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Dinesh Kumar Pandey
New Year 2025 उम्र के साथ, परिपक्व होती ये चेहरे की लकीरें, अंतर बता देती है, नादानी और जीवन के तजुर्बों का।। ©Dinesh Pandey चेहरे की लकीरें
चेहरे की लकीरें
read moreGhanshyam Ratre
शीत लहरें कोहरे का ठंडा का महिना है । गरम वाले सुती ऊनी वस्त्र लगते सुहाने हैं।। बहुत ठंडा लगता है ठंड से शरीर कांपते हैं। ठंडा में गर्मागर्म खाने के चीजें अच्छे लगते हैं।। ©Ghanshyam Ratre ठंडा के महिने
ठंडा के महिने
read morePraveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी योजनाओं की धुंध से ओझल जनमानस उनकी नीतियां जीवन कपकपाती है सर्द और सुन्न हो गये मन मस्तिष्क ओले राशन पानी पर गिराकर महंगाई का कहर रसोई पर बरसाती है मानक सफ़लता के सरकारों के पास है गफलत में हम, दम तोड़े जाते है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #sadak मानक सफलता के सरकारों के पास है
#sadak मानक सफलता के सरकारों के पास है
read morePraveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी अंधो को भी सुबह का एहसास हो अंतिम छोर तक हर्षोउल्लास हो गैर बराबरी शिक्षा से मिटे सबको जीने का एक सा अधिकार हो हुनर पनपे सभी प्रतिभा का सम्मान हो मगर गला काट कर, मर्यादा भंग दायरे के बहार प्रशासन के सब अंग अनैतिकता के दिखते सियासती रंग नही बचा अब जनता पर जीने का ढंग मायूसी से चेहरे बिगड़ रहे है रोजगार व्यापार मेहनत का फल नही दे रहे है अराजकता की पीके भंग लूट पाट के दिखते सत्ताओ के ढंग प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #love_shayari मायूसी से चेहरे के रंग बिगड़ रहे है
#love_shayari मायूसी से चेहरे के रंग बिगड़ रहे है
read moreMohan Sardarshahari
चेहरे भी समां के मोहताज हैं खिल गये तो आज पर नाज है। ©Mohan Sardarshahari चेहरे
चेहरे
read moreRaj Pokhriyal
White उससे एक रोज़ उसी रास्ते पर अचानक मुलाकात हुई, वो मिली और मुस्कुराते हुए पूछने लगी, "अरे वाह, आप तो बदल गए हो।" मैंने भी बड़े अदब से जवाब दिया, "मेरी आँखें थोड़ी सी कमजोर हैं, ये बिसरे हुए लोगों के चेहरे नहीं पहचान पातीं।" ©Raj Pokhriyal "मेरी आँखें थोड़ी सी कमजोर हैं, ये बिसरे हुए लोगों के चेहरे नहीं पहचान पातीं।" poetry lovers poetry on love poetry in hindi
"मेरी आँखें थोड़ी सी कमजोर हैं, ये बिसरे हुए लोगों के चेहरे नहीं पहचान पातीं।" poetry lovers poetry on love poetry in hindi
read moreनवनीत ठाकुर
जो राह में मिला था साथ कभी, वक्त के हाथों फिसल गया। दर्द छुपाने की कोशिश में, चेहरे पर निशां बना।। जो वक़्त की धारा में खो गए, वो लम्हे बस एक ख़्वाब बने। दिल में छुपा है दर्द पुराना, वो शब्दों में ढल कर अब जुबान बने।। ©नवनीत ठाकुर #चेहरे पर निशान बने
#चेहरे पर निशान बने
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