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Anand Kumar ' Shaad '.
White बादल छा गए हैं तो शायद बरसात भी हो जाए, वो याद आ रहे हैं तो शायद मुलाक़ात भी हो जाए। ©Anand Kumar ' Shaad '. बादल और वो
बादल और वो
read moregaTTubaba
White उस चेहरे पर इतना भी क्या मरना की चेहरा छुपाने की नौबत आ जाएं वो जिंदगी कैसे हो सकती हैं जिसकी वजह से मौत आ जाएं ©gaTTubaba #Sad_Status वो जिंदगी कैसे हो सकती हैं जिसकी वजह से मौत आ जाएं
#Sad_Status वो जिंदगी कैसे हो सकती हैं जिसकी वजह से मौत आ जाएं
read moreF M POETRY
White मैं तो हैरत में हूँ किसको देखूँ.. चाँद बादल में है छत पर भी है.. यूसुफ़ आर खान... ©F M POETRY #चाँद बादल में है....
#चाँद बादल में है....
read moreSatish Kumar Meena
White ये बादल!तुम यूं ही ना, अपने जाम छलकाया करो। महफिल जमने में देर है,, वक्त का अंदाजा लगाया करो।। 🌨️🌨️🌨️🌨️🌨️ ©Satish Kumar Meena ये बादल!
ये बादल!
read moretheABHAYSINGH_BIPIN
White नभ में काले बादल आये, अपने संग बारिश लाए। हवा संग इठलाते बादल, हवा संग ये पानी लाए। देखो काले बादल आये, कहा से और ऊपर जाएं। कितने पास बादल आये, हमको छूने बादल आये। किसने दिया पता मेरा, मेरे घर को बादल आये। देखो मुझपे गरज रहे हैं, संग अपने अंधेरा लाए। किसने छेद किया इसमें, जो बूँद-बूँद पानी गिराए। देखो काले बादल आये, नभ में काले बादल आये। इसको किसने बुलाया है, आंधी संग बिजली लाए। देखो कितने पास ये बादल, जैसे देखो पेड़ों को छू जाएं। ©theABHAYSINGH_BIPIN #badal #kavita #barish नभ में काले बादल आये, अपने संग बारिश लाए। हवा संग इठलाते बादल, हवा संग ये पानी लाए।
Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी आत्मनिर्भय कैसे बनते झूठ का यहाँ कारोबार है आपदाओं को अवसर बनाने की होड़ सियासतों के रोज लगते दाँव है आत्मसम्मान सब का खो रहा किस्मत आजमाने का नही मार्ग है फरेबों और झूठो ने गठ जोड़ बना लिया समस्याओं का खड़ा पहाड़ है सच्चाई की फजीहत हो गयी गुमराह सारा जहान है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #motivate आत्म निर्भर कैसे बनते
#motivate आत्म निर्भर कैसे बनते
read moreParasram Arora
Unsplash बादलों से टूट कर एक बार मै समुन्दर की गहराई मे सिमट गई थीं ज़ब मुझे ढूढ़ने तब मेरा पितृपुरुष वो बादल अपने घर से निकला ©Parasram Arora पितृ पुरुष बादल
पितृ पुरुष बादल
read moreनवनीत ठाकुर
"हम पंखों से नहीं, हौसलों से उड़ान भरते हैं, मंजिलें मुश्किल हो, उन्हीं तक हम पहुंचते हैं। राहों की धुंध में भी, हम उजाले बनते हैं, हम वो हैं, जो तूफानों में भी, राह अपनी खुद बनते हैं।" ©नवनीत ठाकुर हम पंखों से नहीं, हौसलों से उड़ान भरते हैं, मंजिलें मुश्किल हो, उन्हीं तक हम पहुंचते हैं। राहों की धुंध में भी, हम उजाले बनते हैं, हम वो हैं
हम पंखों से नहीं, हौसलों से उड़ान भरते हैं, मंजिलें मुश्किल हो, उन्हीं तक हम पहुंचते हैं। राहों की धुंध में भी, हम उजाले बनते हैं, हम वो हैं
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