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Stories related to आईपीसी की धारा 295 ए

vish

# नदी की वो धारा

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मैं ठहरे हुए कुएँ का वो पानी नहीं, 

जो थम जाऊँ.... 

मैं बहती नदी की वो धारा हूँ, 

जो साहिल से टकराकर भी, 

अपने सागर से मिल जाऊँ.... 



जिंद़गी

©vish # नदी की वो धारा

Mohan Sardarshahari

हाल-ए-दिल

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ये चहकती चिड़ियां
ये खिलखिलाते फूल
यह मासूम सी बच्ची 
चुन रही प्यारे-प्यारे फूल 
आड़ में इनकी तेरा
हाल-ए- दिल कबूल
मिल ना पाये तो क्या हुआ 
सब देख रहा रसूल ।।

©Mohan Sardarshahari हाल-ए-दिल

Himanshu Prajapati

#lovebond इश्क-ए-नशा ऐसा जैसे साबुन की झाग, शौक-ए-मोहब्बत ऐसा की जैसे बस इस जहां से भाग..! #36gyan #hpstrange

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इश्क-ए-नशा ऐसा जैसे 
साबुन की झाग,
शौक-ए-मोहब्बत ऐसा की जैसे 
बस इस जहां से भाग..!

©Himanshu Prajapati #lovebond इश्क-ए-नशा ऐसा जैसे 
साबुन की झाग,
शौक-ए-मोहब्बत ऐसा की जैसे 
बस इस जहां से भाग..!
#36gyan #hpstrange

Vaseem Qureshi

#दर्द ए मज़ार

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ये #दर्द ऐसे मेरे दिल में आ कर बैठते हैं...

जैसे लोग #मजारों पर जा कर बैठते हैं..!
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💔

©Vaseem Qureshi #दर्द ए मज़ार

आधुनिक कवयित्री

ए _जिंदगी......

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Praveen Jain "पल्लव"

#DiyaSalaai धारा सब सामाजिक तोड़ दी #nojotohindipoetry

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पल्लव की डायरी
डर भर दिया हर कौमो में
सब अपनी ताकत जनसंख्या से तौले है
बौना हो गया राष्ट्रवाद
संसद का सत्र आरक्षण की मांगों से गूंजे है
सत्ताओ की लोलुपता  में
सियासी लोग राष्ट्रधर्म भूले है
सौ सौ शपथें संविधान की खाकर
सुभाष और भगत सिंह की कुर्बानी भूले है
धारा सब समाजिक तोड़ दी
दंगे बलवे पत्थरवाद नस नस में
जहर सम्प्रदाय और पंथवाद का भरते है
संरक्ष्ण पाकर वो सियासतों का
चेहरा भारत का कलंकित करते है
                                              प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" #DiyaSalaai धारा सब सामाजिक तोड़ दी
#nojotohindipoetry

BINOदिनी

दर्द-ए-बयान

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White कुछ बातों को भूलाना ,
कुछ लम्हों को गुजारना,
आसान नहीं होता।
चुभते हुए लफ़्ज़ों के खंजर,
बिन पौधों के जमीन यह बंजर।
सहना आसान नहीं होता।।

©BINOदिनी दर्द-ए-बयान
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