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Stories related to सोचता हूँ दोस्तों पर मुकदमा कर दू

s गोल्डी

कभी सोचता हूं कैसे नजरे मिला पाऊंगा अपने दोस्तों से.. जिनको मैं सीना ठोकर कहता था कि मेरी वली मुझे से ही शादी करेंगी...!💔😥

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कभी सोचता हूं कैसे नजरे मिला पाऊंगा अपने दोस्तों से..
 
 जिनको मैं सीना ठोकर कहता था कि मेरी वाली सबसे अलग है...!
💔😥

©s गोल्डी कभी सोचता हूं कैसे नजरे मिला पाऊंगा अपने दोस्तों से..
 
 जिनको मैं सीना ठोकर कहता था कि मेरी वली मुझे से ही शादी करेंगी...!💔😥

Priyanka pilibanga

खुद पर काम कर

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White अपर पर नहीं, तू खुद पर काम कर,
दीवारों पर लिखे सैकड़ों नारे ना देख।
दरिया दूर दूर तक फैला है,
अपने बाजुओं को देख पतवारें ना देख।
लाखों से जंग लड़नी है तुझे,
कट चुके हैं जो हाथ, उन हाथों में तलवारें ना देख।
अपर पर नहीं, तू खुद पर काम कर,
दीवारों पर लिखे सैकड़ों नारे ना देख।
हो सके तो किसी का रक्षक बन,
किसी के नज़ारे ना देख।
राख है चारों तरफ बिखरी हुई,
राख में चिनगारियां ही देख , अंगारे ना देख।
अपर पर नहीं, तू खुद पर काम कर,
दीवारों पर लिखे सैकड़ों नारे ना देख।

©Priyanka Poetry खुद पर काम कर

हिमांशु Kulshreshtha

सोचता हूँ कभी कभी....

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White सोचता हूँ कभी कभी
क्या तुम मेरा इश्क़ थीं
या, यूँ ही बस एक इंसानी फ़ितरत
पसन्द करना किसी को
मोहब्बत के ख्याली पुलाव पकाना
ग़र ये, महज़ एक आकर्षण था
तेरे मुँह मोड़ने पर भी बाकी क्यूँ है
तो क्या है जो अब भी बाकी है मुझ में
एक शोर सा, मेरी सांसों की डोर सा
क्यों होता है ऐसा…
हर बार बेवफ़ा समझ कर
सोचता हूँ तुम से दूर जाने को
तेरा अक्स मेरी आँखों में उतर आता है
मुस्कुरा कर जैसे पूछ रहा हो
कैसे हो तुम, जो कहा करते थे
आख़िरी साँस तक चाहोगे मुझे
तब शर्त कहाँ थी उतना ही चाहोगी तुम
मुस्कुराहट तुम्हारी शोर बन कर
गूंजने लगती है मेरे भीतर
धड़कनें इस क़दर बढ़ जाती है
मानो दिल फटने को हो
हँसी में घुले सवाल गूंजने लगते हैं मेरे कानों में
एक शोर, जो डराने लगता है मुझे
हर बार, हर रात मुझे
जाग जाता हूँ मैं, भूल कर सारे शिकवे
एक और सुबह होती है मुझे याद दिलाने को
इश्क़ है मुझे तुम से, रहेगा भी आख़िरी साँस तक
इस जन्म, उस जन्म, हर जन्म

©हिमांशु Kulshreshtha सोचता हूँ कभी कभी....

RAMLALIT NIRALA

सबको भुल सकता हूँ पर माँ को नहीं

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नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर सूरज हूँ, हर शाम ढलता ज़रूर हूँ, पर हर सुबह फिर से जलता ज़रूर हूँ। जितनी बार गिरा हूँ, उतनी बार सीखा हूँ, हर चोट ने मुझे और सश

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सूरज हूँ, हर शाम ढलता ज़रूर हूँ,
पर हर सुबह फिर से जलता ज़रूर हूँ।

जितनी बार गिरा हूँ, उतनी बार सीखा हूँ,
हर चोट ने मुझे और सशक्त किया, ज़रूर हूँ।

राहें कांटों से भरी हों, फिर भी चलता हूँ,
तक़दीर खुद की बदलता ज़रूर हूँ।

दूरियाँ चाहे जितनी बढ़ें मुझसे,
वो मेरी मंज़िल, फिर भी मेरे कदमों तक पहुँचता ज़रूर हूँ।

लहरों से डरकर मैं किनारे नहीं बैठता,
 तूफ़ान से भी टकराता ज़रूर हूँ।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
सूरज हूँ, हर शाम ढलता ज़रूर हूँ,
पर हर सुबह फिर से जलता ज़रूर हूँ।

जितनी बार गिरा हूँ, उतनी बार सीखा हूँ,
हर चोट ने मुझे और सश

SumitGaurav2005

बहुत ही साधारण दिखता हूँ मैं। बड़ी ही सरल भाषा में लिखता हूँ मैं। मुझे देख कर धोखा मत खाना दोस्तों, तलवार नहीं कलम से प्रहार करता हूँ मैं। ✍

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Devendra Sahis

हंसने पर मजबूर कर देगा 🤣 #viral #Trending Comedy

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P.k Sona

दोस्तों की जान

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vikas maurya

#poetryunplugged सोचता हूँ कि तुझ पर किताब लिखूँगा शायरी लव शायरी हिंदी शायरी लव रोमांटिक लव शायरी हिंदी में

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Anukaran

#good_night अक्सर खुद ही खुद से सवाल कर जाता हूँ, कुछ कर गुजरने से पहले, दुसरों के बारे में पहले सोंचता हूँ।

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White अक्सर खुद ही खुद से सवाल कर जाता हूँ,
कुछ कर गुजरने से पहले,
दुसरों के बारे में सोंचता हूँ।

©Anukaran #good_night 
अक्सर खुद ही खुद से सवाल कर जाता हूँ,
कुछ कर गुजरने से पहले,
दुसरों के बारे में पहले सोंचता हूँ।
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