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MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- उसे कैसे यहाँ अपनी बता दुल्हन बना लेता । लिखा तकदीर में था ये कि मैं आँसू बहा लेता ।।१ वफ़ा उनसे किया जबसे तभी मुश्किल हुई यारो । सजा तो मिल रही है अब खता मैं क्या छुपा लेता ।।३ तुम्हारे आज जाने से यही अच्छा मुझे लगता । तुम्हारे बाद ही अपना गला मैं भी दबा लेता ।।३ ज़फा करके करोगे तुम सामना इस तरह मेरा । पता होता तो मैं पहले निगाहें ये घुमा लेता ।।४ बुलाकर आप महफ़िल में रखोगे इस तरह प्यासा । कसम से जहर ही मैं फिर लवों से इन लगा लेता ।।५ अदब से पेश आते तो उन्हें कहना नही पड़ता । प्रखर ये सिर चरण उनके स्वयं से फिर झुका लेता ।।६ प्रखर से तोड़कर रिश्ता सजा तुम डोलियां लोगे । यकीं होता तो मैं अपनी वहीं अर्थी सजा लेता ।।७ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- उसे कैसे यहाँ अपनी बता दुल्हन बना लेता । लिखा तकदीर में था ये कि मैं आँसू बहा लेता ।।१ वफ़ा उनसे किया जबसे तभी मुश्किल हुई यारो । सजा
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
White फकत ये जिंदगी भी जेरो जबर की आदी है, निजात_ए_मौत ही इसकी आजादी है//१ उस जांसिता की नजर में नहीं कोई शहजादी है, कैद में जिसके बेगुनाह बेपनाह आबादी है//२ जो लहूलुहान रखता है अपने*कफस में परिंदो को,बेशक वो सरकशी में घिनौना*यज़िदी है//३ भूख,बेरोजगारी से बेहाल तो मानवता की बर्बादी है जो*तिश्ना_लब मारे गए वो सब तेरे फरियादी है//४ देखो*मुफलिसी में दिल मोम रखती है जो रब की बंदी देख"शमा तेरे शहर का अमीरे शहर भी*इमदादी है// #shamawritesBebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #election2024 फकत ये जिंदगी भी जेरो जबर की आदी है, निजाते_मौत ही इसकी आजादी है//१ उस जांसिता की नजर में नहीं कोई शहजादी है,कैद में जिसके बेग
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
Shaarang Deepak
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
विद्धुल्लेखा /शेषराज छन्द १ आँखें जो मैं खोलूँ । कान्हा-कान्हा बोलूँ ।। घेरे गोपी सारी । मैं कान्हा पे वारी ।। २ पावें कैसे मेवा । देवो के वो देवा बैठी सोचूँ द्वारे । प्राणों को मैं हारे ।। ३ राधा-राधा बोलूँ । मस्ती में मैं डोलूँ ।। माई देखो झोली । मीठी दे दो बोली ।। ०३/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR विद्धुल्लेखा /शेषराज छन्द १ आँखें जो मैं खोलूँ । कान्हा-कान्हा बोलूँ ।। घेरे गोपी सारी । मैं कान्हा पे वारी ।। २ पावें कैसे मेवा ।
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
जालिम हमें हरगिज तन्हा ना समझना,हमारी हिफाजत करने वाला वो रहमान है अभी//१ आज भी उस यकता की इबादत में खड़े जिन्नो ,बशर,हूरों,मलाईक के वो कयाम है अभी//२ मां ने बचपन में मुझे जो कराई थी हिफ्ज, मुकद्दस कुरानी आयते वो मुकम्मल याद है अभी//३ मैं मां की पेशानी के बोसे की लज़्ज़त उसे क्या बताऊँ,जो इस उम्दा नेमत से अनजान है अभी//४ फिजूल है तेरा खालिक के बाबत सोचना,के खालिके कायनात का ज़ालिम पर जलाल है अभी//५ अब मोहब्बत की तरफ़ लौट आओ,के तुम्हारी नफरत को मिटाने वाला वो मेहरबान है अभी//६ "शमा" पर कहरे तशदूद की सोचना भी मत,तेरी हुकूमत को पलट देने वाला वो सुलतान है अभी//६ #shamawritesBebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #aaina जालिम हमें हरगिज तन्हा ना समझना,हमारी हिफाजत करने वाला वो रहमान है अभी//१ आज भी उस यकता की इबादत में खड़े जिन्नो,बशर, हूरों,मलाईक के
Shaarang Deepak
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
Meri Mati Mera Desh बाद मुद्दत के आ गए एक किस्से में, ना मिला कुछ भी जिन्हे बाप के विरसे में//१ छा गया सन्नाटा बंटवारे के किस्से में, जब कहा मां ने मैं आई किसके हिस्से में//२ मैं इस भरम में था केनेक है वालिद,माजिद, सन्न तो तब हुआ जब मैने अदल ना देखा//३ मारके हक भाई का जिस भाई ने विरसा रखा, उसके जैसा न"शमा" ने कमीना देखा//४ #shamawritesBebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #MeriMatiMeraDesh बाद मुद्दत के आ गए एक किस्से में, ना मिला कुछ भी जिन्हे बाप के*विरसे में//१ *विरसत छा गया सन्नाटा बंटवारे के किस्से में,जब
चेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज
एक क़लमकार को क़लम और डायरी की आवश्यकता आजीवन पड़ती है । १५/३/२००२४ , शुक्रवार , ११:५५ पूर्वाह्न ©चेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज एक क़लमकार को क़लम और डायरी की आवश्यकता आजीवन पड़ती है । १५/३/२००२४ , शुक्रवार , ११:५५ पूर्वाह्न,