्सामवेदमुनिभि: स्तुतिसंयुताय गोपाय गोपनमिताय नम: शिवाय ॥ "जो सूर्य, चन्द्र, वरू
rohit ojha
SI UPP BDH
आर के मौर्य कृत सुबह-ए-भदोही...... वो मंदिर के घण्टे मस्ज़िद के अज़ान वो पंछियों के कलरव और रेडियो के ज्ञान कुछ ऐसी है होती सुबह-ए-भदोही। वो सीतामढ़ी में सीता की प्रतिमा वो आई आई सी टी संस्थान और चाय की चर्चे पर मिलने वाला फ्री का ज्ञान कुछ ऐसी है होती सुबह-ए-भदोही।। वो गंगा, वरुणा और मोर्वा की लहरें वो नोक-झोंक भरे पड़ोसियों के नखरें और अवधी की गाली से करते पड़ोसियों का सम्मान वो मित्रता बढ़ाने वाली पनवाड़ी की पान। वो जलेबी की दुकान वो गलीचों के काम इन्ही के बीच है बसती आर के मौर्य की जान भूले से न भूल पाएंगे ये सुबह-ए-भदोही।। #dailyquotes #morningthoughts #yqdidihindi #diarylove आर के मौर्य कृत सुबह-ए-भदोही...... वो मंदिर के घण्टे मस्ज़िद के अज़ान वो पंछियों के
Vibhor VashishthaVs
अद्भुत शब्द-शिल्पी, साहित्य की अनेक विधाओं के मूर्धन्य विद्वान, अपनी कालजयी रचनाओं के माध्यम से वैश्विक साहित्य जगत में हिंदी साहित्य को नई ऊंचाइयां दिलाने वाले महान साहित्यकार एवं युग प्रवर्तक लेखक जयशंकर प्रसाद जी को उनकी पुण्यतिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि। आधुनिक हिन्दी साहित्य के इतिहास में इनके कृतित्व का गौरव अक्षुण्ण है। 🙏💐प्रसाद जी को कोटि-कोटि नमन💐🙏 ✍️Vibhor vashishtha Vs Meri Diary#Vs❤❤ छोड़कर पार्थिव भोग विभूति, प्रेयसी का दुर्लभ वह प्यार . पिता का वक्ष भरा वात्सल्य, पुत्र का शैशव सुलभ दुलार . दुःख का करके स
FAMILY LIFE
मैं मूरत हो जाऊं जिस मंदिर की तुम उसका कोई कपाट बनो मैं होऊं शाम बनारस की तुम गंगा आरती घाट बनो Read in caption 👇👇 मैं कोई किनारा हो जाऊँ तुम बनकर नदी कोई बहना जब डूबूँ साँझ को सूरज सा तुम मेरी लाली में रहना मैं कोई गोताखोर बनूँ तुम सिक्का एक का हो जाना
Er.Shivampandit
ये Post बनारस और प्यार के नाम... #तेरा_इश्क़_बनारस तू जो नशा है; मैं चरस होना चाहता हूं, मैं तेरे इश्क़ में बनारस होना चाहता हूं। तू जो घाट है, तो मैं सीढियां बन जाऊं तू जो
Abhishek Mishra
मैं होऊँ शाम बनारस की, तुम गंगा आरती घाट बनो। (अनुशीर्षक में पढ़िए) कृपया पूरा पढ़ कर प्रतिक्रिया दें। मैं मूरत होऊँ जिस मंदिर की, तुम उसका कोई कपाट बनो, मैं होऊँ शाम बनारस की, तुम गंगा आरती घाट बनो। मैं कोई
Alok Vishwakarma "आर्ष"
जन्मदिन के शुभ अवसर पर भेंट स्वरूप 108 पंक्तियों की यह अनिर्वचनीय व अनुपम कविता "Happy Birthday Dear Vanila" प्रखर जगती के हित अवकाश में, तिमिर अज के निमित आकाश में । पहर प्रगति के ऋत्य प्रकाश में, उदय रश्मि सवित निशि न
Amar Anand
काशी अविनाशी है !!! विशेष नीचे कैप्शन में... काशी तो काशी है, काशी अविनाशी है!!!!!! पंचकोशी काशी का अविमुक्त क्षेत्र ज्योतिर्लिंग स्वरूप स्वयं भगवान विश्वनाथ हैं । ब्रह्माजी ने भगवान क