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brar saab
White निम्नलिखित में से किसअधिनियम (एक्ट)केअन्तर्गत भारतीय प्रशासनकोईस्ट इण्डिया कम्पनीसेब्रिटिश क्राउन कोस्थानान्तरित किया गया? [CTET Feb 2014] (1) 1861 का अधिनियम (2) 1868 का अधिनियम (3) 1833 का अधिनियम (4) 1858 का अधिनियम ©brar saab निम्नलिखित में से किस @अधिनियम #(एक्ट) के अन्तर्गत भारतीय प्रशासन को ईस्ट @इण्डिया कम्पनी से ब्रिटिश क्राउन कोस्थानान्तरित किया गया? [CTET F
निम्नलिखित में से किस @अधिनियम #(एक्ट) के अन्तर्गत भारतीय प्रशासन को ईस्ट @इण्डिया कम्पनी से ब्रिटिश क्राउन कोस्थानान्तरित किया गया? [CTET F
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White विद्युत अधिनियम कानून :- * भारत वर्ष मे विद्युत आपूर्ति उद्योग सबसे पहले 1910 मे भारतीय विद्युत अधिनियम-1910 के अंतर्गत कानूनी रूप से नियंत्रित किया गया था। 1948 मे विद्युत आपूर्ति अधिनियम लागू किया गया एवं विद्युत नियामक आयोग अधिनियम 1998 के द्वारा इसमे सुधार किये गये इन तीनो अधिनियमो के प्रावधानो को समग्र रूप से विवेक युक्त बनाने के लिये राज्यो, स्टैक धारको तथा विशेषज्ञो से विचार विमर्श के बाद विद्युत अधिनियम 2003 को भारतीय संसद से पारित कराया गया। * विद्युत के उत्पादन, पारेषण, वितरण , व्यापार और प्रयोग से संबंधित, विद्युत उद्योग में प्रतियोगितात्मक विकास करने के लिये तथा उपभोक्ताओ के हित संरक्षण हेतु देश के समस्त हिस्से में विद्युत की आपूर्ति करने, विद्युत शुल्क के युक्तियुक्तकरण करने, बिजली की दरो मे सबसिडियो से संबंधित पारदर्शी नीतियो को सुनिश्चित करने, विद्युत प्रदाय की हितैषी नीतियो को दक्ष एवं पर्यावरणीय तरीके से विकसित करने, केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण, राज्य नियामक आयोगो का गठन करने एवं अपीलिय अधिकारण की स्थापना करने के लिये कानून को सुव्यवस्थित रूप से स्थापित करने हेतु विद्युत अधिनियम 2003 लाया गया है। * विद्युत की चोरी, विद्युत लाइनो और सामग्रियो की चोरी, चुराई गई सामग्री वापस प्राप्त करने पर दंड के प्रावधान, विद्युत संपत्ति को नुकसान पहुचाने पर शासकीय न्याय निर्णयन अधिकारी द्वारा ध्यान में रखे जाने वाले घटक इत्यादि के प्रावधान अधिनियम के भाग 14 में दिये गये है। भाग 15 एवं 16 विशेष विद्युत न्यायालय के गठन संबंधी प्रक्रिया, विशेष विद्युत न्यायालयो की शक्तियां एवं विद्युत संबंधी विवादो के निपटारे पर केंद्रित है। भाग 17 में रेलमार्गो, राजमार्गो, विमान पत्तनो, नहरो इत्यादि सार्वजनिक स्थलो के संरक्षणात्मक उपबंध हैं। ©Indian Kanoon In Hindi विद्युत अधिनियम कानून :-
विद्युत अधिनियम कानून :-
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White सूचना प्रदाता (व्हिसल ब्लोअर) संरक्षण अधिनियम कानून :- * भ्रष्टाचार के खिलाफ व्हिसल ब्लोअर विधेयक की राज्यसभा ने 21 फरवरी, 2014 को पारित कर दिया। गौरतलब है कि यह विधेयक दो साल से भी अधिक समय से राज्यसभा में लंबित था। भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ रहे कार्यकर्ताओं को इस बिल के जरिए कानूनी सुरक्षा दी जाएगी। यह विधेयक सिर्फ सरकारी कर्मियों के लिए है। इस विधेयक का उद्देश्य एक ऐसी नियमित प्रणाली प्रदान करना है जिससे लोक सेवकों और मंत्रियों द्वारा भ्रष्टाचार या सत्ता का जानबूझकर दुरुपयोग करने के बारे में जानकारी देने वाले व्यक्तियों को प्रोत्साहित किया जा सके। * राज्यसभा में संक्षिप्त चर्चा के बाद सूचना प्रदाता संरक्षण विधेयक-2011 को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। इस विधेयक को 2011 में ही लोकसभा पारित कर चुकी है। इस विधेयक की लोकसभा ने 2011 में पारित कर दिया था और राज्यसभा को विचार करने के लिए 2012 में भेजा था। राज्यसभा ने इस विधेयक में दो नए प्रस्ताव जोड़े। पहला, प्रकटीकरण की परिभाषा को संशोधित कर उसमें सत्ता का जानबूझकर दुरुपयोग या अधिकारों का जानबूझकर दुरुपयोग जिसकी वजह से सरकार या लोक सेवकों या किसी तीसरे पक्ष की प्रत्यक्ष नुकसान होता है, को शामिल किया गया है। दूसरा, जिस अधिकारी के पास शिकायत करनी है उसकी परिभाषा में भी विस्तार किया गया है। विधेयक के मुख्य बिन्दु हैं- * भ्रष्टाचार की शिकायत करने वाले कर्मियों की पहचान गुप्त रहेगी। * जरूरत पड़ने पर ऐसे लोगों की सुरक्षा प्रदान की जाएगी। * भ्रष्टाचार की झूठी शिकायत करने वाले के खिलाफ होगी कार्रवाई, और सजा का भी प्रावधान। * न्यायपालिका, एसपीजी को छोड़कर सेना एवं खुफिया एजेंसियां और पुलिस भी दायरे में। * पद के दुरुपयोग को भी भ्रष्टाचार के दायरे में लाया गया। * पांच साल तक पुराने मामलों में ही दर्ज होगी शिकायत। * इस बिल की अहमियत यह है कि यह सरकारी महकमों में भ्रष्ट लोगों के खिलाफ शिकायतें सामने लाएगा। इससे भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए बनाई गई स्वतंत्र इकाई सीवीसी को मजबूती मिलेगी। साथ ही कई कर्मचारी जो डर के कारण चुप रहते थे वो ज्यादा सूचनाएं सरकार से साझा करेंगे। ©Indian Kanoon In Hindi सूचना प्रदाता (व्हिसल ब्लोअर) संरक्षण अधिनियम कानून
सूचना प्रदाता (व्हिसल ब्लोअर) संरक्षण अधिनियम कानून
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White भारतीय स्टाम्प अधिनियम कानून :- * भारतीय स्टाम्प अधिनियम 1899 के अनुसार निर्धारित स्टाम्प शुल्क से कम पर दस्तावेज बनाया जाना अपराध है। इसका सीधा अर्थ है कि 50 या 100 रु. के स्टाम्प पर बने किरायानामे गलत हैं। यदि किसी मकान का किराया 10 हजार रुपए प्रतिमाह है तो उसका सालाना कुल किराया 1 लाख 20 हजार रुपए होगा। तीन साल के लिए यदि किराया अनुबंध होता है तो इस सालाना किराए की कुल राशि का दो फीसदी यानी 2400 रुपए का स्टाम्प अनुबंध के लिए आवश्यक होगा। इसलिए उचित स्टाम्प शु्ल्क का भुगतान करें। ©Indian Kanoon In Hindi भारतीय स्टाम्प अधिनियम कानून :-
भारतीय स्टाम्प अधिनियम कानून :-
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White राष्ट्रीय न्यास अधिनियम कानून :- * इस अधिनियम के अनुसार केन्द्रीय सरकार का यह दायित्व है कि वह ऑटिज्म, प्रमस्तिष्क अंगघात, मानसिक मंदता और बहु विकलांगता ग्रस्त व्यक्तियों के कल्याण के लिए, नई दिल्ली में राष्ट्रीय न्यास का गठन करे। केन्द्र सरकार द्वारा स्थापित किए गए राष्ट्रीय न्यास को यह सुनिश्चित करना होता है कि इस अधिनियम में वर्णित उद्देश्यों पूरे हों । राष्ट्रीय न्यास के न्यासी बोर्ड का यह दायित्व है कि वे वसीयत में उल्लिखित किसी भी लाभग्राही के समुचित जीवन स्तर के लिए आवश्यक प्रबंध करें और विकलांगजनों के लाभ हेतु अनुमोदित कार्यक्रम करने के लिए पंजीकृत संगठनों को वित्तीय सहायता प्रदान करें । इस अधिनियम के उपबन्ध राष्ट्रीय न्यास पर जवाबदेही, मॉनीटरिग, वित्त, लेखा और लेखा-परीक्षा के मामले में बाध्यकारी होंगे । ©Indian Kanoon In Hindi राष्ट्रीय न्यास अधिनियम कानून :-
राष्ट्रीय न्यास अधिनियम कानून :-
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महिलाओं की सुरक्षा के लिए अधिनियम :- * दहेज निषेध अधिनियम (1961) :- इस अधिनियम के द्वारा शादी के पहले या बाद में महिलाओं से दहेज़ और देना दोनों ही अपराध की श्रेणी में आता है। * मातृत्व लाभ अधिनियम (1961) :- यह अधिनियम महिलाओं को बच्चे के जन्म से पहले 13 सप्ताह और जन्म के बाद के 13 सप्ताह तक वैतनिक अवकाश (पेड लीव) प्रदान करता है ताकि वह बच्चे की पर्याप्त देखभाल कर सके | इस गर्भावस्था के दौरान महिला को रोजगार से बाहर निकालना कानूनन जुर्म है। * गर्भावस्था अधिनियम (1971) :- गर्भावस्था अधिनियम (1971) के द्वारा कुछ विशेष परिस्थितियों (जैसे बलात्कार की पीड़ित महिला या लड़की या किसी बीमारी की हालत में) में मानवीय और चिकित्सीय आधार पर 24 सप्ताह तक के गर्भ को समाप्त करने की अनुमति दी जा सकती है| सामान्य परिस्थितियों में 20 सप्ताह के गर्भ को गिराने की अनुमति दी गयी है। * समान पारिश्रमिक अधिनियम (1976) :- यह अधिनियम कहता है कि किसी समान कार्य या समान प्रकृति के काम के लिए पुरुषों और महिलाओं दोनों श्रमिकों को समान पारिश्रमिक का भुगतान प्रदान किया जायेगा। साथ ही भर्ती प्रक्रिया में महिलाओं के साथ लिंग के आधार पर किसी भी प्रकार के भेदभाव को रोकता है । * महिलाओं का अश्लील प्रतिनिधित्व (प्रतिषेध) अधिनियम,1986) :- यह अधिनियम महिलाओं को विज्ञापनों के माध्यम से या प्रकाशन, लेखन, पेंटिंग या किसी अन्य तरीके से महिलाओं के अभद्र प्रदर्शन को प्रतिबंधित करता है। ©Indian Kanoon In Hindi महिलाओं की सुरक्षा के लिए अधिनियम
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विद्युत अधिनियम कानून :- * भारत वर्ष मे विद्युत आपूर्ति उद्योग सबसे पहले 1910 मे भारतीय विद्युत अधिनियम-1910 के अंतर्गत कानूनी रूप से नियंत्रित किया गया था। 1948 मे विद्युत आपूर्ति अधिनियम लागू किया गया एवं विद्युत नियामक आयोग अधिनियम 1998 के द्वारा इसमे सुधार किये गये इन तीनो अधिनियमो के प्रावधानो को समग्र रूप से विवेक युक्त बनाने के लिये राज्यो, स्टैक धारको तथा विशेषज्ञो से विचार विमर्श के बाद विद्युत अधिनियम 2003 को भारतीय संसद से पारित कराया गया। * विद्युत के उत्पादन, पारेषण, वितरण , व्यापार और प्रयोग से संबंधित, विद्युत उद्योग में प्रतियोगितात्मक विकास करने के लिये तथा उपभोक्ताओ के हित संरक्षण हेतु देश के समस्त हिस्से में विद्युत की आपूर्ति करने, विद्युत शुल्क के युक्तियुक्तकरण करने, बिजली की दरो मे सबसिडियो से संबंधित पारदर्शी नीतियो को सुनिश्चित करने, विद्युत प्रदाय की हितैषी नीतियो को दक्ष एवं पर्यावरणीय तरीके से विकसित करने, केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण, राज्य नियामक आयोगो का गठन करने एवं अपीलिय अधिकारण की स्थापना करने के लिये कानून को सुव्यवस्थित रूप से स्थापित करने हेतु विद्युत अधिनियम 2003 लाया गया है। * विद्युत की चोरी, विद्युत लाइनो और सामग्रियो की चोरी, चुराई गई सामग्री वापस प्राप्त करने पर दंड के प्रावधान, विद्युत संपत्ति को नुकसान पहुचाने पर शासकीय न्याय निर्णयन अधिकारी द्वारा ध्यान में रखे जाने वाले घटक इत्यादि के प्रावधान अधिनियम के भाग 14 में दिये गये है। भाग 15 एवं 16 विशेष विद्युत न्यायालय के गठन संबंधी प्रक्रिया, विशेष विद्युत न्यायालयो की शक्तियां एवं विद्युत संबंधी विवादो के निपटारे पर केंद्रित है। भाग 17 में रेलमार्गो, राजमार्गो, विमान पत्तनो, नहरो इत्यादि सार्वजनिक स्थलो के संरक्षणात्मक उपबंध हैं। ©Indian Kanoon In Hindi विद्युत अधिनियम कानून
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सूचना प्रदाता (व्हिसल ब्लोअर) संरक्षण अधिनियम कानून :- * भ्रष्टाचार के खिलाफ व्हिसल ब्लोअर विधेयक की राज्यसभा ने 21 फरवरी, 2014 को पारित कर दिया। गौरतलब है कि यह विधेयक दो साल से भी अधिक समय से राज्यसभा में लंबित था। भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ रहे कार्यकर्ताओं को इस बिल के जरिए कानूनी सुरक्षा दी जाएगी। यह विधेयक सिर्फ सरकारी कर्मियों के लिए है। इस विधेयक का उद्देश्य एक ऐसी नियमित प्रणाली प्रदान करना है जिससे लोक सेवकों और मंत्रियों द्वारा भ्रष्टाचार या सत्ता का जानबूझकर दुरुपयोग करने के बारे में जानकारी देने वाले व्यक्तियों को प्रोत्साहित किया जा सके। * राज्यसभा में संक्षिप्त चर्चा के बाद सूचना प्रदाता संरक्षण विधेयक-2011 को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। इस विधेयक को 2011 में ही लोकसभा पारित कर चुकी है। इस विधेयक की लोकसभा ने 2011 में पारित कर दिया था और राज्यसभा को विचार करने के लिए 2012 में भेजा था। राज्यसभा ने इस विधेयक में दो नए प्रस्ताव जोड़े। पहला, प्रकटीकरण की परिभाषा को संशोधित कर उसमें सत्ता का जानबूझकर दुरुपयोग या अधिकारों का जानबूझकर दुरुपयोग जिसकी वजह से सरकार या लोक सेवकों या किसी तीसरे पक्ष की प्रत्यक्ष नुकसान होता है, को शामिल किया गया है। दूसरा, जिस अधिकारी के पास शिकायत करनी है उसकी परिभाषा में भी विस्तार किया गया है। विधेयक के मुख्य बिन्दु हैं- * भ्रष्टाचार की शिकायत करने वाले कर्मियों की पहचान गुप्त रहेगी। * जरूरत पड़ने पर ऐसे लोगों की सुरक्षा प्रदान की जाएगी। * भ्रष्टाचार की झूठी शिकायत करने वाले के खिलाफ होगी कार्रवाई, और सजा का भी प्रावधान। * न्यायपालिका, एसपीजी को छोड़कर सेना एवं खुफिया एजेंसियां और पुलिस भी दायरे में। * पद के दुरुपयोग को भी भ्रष्टाचार के दायरे में लाया गया। * पांच साल तक पुराने मामलों में ही दर्ज होगी शिकायत। * इस बिल की अहमियत यह है कि यह सरकारी महकमों में भ्रष्ट लोगों के खिलाफ शिकायतें सामने लाएगा। इससे भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए बनाई गई स्वतंत्र इकाई सीवीसी को मजबूती मिलेगी। साथ ही कई कर्मचारी जो डर के कारण चुप रहते थे वो ज्यादा सूचनाएं सरकार से साझा करेंगे। ©Indian Kanoon In Hindi सूचना प्रदाता (व्हिसल ब्लोअर) संरक्षण अधिनियम कानून
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भारतीय स्टाम्प अधिनियम कानून :- * भारतीय स्टाम्प अधिनियम 1899 के अनुसार निर्धारित स्टाम्प शुल्क से कम पर दस्तावेज बनाया जाना अपराध है। इसका सीधा अर्थ है कि 50 या 100 रु. के स्टाम्प पर बने किरायानामे गलत हैं। यदि किसी मकान का किराया 10 हजार रुपए प्रतिमाह है तो उसका सालाना कुल किराया 1 लाख 20 हजार रुपए होगा। तीन साल के लिए यदि किराया अनुबंध होता है तो इस सालाना किराए की कुल राशि का दो फीसदी यानी 2400 रुपए का स्टाम्प अनुबंध के लिए आवश्यक होगा। इसलिए उचित स्टाम्प शु्ल्क का भुगतान करें। ©Indian Kanoon In Hindi भारतीय स्टाम्प अधिनियम कानून
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राष्ट्रीय न्यास अधिनियम कानून :- * इस अधिनियम के अनुसार केन्द्रीय सरकार का यह दायित्व है कि वह ऑटिज्म, प्रमस्तिष्क अंगघात, मानसिक मंदता और बहु विकलांगता ग्रस्त व्यक्तियों के कल्याण के लिए, नई दिल्ली में राष्ट्रीय न्यास का गठन करे। केन्द्र सरकार द्वारा स्थापित किए गए राष्ट्रीय न्यास को यह सुनिश्चित करना होता है कि इस अधिनियम में वर्णित उद्देश्यों पूरे हों । राष्ट्रीय न्यास के न्यासी बोर्ड का यह दायित्व है कि वे वसीयत में उल्लिखित किसी भी लाभग्राही के समुचित जीवन स्तर के लिए आवश्यक प्रबंध करें और विकलांगजनों के लाभ हेतु अनुमोदित कार्यक्रम करने के लिए पंजीकृत संगठनों को वित्तीय सहायता प्रदान करें । इस अधिनियम के उपबन्ध राष्ट्रीय न्यास पर जवाबदेही, मॉनीटरिग, वित्त, लेखा और लेखा-परीक्षा के मामले में बाध्यकारी होंगे । ©Indian Kanoon In Hindi राष्ट्रीय न्यास अधिनियम कानून
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