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ARTI JI

#mango_tree #election_2024 #VoteForIndia #voting #लव #शायरी #कविता #viral Love https://www.instagram.com/reel/C7UI5MKy1aJ/?igsh=MTNvZXI2Z #भक्ति

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अदनासा-

वैसे तो माँ सर्वस्व है अर्थात ब्रम्हांड के कण-कण में, परंतु वह प्रत्येक स्थान एवं प्रत्येक परिस्थिति में, मात्र माँ ही होती है।💐💐🌹🌹🙏🙏😊🇮🇳🇮🇳 व #Instagram #Mother #आई #माता #मम्मी #Mom #अम्मी #अम्मा #मोटिवेशनल #अदनासा

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Shishpal Chauhan

# भगवान बसे हैं कण कण में #कविता

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- आज बैठा मुँह  छुपाकर कौन है । दो उसे आवाज़ घर पर कौन है ।। जिसकी खातिर कर रहा हूँ मैं दुआ । इस जहाँ में उससे सुंदर कौन है ।।२ देख कण-क #शायरी

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ग़ज़ल :-
आज बैठा मुँह  छुपाकर कौन है ।
दो उसे आवाज़ घर पर कौन है ।।
जिसकी खातिर कर रहा हूँ मैं दुआ ।
इस जहाँ में उससे सुंदर कौन है ।।२
देख कण-कण में बसे प्रभु राम जी ।
पूछता फिर क्यों कि अंदर कौन है ।।३
और कुछ पल धीर धर ले तू यहाँ ।
वक़्त बोलेगा धुरंधर कौन है ।।४
एक तेरे  सिर्फ़ कहने से नहीं ।
है खबर सबको सिकंदर कौन है ।।५
दौड़ आयेगा हमारे पास तू  ।
गर पता तुझको हो रहबर कौन है ।।६
तुम कहो तो मान भी लें बात हम ।
बस बता दो तुम विशंभर कौन है ।।७
बंद हो जायेगी तेरी बोलती
जानेगा जब तू कलंदर कौन है ।।८
हम सभी इंसान हैं तेरी तरह ।
खोजता फिर क्यों तू बंदर कौन है ।।९
इस कदर मत कर गुमाँ खुद पर बशर 
जान ले लिखता मुकद्दर कौन है ।।१०
आज दिल की बात मैं पूछूँ प्रखर ।
तू प्रखर है तो महेन्दर कौन है ।।११
१९/०३/२०२४    -महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :-
आज बैठा मुँह  छुपाकर कौन है ।
दो उसे आवाज़ घर पर कौन है ।।
जिसकी खातिर कर रहा हूँ मैं दुआ ।
इस जहाँ में उससे सुंदर कौन है ।।२
देख कण-क

Shivkumar

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मनहरण घनाक्षरी:- भूल जाओ सारी व्यथा , याद रखो हरि कथा , पार उस घाट देखो , खड़े दीनानाथ हैं । छोड़ो यह मोह माया , मिट्टी की है यह काया , भज ले #कविता

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Jai Shri Ram मनहरण घनाक्षरी:-
भूल जाओ सारी व्यथा , याद रखो हरि कथा ,
पार उस घाट देखो , खड़े दीनानाथ हैं ।
छोड़ो यह मोह माया , मिट्टी की है यह काया ,
भज ले तू प्रभु नाम , थामे तेरा हाथ हैं ।
पग-पग देख तेरे , चलते है नाथ मेरे ,
कहीं भी अकेला नहीं, वही तेरे साथ हैं ।
वही कण-कण में हैं , वही तेरे प्रण में हैं,
जान ले तू आज उन्हें , वही प्राण नाथ हैं ।।-१

वही राधा कृष्ण अब , वही सिया राम अब ,
वही सबके कष्टों का , करते उतार हैं ।
कहीं नहीं आप जाओ , मन में उन्हें बिठाओ,
मन के ही मंदिर से , करते उद्धार हैं ।
भजो आप आठों याम , राम-सिया राधेश्याम,
सुनकर पुकार वो , आते नित द्वार हैं,
असुवन की धार वे , है रोये बार-बार वे ,
देख-देख भक्त पीर , आये वे संसार हैं ।।२
१४/०३/२०२४       -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मनहरण घनाक्षरी:-
भूल जाओ सारी व्यथा , याद रखो हरि कथा ,
पार उस घाट देखो , खड़े दीनानाथ हैं ।
छोड़ो यह मोह माया , मिट्टी की है यह काया ,
भज ले
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