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keshar kashyap
कितने सुहाने थे वो बचपन के दिन ना शिक़वे ना शिकायत किसी से, न गम,ना मोहब्बत किसी से,, हर पल केवल शरारत और मस्ती के, हर लम्हें खुशियों के कितने अनोखे थे वो बचपन के दिन ।। कितने अनोखे थे वो बचपन के दिन
Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी वर्तमान में जीने के लिये खुद हम खप रहे है सुख सुविधा के लिये जीवन चुक रहे है अतीतो में भले संसाधन कम थे घड़े का पानी,हाथ के पंखे थे सन्तोष जीवन के हर क्षण थे परिवारों में हर रिश्ते मौजूद एक छत के नीचे ताऊ चाचा के घर थे समाज के संरक्षण में हित मौजूद थे गरीबी गरीबी का ना शोर दो टाइम की रोटी के लिये सब मदद के लिये खड़े थे अतीतो के दिन कितने भले थे प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #Pastdays अतीतो के दिन कितने भले थे
Sahil
प्यार करना हर किसी के बस की बात नहीं …. जिगर चाहिए अपनी ही खुशियां बर्बाद करने के लिए। कितने मासूम थे
सत्यमेव जयते
आया ही था ख्याल के आँखें छलक पड़ी, आंसू तुम्हारी याद के कितने करीब थे। ©Meri Pehchan, mera Khatu Shyam कितने करीब थे।
नरेश_के_अल्फाज
वो दिन भी कितने खास थे, चार दिवारी के भीतर, खुशियों के साल थे 10 साल तक जो जेल लगा करता आज पता चल ह यारों, वो स्कूल जेल कोन्या, जन्नत के दिन थे। ओर थारे वरगे यार मेरे, ओर कही न थे। वो स्कूल के दिन औऱ मैं अपने साथ कुछ यादों के पल ले आया। first बैंच से लेकर last बैंच तक के अनुभव ले आया था। थारे वरगे जिगरी यारा के साथ, बिताये कुछ यादगार पल ले आया था। स्कूल के लास्ट 2 साल घने ही miss करू सु। 2nd bench पर बैठे,मेरे यारा न घना ही याद कर सु ओर खिड़की तह बाहर का नजारा देखन न तरसू हु। ओर भाइयों के ग्रुप में , एक बार फिर बैठन की सोचू हु। घने यादगार पल कोनी बनाये पर जो बनाये ,वो zindagi से कम कोन्या थे। थारे साथ मे बिताया वो टेम, इब नही आना। ट्यूशन के बहाने ही सही, एक बह फिर वही ज़िन्दगी जीना चाहवा। शाम की क्लास का वो 1 घण्टा, फेर साथ बैठना चाहवा। फिर एक बह इकट्ठे बैठ, NSS का खाना खाना चाहवा। शाम की चाय के एक बह फिर आनंद लेना चाहवा वो दिन भी कितने खास थे, जो स्कूल के राज थे। miss u yaarooo.... वो दिन भी कितने खास थे। जब हम यारो के साथ थे