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Stories related to शबे बारात कब की है

Praveen Jain "पल्लव"

#Newyear2025 दस्तक है नवबर्ष की

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New Year 2025 पल्लव की डायरी
दस्तक है नये बर्ष की
उत्साह उमंग और आनन्द 
हर दिल मे फूटेगा
करुणा दया संवेदना ही धर्म है
आडम्बर मिथ्या का छूटेगा
परस्पर सब को गले लगाओ
उत्साह से जन जन महकेगा
प्रकृति के कण कण पर सबका अधिकार
सूरज चाँद सब के लिये महकेगा
आओ नवबर्ष का संकल्प ले
हर परिवार समाज तरक्की की राह पर हो
स्वाभिमान से भारत में चेतना का स्वर फूटेगा
                                           प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" #Newyear2025 दस्तक है नवबर्ष की

Kiran Chaudhary

वक़्त की भी रजा है।।

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वक़्त की भी रजा है,
न जाने क्या ही करती है,
ज़िन्दगी मुझसे खफा है
औऱ मैं ज़िन्दगी से।।

©Kiran Chaudhary वक़्त की भी रजा है।।

Nurul Shabd

#पर #दिलों की धड़कन में बसा है

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Parasram Arora

कब?

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Unsplash मेरी बिगड़ेल  चाहतो 
से मुझे राहत मिलेगी कब?

मेरे शरारती स्वार्थी तत्व 
आखिर कब समझ पायगे जीवन का यथार्थ?

मेरा मौन  चिल्लाना चाहता है युगो से 
आखिर उनकी आवाज़ मै सुन पाऊंगा कब?

©Parasram Arora कब?

Nurul Shabd

#तू #घर #की #लाज है  Shayari

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Author Munesh sharma 'Nirjhara'

वक़्त वक़्त की बात है ... #Shayari

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White वक़्त वक़्त की बात है
वक़्त सभी का आता है
न कर गुमान इंसान अपने वक़्त पर
यह वक़्त सबक भी अच्छा सिखाता है

©Author Munesh sharma 'Nirjhara' वक़्त वक़्त की बात है ...
#Shayari

Anuj Ray

#सर्दियों की दस्तक है"

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White सर्दियों की दस्तक है"

शीतलहर की शुरुआत हो चुकी है 
हिमशिखर पे, हल्की हल्की सर्दियों की दस्तक है। 

उठाना है जिन्हें लुत्फ़ वादियों में बर्फ 
रवानगी डाल दें पहाड़ों पे घूमने का यही वक्त है। 

धरती पे स्वर्ग की यादों को संजोने  का 
यही मौका है, जन्नत में मधुर चंद्रिमा का यही वक्त है।

©Anuj Ray #सर्दियों की दस्तक है"

Ravendra

नशा नाश की जड़ है भाई

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Amit Seth

कार्तिक पूर्णिमा कब है nojoto #viral

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नवनीत ठाकुर

मंज़िल की तलाश अभी बाकी है

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मंजिल
मंजिलों की तलाश में भटकते हैं दर-ब-दर,
रास्तों की हर ठोकर का हमें हिसाब बाकी है।
काँटों की चुभन से हम यूँ न डरें कभी,
हर ज़ख्म पे मरहम का एक ख्वाब बाकी है।
ख़्वाब
ख़्वाबों का जाल है, पर हकीकत में धागे कमजोर,
हर ख़्वाब पूरा करने की अब भी चाहत बाकी है।
टूटते हैं रोज़, मगर चूर नहीं होते,
हर रात में सवेरा लाने की आदत बाकी है।
 इश्क़
इश्क़ का ये सफर है, रास्ते भी अनजाने हैं,
उसके मिलने की उम्मीद अब भी बाकी है।
रूह की गहराईयों में जो उसकी याद बसी है,
उसे साँसों में समाने की मोहब्बत बाकी है।
जिंदगी
जिंदगी की गलियों में हर मोड़ एक इम्तिहान है,
हिम्मत से चलने की हममें ताकत बाकी है।
आँधियाँ आएँगी, चलेंगी, थम जाएँगी,
कदम बढ़ाने की हसरत बाकी है।
तन्हाई
तन्हाई की राहों में चुप्पी का कारवां संग है,
इस खामोशी में एक साज सुनना बाकी है।
किसी अजनबी की आवाज़ मिले कभी,
इस तन्हा सफर का हमसफर बाकी है।

©नवनीत ठाकुर मंज़िल की तलाश अभी बाकी है
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