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लेखक ओझा
White कुछ जुगनू जल–बूझ रहे है फिर भी रात सुहानी है क्योंकि संघर्ष ही मेरी कहानी है।। ©लेखक ओझा #Night कुछ जुगनू जल बुझ रहे
Anuj Ray
White इक वक्त के बिछड़े दिलों की दास्तान के पन्ने, न जाने कब से बर्फ की परत में ढके थे। बह बह के आंसुओं का जम गया था समंदर, खुली हवा में, आहिस्ता आहिस्ता पिघल रहे हैं। टूटा है पहाड़ गलत फहमी का, मुद्दत के बाद आज फिर से, पुरानी यादों के अलाव जल रहे हैं। ©Anuj Ray # यादों के अलाव जल रहे हैं"
malay_28
White कहीं तुम हो कहीं हम हैं मुहब्बत हो तो कैसे हो ख़ुदा अब दूर इंसां से इबादत हो तो कैसे हो ग़ुलामी दौड़ती खूँ में बग़ावत हो तो कैसे हो नहीं पहचान है अपनी अदावत हो तो कैसे हो बना पत्थर रहा करता नज़ाक़त हो तो कैसे हो ©malay_28 #कैसे हो
malay_28
लगाते रंग चेहरे पर मगर दिल में ख़लिश रहता नहीं कुछ भी असर होता किसी के सर्द पीरों का ! न जाने लोग कैसे जी रहे हैं रूह दफ़ना कर फ़क़त कुछ ऐश की ख़ातिर करे सौदा ज़मीरों का ! ©malay_28 #कैसे कैसे लोग
कलम की दुनिया
व्यर्थ जो कर रहे हो मुझे अर्थ मेरा समझ आएगा तरसोगे एक एक बूंद के लिए पर मुझ तक पहुंच न पाओगे उस दिन तुम्हे मेरा अर्थ समझ आएगा ©कलम की दुनिया #जल
Krishna
मछली जल की रानी हे जीवन उसका पानी है हाथ लगाओ दर जायेगी बाहर निकलो मर जायेगी ©Krishna #मछली जल की रानी हे #
Krishna
मछली जल की रानी हे जीवन उसका पानी है हाथ लगाओ दर जायेगी बाहर निकलो मर जायेगी ©Krishna ##(Gमछली जल की रानी है #ingerTea
Gondwana Sherni 750
"न राग है, न आवाज है मेरे शब्दों में खामोशी का इलाज है मेरे शब्दों में किसी से व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं, निशाने पर समाज है मेरे शब्दों में बड़े-बडो़ं की पोल खोल तो दूं मगर, छोटे-बड़े का लिहाज है मेरे शब्दों में अश्लीलता परस्त आज के जमाने में, शर्मो हया और लाज है मेरे शब्दों में सच ही सत्य है, सच ही इबादत है, पुरखा और उनकी धरोहर है मेरे शब्दों में जल जंगल जमीन पुरखा जोहार preeti uikye 750 03/03/24 ©Gondwana Sherni 750 #RoadTrip जल जंगल जमीन
Shashi Bhushan Mishra
जो मेरे गुण-दोष हैं उसके ही अनुरूप मिलेगा फल, वहाँ नहीं होती अनदेखी चलता नहीं है कल बल छल, सबके दिल की सुन लेता है करता दया निधान प्रभु, बड़ा दयालू है जगदीश्वर कहते सभी भक्त वत्सल, रखो साफ दिल के दर्पण को शांति प्रकट हो जाएगी, दिखता तभी रूप जल में जब होती नहीं कोई हलचल, दु:ख की पीड़ा से बचना है तो दिल की आवाज़ सुनो, मुश्क़िल हो जाएगा बचना माया का फैला दलदल, निर्मल मन ज्यों शाख लचकती बचती झंझावातों से, मन का मैल नहीं मिटता है धोने से तन को मलमल, मय कुटुंब सानंद गुजारो जीवन के दिन दुनिया में, काल न बाल करेगा बांका नाम जपो हरि का प्रतिपल, खिलते फूल ज्ञान के 'गुंजन' होता सफल तभी जीवन, सहज भाव लाती कोमलता हृदय बना देती समतल, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #दिखता तभी रूप जल में#