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Aklesh Yadav

#klrahul भगवान बुद्ध शुद्धोधन के पुत्र थे #विचार

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keshar kashyap

कितने अनोखे थे वो बचपन के दिन #poem

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कितने सुहाने थे वो बचपन के दिन
ना शिक़वे ना शिकायत
किसी से,
न गम,ना मोहब्बत 
किसी से,,
हर पल केवल
शरारत और मस्ती के,
हर लम्हें खुशियों के
कितने अनोखे थे वो बचपन
के दिन ।। कितने अनोखे थे वो बचपन के दिन

Praveen Jain "पल्लव"

#Pastdays अतीतो के दिन कितने भले थे

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पल्लव की डायरी
वर्तमान में जीने के लिये
खुद हम खप रहे है
सुख सुविधा के लिये
जीवन चुक रहे है
अतीतो में भले संसाधन कम थे
घड़े का पानी,हाथ के पंखे थे
सन्तोष जीवन के हर क्षण थे
परिवारों में हर रिश्ते मौजूद
एक छत के नीचे ताऊ चाचा के घर थे
समाज के संरक्षण में हित मौजूद थे
गरीबी गरीबी का ना शोर
दो टाइम की रोटी के लिये
सब मदद के लिये खड़े थे
अतीतो के दिन कितने भले थे
                            प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" #Pastdays 

अतीतो के दिन कितने भले थे

Sahil

कितने मासूम थे #शायरी

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प्यार करना हर किसी के बस की बात नहीं …. जिगर चाहिए अपनी ही खुशियां बर्बाद करने के लिए। कितने मासूम थे

Sahil

कितने मासूम थे #शायरी #nojotophoto

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 कितने मासूम थे

Chunnu

कितने आदमी थे #News

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Uttam Bajpai

कितने आदमी थे। #कॉमेडी

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सत्यमेव जयते

कितने करीब थे। #2023Recap

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kampani g

देख तेरे कृदार के कितने दीवाने थे हम #ज़िन्दगी

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नरेश_के_अल्फाज

वो दिन भी कितने खास थे। जब हम यारो के साथ थे

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वो दिन भी कितने खास थे,
चार दिवारी के भीतर,
खुशियों के साल थे
10 साल तक जो जेल लगा करता
आज पता चल ह यारों,
वो स्कूल जेल कोन्या, जन्नत के दिन थे।
ओर थारे वरगे यार मेरे,
ओर कही न थे।
वो स्कूल के दिन औऱ
मैं अपने साथ कुछ यादों के पल ले आया।
first बैंच से लेकर last बैंच तक के
अनुभव ले आया था।
थारे वरगे जिगरी यारा के साथ,
बिताये कुछ यादगार पल ले आया था।
स्कूल के लास्ट 2 साल घने ही miss करू सु।
2nd bench पर बैठे,मेरे यारा न घना ही याद कर सु
ओर खिड़की तह बाहर का नजारा देखन न तरसू हु।
ओर भाइयों के ग्रुप में ,
एक बार फिर बैठन की सोचू हु।


घने यादगार पल कोनी बनाये
पर जो बनाये ,वो zindagi से कम कोन्या थे।
थारे साथ मे बिताया वो टेम,
इब  नही आना।

ट्यूशन के बहाने ही सही,
एक बह फिर वही ज़िन्दगी जीना चाहवा।
शाम की क्लास का वो 1 घण्टा,
फेर साथ बैठना चाहवा।
फिर एक बह इकट्ठे बैठ,
NSS का खाना खाना चाहवा।
शाम की चाय के एक बह फिर आनंद लेना चाहवा
वो दिन भी कितने खास थे,
जो स्कूल के राज थे।
miss u yaarooo.... वो दिन भी कितने खास थे।
जब हम यारो के साथ थे
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